नागरिकता पर HSBC का सर्वे
भारत में बसने को बताया गया आसान
भारतीयों के लिए विदेशों में बसना मुश्किल
AIN NEWS 1: दुनियाभर में लोगों का एक से दूसरे देश में बसने का चलन काफी पुराना है। कुछ नौकरी की तलाश में, कुछ कारोबार के विस्तार के बहाने और कुछ अपने मन के मौके मिलने की वजह से दूसरे देशों में बसेरा बना लेते हैं। लेकिन अब HSBC के एक सर्वे में दावा किया गया है कि भारत आने वाले प्रवासियों में से 80 फीसदी को भारत में बसने में 1 साल से भी कम समय लगा। भारत में अपनेपन का अहसास उन्हें औसतन 7.4 महीने में हो गया जो कि 8.3 महीने के वैश्विक औसत से कम है।
नागरिकता पर HSBC का सर्वे
सर्वे में शामिल प्रवासियों की राय के मुताबिक दावा किया गया है कि भारत में बसने वाले 36 फीसदी लोगों को तुरंत ही घर जैसा महसूस होने लगा। 23 फीसदी को 6 महीने से कम और 21 फीसदी लोगों को 6 महीने से लेकर एक साल तक का समय लगा। लेकिन जैसे ही भारतीयों के विदेशों में बसने के आंकड़े सामने आते हैं वैसे ही ये बात और पुख्ता हो जाती है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत में बसना कितना आसान है। HSBC के मुताबिक विदेश में बसने वाले 33 फीसदी भारतीय इस बात से सहमत नहीं हैं कि उन्हें मेज़बान देश में “स्थानीय लोगों जैसा अनुभव” होता है। जबकि ठीक इसी तरह करीब 31 फीसदी लोग अपनेपन के अहसास को लेकर आश्वस्त नहीं नज़र आते हैं। 23 फीसदी भारतीयों को विदेशों में बसने में 1 साल से भी ज़्यादा वक्त लग जाता है।
भारत में बसने को बताया गया आसान
सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में करीब एक तिहाई लोगों के लिए विदेश में बसने की सबसे बड़ी वजह बेहतर जीवनशैली है। विदेशों से भारत आकर बसने वालों को यहां जल्द अपनेपन का अहसास इसलिए भी होता है क्योंकि भारत में स्कूल तलाशने में प्रवासियों को अच्छी मदद मिलती है। 69 फीसदी लोगों को अपने बच्चों के लिए उनकी ज़रूरत के हिसाब से बहुत ही आसानी से स्कूल मिल गया। दूसरे देशों में आसानी से बसने के मामले में संयुक्त अरब अमीरात पहले नंबर पर है। UAE में बसने के लिए दूसरे देशों से आए 40 फीसदी लोगों को तुरंत ही अपनेपन का अहसास हो गया। वहीं भारत में तुरंत ही अपनेपन का अहसास करने वाले लोगों का आंकड़ा 36 फीसदी है।