बीते करीब डेढ़ साल से दुनियाभर में कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है। इसके बाद से कोरोना की लहरों का कहर तो कम हुआ है लेकिन ये खत्म होने को तैयार नहीं हैं। अभी भी चीन और यूरोप के कई देशों में कोरोना की चौथी लहर चल रही है। इससे चीन में तो ऐसा भीषण लॉकडाउन लगाना पड़ा है कि वहां पर इकॉनमी भी सुस्त पड़ने लगी है। संक्रमण को रोकने के लिए इतने सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं कि लोगों को घरों पर सामान की डिलीवरी तक लेने से रोक दिया गया है। ऐसे में घूमफिरकर सभी उम्मीदें फिर से वैक्सीन की तरफ मुड़ जाती हैं। अब साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन जर्नल में छपी एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना से लड़ने में ओरल वैक्सीन ज्यादा कारगर साबित हो सकती है। स्टडी के मुताबिक मुंह के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन ने जानवरों में बीमारी की डिग्री को सीमित कर दिया है। दावा किया गया है कि इससे हवा के ज़रिए फैलने वाले संक्रमण पर भी रोक लगी है। रिसर्च टीम ने सार्स कोव-2 वायरस हैम्सटर के शरीर में टीके के साथ छोड़ा जिसने खून और फेफड़ों में एक मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाई। ड्यूक यूनिवर्सिटी की रिसर्चर स्टेफनी एन लैंगेल की अगुवाई में ये रिसर्च की गई है। स्टेफनी के मुताबिक दुनिया भर में कम इम्युनिटी देखी जा रही है जो बच्चों में तो वाकई में कम है। इस बात की संभावना हमेशा से बनी हुई है कि वैक्सीनेटेड शख्स भी खुद बीमार हो या ना हो लेकिन दूसरे लोगों में इसे फैला सकता है। ऐसे में इस तरह की वैक्सीन बहुत जरूरी है जो लोगों को वायरस से सुरक्षित रखे और उसे फैलने ना दे जिससे गैर वैक्सीनेटेड लोग भी सुरक्षित रहें स्टडी से पता चला है कि मुंह या नाक से सार्स कोव-2 वैक्सीन दिए गए हैम्स्टर्स में इंजेक्शन के जरिए दी गई वैक्सीन के मुकाबले में नाक और फेफड़ों में कम संक्रमण मिला। रिसर्चर्स मानते हैं कि कम संक्रमण होने के कारण ही नाक और मुंह से ज्यादा वायरस नहीं फैलते। रिसर्च में कहा गया है कि अगर इस तरह वैक्सीन इंसानों पर भी असर करती है तो टीकाकरण करा चुके लोग भी वायरस नहीं फैला सकेंगे।