AIN NEWS 1 नागपुर, महाराष्ट्र: पद्म भूषण और पूर्व ISRO प्रमुख डॉ. के. राधाकृष्णन ने हाल ही में एक कार्यक्रम में भारत की अंतरिक्ष कार्यक्रमों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हमारी आत्मनिर्भरता सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि हमारे लिए एक जुनून बन चुकी है।”
हाल की उपलब्धियाँ
डॉ. राधाकृष्णन ने हाल के कुछ प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों का उल्लेख किया, जिनमें चंद्रयान-3 का चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरना, मार्स ऑर्बिटर मिशन और आदित्य मिशन शामिल हैं। ये मिशन भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को साबित करते हैं और देशवासियों को गर्वित करते हैं।
भविष्य की योजनाएँ
उन्होंने बताया कि वर्तमान पीढ़ी के अंतरिक्ष वैज्ञानिक नए नेतृत्व को मार्गदर्शन दे रहे हैं। इसका उद्देश्य भारतीय स्पेस स्टेशन की स्थापना और 2040 तक भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजना है। डॉ. राधाकृष्णन ने इस बात पर जोर दिया कि यह सभी उपलब्धियाँ और योजनाएँ भारत की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती हैं।
ISRO का महत्व
डॉ. राधाकृष्णन ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि इस कार्यक्रम में दो पूर्व ISRO चेयरमैन की उपस्थिति यह दर्शाती है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र को कितना महत्व दे रहा है। यह न केवल देश की विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में प्रगति को दर्शाता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी है।
निष्कर्ष
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने विश्व स्तर पर एक नई पहचान बनाई है। डॉ. राधाकृष्णन के विचारों ने स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता के प्रति हमारा संकल्प हमें न केवल नई ऊँचाइयों पर पहुँचाएगा, बल्कि हमें अंतरिक्ष में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।
भारत की इस दिशा में की गई मेहनत और योजनाएँ न केवल हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत का फल हैं, बल्कि यह हमारे समस्त नागरिकों के लिए गर्व का विषय हैं। आने वाले वर्षों में, जब हम चंद्रमा और अन्य ग्रहों पर भारतीय झंडा फहराते देखेंगे, तो यह सभी की मेहनत और लगन का परिणाम होगा।