महंगाई ने घटाई घर की बचत
खरीदने की क्षमता पर बुरा असर
ग्रॉस सेविंग्स 30 साल के न्यूनतम स्तर पर
AIN NEWS 1: महंगाई के असर से लोगों की घरेलू बचत पर बेहद बुरा असर पड़ने लगा है। निवेश फर्म मोतीलाल ओसवाल ने आरबीआई के आंकड़ों का एनालिसिस कर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें दावा किया गया है कि महंगाई ने भारतीयों की बचत को बीते साल में बेहद कम कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 की पहली छमाही में देश की शुद्ध वित्तीय बचत GDP के महज 4 फीसदी के बराबर रही। वहीं 2021-22 की पहली छमाही में देश की शुद्ध वित्तीय बचत GDP के 7.3 परसेंट के बराबर थी। जबकि 2020-21 में वित्तीय बचत जीडीपी का 12 फीसदी थी।
महंगाई ने घटाई घर की बचत
अगर इस बचत को रकम में बदलकर देखा जाए तो फिर 2022-23 की पहली छमाही में वित्तीय बचत 5.2 लाख करोड़ रुपए रही। जबकि 2021-22 में ये करीब 17.2 लाख करोड़ रुपए थी। जानकारों का मानना है कि इसके घटने से आगे चलकर लोगों की खरीद क्षमता भी प्रभावित होने की आशंका है। वित्तीय बचत के साथ ग्रॉस सेविंग्स में भी कमी आई है और ये घटकर 30 साल के सबसे निचले स्तर पर लुढ़क गई हैं। ग्रॉस सेविंग्स देश की जीडीपी के 15.7 फीसदी के बराबर रही हैं। जबकि बीते 5 साल में ये GDP की औसतन 20 फीसदी रही है।
खरीदने की क्षमता पर बुरा असर
बचत घटने की प्रमुख वजह पेट्रोल-डीजल, FMCG, ऑटोमोबाइल जैसे मुख्य सेक्टर्स में कीमतों में हुई बढ़ोतरी है। दिलचस्प बात है कि महंगाई ने वित्तीय बचत को भले ही प्रभावित किया हो लेकिन प्रॉपर्टी और सोने में होने वाली फिजिकल सेविंग बेअसर है। घटती शुद्ध वित्तीय बचत की बड़ी वजह घटती ग्रॉस सेविंग्स और बड़ी वित्तीय देनदारियां हैं। 2022-23 की पहली छमाही में घरेलू देनदारियां जीडीपी की 5 फीसदी रही। बीते साल में ये आंकड़ा जीडीपी का 3.9 फीसदी था।
ग्रॉस सेविंग्स 30 साल के न्यूनतम स्तर पर
रिपोर्ट में भरोसा जताया गया है कि घरेलू वित्तीय बचत की गिरावट अस्थाई है। आने वाली तिमाही में ये जीडीपी के 7-8 फीसदी के स्तर तक पहुंच सकती है। अगर बचत नहीं बढ़ी तो निवेश घटेगा जिससे अर्थव्यवस्था पर बाहरी दबाव बढ़ सकता है। इससे देश की आर्थिक रफ्तार में सुस्ती आ सकती है2022-23 की तीसरी तिमाही में ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च में 5.3 परसेंट की बढ़ोतरी देखने को मिली है। खपत में बढ़ोतरी महज 4.6 फीसदी रही जो बीती 3 तिमाहियों में सबसे कम है।