AIN NEWS 1: बता दें 2014 में दिल्ली के पंजाबी बाग से ही एक महिला ने बच्चे को साज़िश के तहत किडनैप किया था. और उस बच्चे से नौकरों की तरह काम कराया गया. बाद में महिला ने उसे एक चाइल्ड होम में छोड़ भी दिया. अब 8 साल बाद दिल्ली पुलिस बच्चे को उसके परिवार से मिलाने में सफल हो पाई है है.
आपको बता दें 8 साल पहले लापता हुए बच्चे के मिलने की आस एक मां ने मानो लगभग खो ही दी थी. परिजनों ने मासूम के लौटने की सभी उम्मीद खोकर सिर्फ उसकी अच्छी यादों के सहारे ही जीवन काटने का पूरा फैसला भी कर लिया था. लेकिन तभी एक फोन कॉल से उनका सबकुछ बदल जाता है. दिल्ली पुलिस मां-बाप से उस खोए हुए बच्चे को मिलवाती है.
वह 4 साल की उम्र में लापता हुए बच्चे को जब 8 साल बाद मां अपने सामने पाती है, तो उसका खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता. यह मामला दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके का है. जहां दिल्ली पुलिस की मुहिम से 12 साल का बच्चा अपने मां-बाप से आखिरकार मिल पाया. आईए जानते हैं कि पूरा मामला आखिर क्या है?
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बता दें दिल्ली के पंजाबी बाग से 2014 में एक महिला मात्र 4 साल के बच्चे को किडनैप करती है. इसके बाद वह महिला उस बच्चे से जबरन अपने घर का काम नौकरों की तरह उससे कराती है. और तो और वह उस बच्चे को तमाम यातनाएं भी देती है. जब उस महिला का मन इतने अत्याचारों के बाद भी नहीं भरता, तो वह उसे बिहार ले कर जाती है. बिहार में भी उसे उसी प्रकार बंधक बनाकर उसके साथ मारपीट व यही सब होता है. तभी महिला के पड़ोसी पुलिस को उस बच्चे के बंधक होने की सूचना देते हैं.
लेकिन जब तक पुलिस उस बच्चे के पास पहुंचती, महिला गिरफ्तार होने के डर से वहा से दिल्ली भाग आती है. महिला बच्चे को दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक चाइल्ड होम में दे देती है. कुछ हफ्तों बाद महिला को सूचना मिलती है कि वो बच्चा चाइल्ड होम से भाग गया. इस घटना के करीब 15 दिन बाद महिला को वह बच्चा रेलवे स्टेशन पर फिर से घूमता हुआ दिख जाता है. महिला उसे फिर पकड़ लेती है, उसे वह फिर बिहार लेकर आती है. उससे मजदूरी कराती है. कुछ समय बाद बच्चे का संपर्क दिल्ली की एक महिला से होता है, जो कोरोना और लॉकडाउन के चलते अपने घर बिहार मे गई थी. ये महिला बच्चे को दिल्ली लेकर आती है. इसके बाद वह बच्चे के माता पिता को भी भी खोजने की पूरी कोशिश करती है. लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिलती. वह बच्चे को जामिया पुलिस स्टेशन ले कर जाती है, इसके बाद उस बच्चे को लाजपत नगर में चाइल्ड होम में भेज दिया जाता है.
इसके बाद सामान्य प्रक्रिया के तहत एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) की सभी टीम सभी चाइल्ड होम में जाकर बच्चों के बारे में सारी जानकारी इकट्ठा करती है. इसके बाद वे बच्चों से भी बातचीत कर कुछ जानकारी हासिल करने की कोशिश भी करते हैं. यहां से मिली जानकारी का लापता बच्चों के डेटा से मिलान किया जाता है. इसी तरह AHTU की यूनिट लाजपत नगर चाइल्ड होम पहुंची और बच्चे के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा की. तमाम प्रयासों और बच्चों से बातचीत के आधार पर वे परिवार के बारे में जानकारी निकालने का पूरा प्रयास करते हैं. टीम को इस मामले में भी काफी जांच के बाद पता चला कि बच्चे का परिवार अब करमपुरा मोतीनगर में रहने लगा है. इसके बाद उन्होंने उस परिवार से संपर्क किया और बच्चे को उसके मां बाप से मिलवाया. इस दौरान दोनों एक दूसरे को पहचान भी गए. कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्चा अपने माता पिता के पास वापस पहुंच गया. अब पुलिस अपहरण करने वाली महिला की जांच कर रही है. AHTU वेस्ट की टीम 2022 में अब तक 127 बच्चों का पता लगाकर उन्हें उनके माता पिता से मिलवाने में सफल हुई है.