AIN NEWS 1: महाराष्ट्र सरकार ने जन्म प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया में एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव किया है। राज्य में लंबे समय से फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों के मामले सामने आ रहे थे, जिसके कारण सरकार ने इस दिशा में सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। इसी सिलसिले में अब यह स्पष्ट कर दिया गया है कि आधार कार्ड को जन्म प्रमाणपत्र बनाने के लिए अनिवार्य दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही सिर्फ आधार कार्ड के आधार पर जारी किए गए सभी पुराने जन्म प्रमाणपत्रों को भी रद्द करने का निर्देश दिया गया है।
फर्जी प्रमाणपत्रों पर लगाम कसने की कोशिश
राज्य सरकार का कहना है कि कई लोग आधार कार्ड में दर्ज जानकारी का गलत इस्तेमाल करके फर्जी जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र तैयार करा लेते थे। कई मामलों में आधार कार्ड में संशोधन करवाकर उस पर दर्ज उम्र या जानकारी बदल दी जाती थी, और फिर उसी आधार पर प्रमाणपत्र बनवा लिया जाता था। ऐसे दस्तावेज आगे चलकर सरकारी योजनाओं, स्कूल एडमिशन, संपत्ति मामलों, या पहचान संबंधी मामलों में बड़े विवाद पैदा करते थे।
इसी समस्या को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने यह कदम उठाया है, ताकि फर्जीवाड़े को रोका जा सके और जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों की विश्वसनीयता बनी रहे।
आधार आधारित सभी संदिग्ध प्रमाणपत्र होंगे रद्द
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पिछले समय में आधार कार्ड के आधार पर जारी किए गए सभी संदिग्ध बर्थ सर्टिफिकेट तुरंत रद्द कर दिए जाएं। इसके अलावा, ऐसे सभी मामलों की समीक्षा की जाएगी और यदि कहीं गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का मानना है कि प्रणाली को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए पुराने रिकॉर्ड की समीक्षा बेहद जरूरी है। इससे न केवल गलत प्रमाणपत्र हटेंगे बल्कि भविष्य में होने वाली धोखाधड़ी भी कम होगी।
अब जन्म प्रमाणपत्र के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होगी?
नए नियमों के तहत जन्म प्रमाणपत्र जारी करने के लिए माता-पिता को वैध और प्रमाणिक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इनमें शामिल हैं—
हॉस्पिटल का जन्म रिकॉर्ड
माता-पिता का पहचान पत्र
निवास प्रमाण
जन्म से जुड़ी अस्पताल या दाई की रिपोर्ट
ग्राम पंचायत/नगर निगम के निर्धारित फॉर्म
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पहचान सत्यापन की प्रक्रिया अब पहले से अधिक सख्त और चरणबद्ध होगी।
आधार क्यों नहीं चलेगा?
कई लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि जब आधार देश का सबसे बड़ा पहचान प्रमाण है, तो इसे जन्म प्रमाणपत्र के लिए क्यों नकारा जा रहा है?
दरअसल, आधार कार्ड एक self-declared दस्तावेज माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि इसमें दर्ज जन्मतिथि या कुछ जानकारियां व्यक्ति की ओर से दी जाती हैं, और उनका हमेशा सरकारी स्रोतों से क्रॉस-वेरिफिकेशन नहीं होता। यही वजह है कि अदालतें भी कई मामलों में आधार को जन्मतिथि साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज नहीं मानतीं।
महाराष्ट्र सरकार ने भी इसी आधार पर जन्म प्रमाणपत्र से आधार को अलग रखने का निर्णय लिया है।
लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
सरकार के इस फैसले से उन लोगों को थोड़ी परेशानी हो सकती है जिनके प्रमाणपत्र पुराने सिस्टम के तहत बने थे। हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि जिन प्रमाणपत्रों में कोई गड़बड़ी नहीं है, उन्हें सिर्फ सत्यापन प्रक्रिया से गुजरना होगा।
दूसरी ओर, यह कदम आने वाले वर्षों में जन्म-मृत्यु रिकॉर्ड को अधिक सुरक्षित, सटीक और प्रमाणिक बनाएगा। इससे सरकारी योजनाओं, सेवाओं और दस्तावेज़ सत्यापन में भी आसानी होगी।
आगे क्या?
राज्य सरकार अब डिजिटल रिकॉर्ड सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रही है। जन्म और मृत्यु से संबंधित डेटा अब एक केंद्रीकृत पोर्टल में अपडेट किया जाएगा, जहाँ किसी भी तरह की छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं रहेगी।
इसके साथ ही अस्पतालों, नगर निगमों और पंचायतों को भी निर्देश दिए गए हैं कि रिकॉर्ड सही और समय पर पोर्टल पर अपडेट किए जाएँ।
The Maharashtra government has announced strict new rules for issuing birth certificates, cancelling all certificates that were created solely using an Aadhar Card. This policy aims to prevent document fraud, ensure accurate identity verification, and improve the reliability of birth and death records across the state. The new guidelines require authentic hospital records and verified identity documents instead of relying on Aadhar-based information, which is often self-declared. These updated rules strengthen transparency and help maintain secure public records.



















