ब्रज मंडल यात्रा का वही होगा रास्ता, वही पड़ाव… महापंचायत के ऐलान से मेवात में फिर से बढ़ गई गर्मी?

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AIN NEWS 1: जैसा कि आप सभी जानते है हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को काफ़ी ज्यादा हिंसा हुई थी. इस पूरी हिंसा में कुल 6 लोगों की मौत हुई थी. अब इस हिंसा के करीब 15 दिन बाद एक बार फिर से वहा पर तनाव है. इसकी वजह है हरियाणा के पलवल में रविवार को हुई एक बहुत बड़ी महापंचायत. लगभग सभी हिंदू संगठनों द्वारा पलवल के पौंडरी गांव में एक महापंचायत का आयोजन किया गया , इस दौरान 28 अगस्त को फिर से नूंह में ही ब्रजमंडल यात्रा को निकालने का ऐलान भी किया गया है. दरअसल, जान ले 31 जुलाई को हिंदू संगठनों द्वारा नूंह में ही निकाली गई एक ब्रजमंडल यात्रा पर काफ़ी ज्यादा पथराव के बाद ही वहा पर हिंसा फैली थी. पलवल में हुई इस महापंचायत में कई और भी मांगें रखी गईं. इनमें से हिंसा की जांच NIA द्वारा कराना और नूंह को एक गोहत्या मुक्त जिला घोषित करना शामिल है. इस ‘सर्व जातीय महापंचायत’ में पलवल, गुरुग्राम और आसपास के कई अन्य स्थानों के लोगों ने भी हिस्सा लिया और यह फैसला किया गया कि यात्रा नूंह के नलहर से ही शुरू होगी और जिले के फिरोजपुर झिरका के झिर और शिंगार मंदिरों से अब होकर गुजरेगी. यह पूरा वही रास्ता है, जहां से 31 जुलाई को भी शोभायात्रा निकली थी और उसमे काफ़ी ज्यादा हिंसा फैली थी.

इस महापंचायत को संबोधित करते हुए ही हिंदू नेताओं ने अपनी मांग की कि मुस्लिम बहुल जिले नूंह में हिंदुओं को अब आत्मरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस हासिल करने में छूट भी दी जानी चाहिए. इस सभा में हरियाणा गोरक्षक दल के आचार्य आजाद शास्त्री ने इस मामले में कहा कि FIR से न डरें. उन्होंने आगे कहा, हमें तुरंत ही मेवात में लगभग 100 राइफलों का लाइसेंस सुनिश्चित करना चाहिए. ओर इस महापंचायत में वहा से कुछ स्थानीय बीजेपी नेता भी शामिल हुए थे. इसके अलावा वहां पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल समेत कई सारे हिंदू संगठनों ने भी हिस्सा लिया. ओर इसकी अध्यक्षता खाप नेता अरुण जैलदार ने ही की थी. जैलदार ने कहा कि इस बार नूंह में हमारी यात्रा अधूरी रह गई थी. इसे 28 अगस्त को दोबारा से पूरा किया जाना चाहिए.

इस पूरे महापंचायत में यह भी मांग की के नूंह जिले को पलवल और गुरुग्राम जिलों में ही मिला दिया जाए. साथ ही इस हिंसा में हिंदुओं की दुकानों और घरों के नुकसान का भी पूरी तरह से सर्वेक्षण कराया जाए और उन्हें मुआवजा भी दिया जाए. इसमें यह भी मांग की गई कि नूंह में रैपिड एक्शन फोर्स और केंद्रीय बलों की भी चार बटालियनों की भी स्थाई तैनाती की जाए और इस हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ नूंह में दर्ज मामलों की सुनवाई भी इस जिले के बाहर की अदालत में ही की जानी चाहिए. हिंदू नेताओं ने अपनी मांग की कि नूंह में रहने वाले रोहिंग्या और देश के बाहर से आने वाले व किसी भी अन्य स्थान से आए लोगों को पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए और इसे लागू करने के लिए एक ठोस कानून बनाया जाना चाहिए.

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