Friday, December 27, 2024

भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाने वाले और दो बार प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का निधन

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AIN NEWS 1 | पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे।

डॉ. सिंह को गुरुवार शाम उनकी तबीयत बिगड़ने पर एम्स, दिल्ली में भर्ती कराया गया था।

हाल के वर्षों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

डॉ. मनमोहन सिंह पिछले कुछ वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूर थे। स्वास्थ्य कारणों से वह सार्वजनिक जीवन में कम नजर आते थे। वर्ष 2024 की शुरुआत से ही उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। जनवरी 2024 में अपनी बेटी की पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उनकी आखिरी सार्वजनिक उपस्थिति दर्ज हुई थी। उन्होंने अप्रैल 2024 में राज्यसभा से सेवानिवृत्ति ली थी।

प्रधानमंत्री के रूप में दो कार्यकाल

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक लगातार दो कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व किया। वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के प्रधानमंत्री थे। इससे पहले 1991 में, नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भारत की आर्थिक उदारीकरण नीति का नेतृत्व किया था।

उनके कार्यकाल के दौरान देश में अभूतपूर्व आर्थिक विकास हुआ, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) जैसे ऐतिहासिक सामाजिक सुधार लागू किए। डॉ. सिंह ने भारत-अमेरिका परमाणु समझौता भी किया, जिसने भारत की दशकों पुरानी परमाणु अलगाव की स्थिति को समाप्त किया।

हालांकि, उनके कार्यकाल में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला और कोयला ब्लॉक आवंटन विवाद जैसे भ्रष्टाचार के मामलों ने उनकी छवि को प्रभावित किया।

आर्थिक सुधारों के शिल्पकार

वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह का कार्यकाल भारतीय आर्थिक इतिहास का एक अहम मोड़ माना जाता है। 1991 में, जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने की कगार पर था, उन्होंने अर्थव्यवस्था को उदार बनाने, निजीकरण को बढ़ावा देने और वैश्विक बाजारों से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण सुधार लागू किए। इन सुधारों ने न केवल उस समय के संकट को टाला बल्कि भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बदल दिया।

आर्थिक विशेषज्ञता और प्रशासनिक योगदान

एक अर्थशास्त्री के रूप में डॉ. सिंह का करियर उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता और नीति निर्माण में योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया। इसके बाद, उन्होंने सार्वजनिक सेवा में कदम रखा।

1972 से 1976 तक वह मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे और मुद्रास्फीति व वैश्विक तेल संकट के दौरान नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान किया। 1982 से 1985 तक वह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे, जहां उन्होंने आर्थिक स्थिरता और वित्तीय विनियमन पर काम किया। 1985 से 1987 तक उन्होंने योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में भारत की दीर्घकालिक आर्थिक रणनीतियों को आकार दिया।

जीवन परिचय

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। 1947 में भारत विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया। विभाजन के मुश्किल दौर में भी उन्होंने शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी में स्नातक किया।

इसके बाद, उन्होंने 1957 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की और 1962 में यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड से डीफिल की उपाधि हासिल की।

डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी असाधारण विद्वता, ईमानदारी और देश के प्रति उनकी सेवाओं के लिए सदैव याद किया जाएगा।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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