AIN NEWS 1 | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ताज़ा रुझानों ने पूरे राज्य के राजनीतिक माहौल में नई हलचल मचा दी है। शुरुआती काउंटिंग से लेकर मध्य चरण तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने इस बात का साफ संकेत दे दिया है कि इस बार मुकाबला बेहद एकतरफा होता दिखाई दे रहा है। रुझानों के मुताबिक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) आराम से 150 सीटों का आंकड़ा पार करता दिख रहा है, जो एक भारी और निर्णायक बहुमत माना जाएगा।
इन रुझानों ने जहां NDA समर्थकों में जबरदस्त उत्साह पैदा कर दिया है, वहीं विपक्षी खेमे में बेचैनी साफ झलक रही है। हालांकि अभी अंतिम परिणाम आने बाकी हैं, लेकिन अब तक आए रुझानों ने राजनीति की दिशा काफी हद तक स्पष्ट कर दी है।
BJP की बढ़त सबसे प्रभावी
रुझानों में सबसे बड़ा और प्रमुख संकेत यह है कि भाजपा (BJP) इस चुनाव में सबसे मजबूत पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है। कई महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों पर BJP के उम्मीदवारों को भारी बढ़त मिलती नजर आ रही है। पिछले चुनावों की तुलना में इस बार पार्टी का प्रदर्शन और अधिक व्यापक दिख रहा है।
शहरी क्षेत्रों में तो भाजपा का प्रभाव लंबे समय से देखा जा रहा था, लेकिन इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में भी पार्टी को जोरदार समर्थन मिलते हुए रुझान दिखाई दे रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि BJP की जमीनी रणनीति, बूथ प्रबंधन और लगातार चलाए गए अभियान ने इस शानदार बढ़त में अहम भूमिका निभाई है।
यदि यही रुझान अंतिम परिणाम तक कायम रहते हैं, तो भाजपा न सिर्फ NDA का नेतृत्व मजबूत करेगी बल्कि बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनने की दिशा में निर्णायक कदम भी उठा लेगी।
NDA की रणनीति क्यों पड़ी भारी?
विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों और चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार NDA की योजनाबद्ध रणनीति काफी असरदार साबित हुई है। सीटों के समझदारी भरे बंटवारे, स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित प्रचार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुभव ने गठबंधन को बड़ा लाभ पहुंचाया।
जहां एक तरफ विपक्ष बेरोज़गारी और मौजूदा समस्याओं को मुख्य मुद्दा बना रहा था, वहीं NDA सरकार ने केंद्र और राज्य स्तर पर चल रही योजनाओं—जैसे उज्ज्वला योजना, PM किसान सम्मान निधि, घर-घर बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएँ और महिलाओं से जुड़ी पहलों—को मजबूती के साथ जनता तक पहुंचाया। इन योजनाओं का असर सीधे तौर पर ग्रामीण और गरीब तबके पर दिखा।
इसके अलावा NDA का यह दावा कि वे बिहार में स्थिरता और निरंतर विकास ला सकते हैं, मतदाताओं के बीच भरोसे का आधार बना।
विपक्ष की मुश्किलें और प्रतिक्रियाएँ
महागठबंधन में शामिल दल जैसे RJD, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियाँ कई सीटों पर संघर्ष करती दिखाई दे रही हैं। तेजस्वी यादव की RJD ने बेरोज़गारी और युवाओं की उम्मीदों को मुद्दा बनाकर चुनाव अभियान को आक्रामक रूप दिया था। हालांकि, वर्तमान रुझानों के मुताबिक यह रणनीति राज्य के सभी क्षेत्रों में पर्याप्त असर डालती नजर नहीं आ रही।
कई सीटों पर मुकाबला कड़ा जरूर है, लेकिन बड़ी तस्वीर में विपक्ष पीछे होता दिख रहा है। विपक्षी नेताओं ने हालांकि यह कहा है कि अभी अंतिम नतीजों का इंतजार किया जाना चाहिए, क्योंकि कई बार रुझानों में किसी समय बड़ा बदलाव देखने को मिल जाता है।
जनता ने किन मुद्दों को ज्यादा महत्व दिया?
मतदाताओं द्वारा दिए गए संकेतों से यह बात साफ है कि इस बार लोग स्थिर शासन और विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। सड़क, बिजली, पानी, अस्पतालों की व्यवस्था और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं मतदाताओं की मुख्य चिंता रहीं।
ग्रामीण इलाकों में लोगों ने अपने अनुभवों के आधार पर NDA को फिर से मौका देने का संकेत दिया। वहीं महिलाओं के बड़े पैमाने पर NDA के पक्ष में मतदान करने की संभावना ने भी गठबंधन की बढ़त को और मजबूती दी।
युवा वर्ग बेरोज़गारी को लेकर चिंतित जरूर था, लेकिन NDA की व्यापक अपील और योजनाओं के प्रभाव के चलते इस मुद्दे का परिणामों पर बड़ा असर नहीं दिख रहा।
विशेषज्ञों की राय: क्या तस्वीर बदल सकती है?
चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि रुझान आमतौर पर अंतिम परिणामों का संकेत देते हैं, लेकिन कुछ बार अंतिम चरण की गिनती में अंतर घटता-बढ़ता रहता है। हालांकि इस बार NDA को जो बड़ी और स्थिर बढ़त मिल रही है, उसे देखते हुए तस्वीर में भारी बदलाव की संभावना काफी कम मानी जा रही है।
अगर NDA 150 से ज्यादा सीटों का आंकड़ा छू लेता है, तो यह गठबंधन के लिए बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल होगा। BJP का प्रदर्शन आने वाले वर्षों में राज्य और राष्ट्रीय राजनीति, दोनों में असर डाल सकता है।
कुल मिलाकर रुझानों से मिल रहे संकेत इस बात को मजबूत करते हैं कि बिहार 2025 विधानसभा चुनाव में NDA भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौट सकता है। BJP इस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने की ओर तेज़ी से बढ़ रही है। अब आखिरी नज़र अंतिम घोषित नतीजों पर रहेगी, जो तस्वीर को पूरी तरह साफ करेंगे। लेकिन फिलहाल के रुझान यही बता रहे हैं कि बिहार की जनता एक बार फिर NDA पर भरोसा करती दिख रही है।



















