AIN NEWS 1: बता दें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगामी दिनों में विपक्षी गठबंधन के एक बड़ा आकार लेने का भरोसा जताते हुए शनिवार को कहा कि 2024 के होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई में क्षेत्रीय दल अपनी अहम भूमिका निभाएंगे. हालांकि, इस प्रस्तावित विपक्षी मोर्चे में कांग्रेस की भी काफ़ी अहम भूमिका पर यादव ने कहा कि यह तो सबसे पुरानी पार्टी को तय करना है. अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘विपक्षी गठबंधन या एक मज़बूत मोर्चा बनाने का प्रयास भी जारी है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (अपने बलबूते) हर प्रकार से प्रयास कर रहे हैं. मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में, एक विपक्षी गठबंधन काफ़ी ज्यादा मज़बूत आकार लेगा, जो भाजपा सरकार के खिलाफ लड़ेगा.
जाने ’’पुरानी पार्टियों के साथ गठबंधन
और एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘कई राज्यों में भाजपा की तुलना में कांग्रेस का कोई भी अस्तित्व नहीं है, लेकिन हर क्षेत्रीय दल भाजपा के खिलाफ अपनी जी जान से लड़ रहे हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि वे सफल होंगे.’’ यह बताए जाने पर कि जनता दल (यूनाइटेड), राजद और द्रविड़ मुनेत्र कषगम जैसे सभी क्षेत्रीय दल विपक्षी गठबंधन में ही कांग्रेस को शामिल करना चाहते हैं, यादव ने कहा कि वे पहले से ही सबसे पुरानी पार्टी के साथ गठबंधन में हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बड़ी लड़ाई का सवाल है और कांग्रेस खुद इस लड़ाई में अपनी भूमिका को तय करेगी.’’यह पूछे जाने पर कि अगले लोकसभा चुनाव में विपक्षी खेमे का मुख्य चेहरा कौन होगा, यादव ने कहा कि इसका फैसला चुनाव के बाद किया जाएगा और अभी यह ‘‘उचित सवाल नहीं है.’’ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिये बिना कहा, ‘‘आप चेहरे की बात कर रहे हैं. वर्ष 2014 और 2019 में चेहरे के बारे में आप क्या कहेंगे, जिन्होंने चुनाव जीतने के लिए ही झूठे वादे किए?’’
जाने अखिलेश यादव का दावा
सपा प्रमुख ने दावा किया कि 2014 और 2019 में ही भाजपा द्वारा किया गया कोई भी वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया. यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर भी चुनाव लड़ेगी, जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, यादव ने आरोप लगाया कि अमेठी में सपा कार्यकर्ताओं की बेरहम हत्या की जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘अमेठी में हमारे कार्यकर्ता मारे भी जा रहे हैं. सपा के कार्यकर्ता सवाल कर रहे हैं कि उनके लिए आख़िर कौन लड़ेगा. वहां के केवल समाजवादी कार्यकर्ता ही एक-दूसरे का साथ दे रहे हैं. कांग्रेस कार्यकर्ता हमारे समर्थन में बिलकुल नहीं आ रहे हैं.’’सपा और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनावों में तो हाथ मिलाया था, लेकिन फिर भी भाजपा से हार गई थी. दो साल बाद हुए लोकसभा चुनावों में, राज्य में सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस पूरी तरह बाहर थी. अडाणी मुद्दे पर सपा प्रमुख ने देश की संपत्ति और जनता के पैसे की कथित रूप से लूट की अनुमति देने के लिए केंद्र की खिंचाई भी की. और उन्होंने सवाल किया, ‘‘तथाकथित नंबर दो (सबसे अमीर आदमी) के बारे में कोई सवाल आखिर क्यों नहीं पूछा जा रहा है? एलआईसी और एसबीआई में सार्वजनिक धन पर कोई जवाबदेही क्यों नहीं है, जो खो रहा है?’’