AIN NEWS 1: दिल्ली के ही मुखर्जी नगर में गुरुवार को एक कोचिंग सेंटर में अचानक आग ने काफ़ी दहशत पैदा कर दी. आपके टीवी पर दिख रहे वो दृश्य जिसमें स्टूडेंट्स बंधी रस्सी के सहारे ही बहुमंजिला इमारत से नीचे बारी बारी उतर रहे, किसी को भी अन्दर तक दहला दें. फिर सोचिए कि आख़िर उन पेरेंट्स का क्या हाल होगा जिनके बच्चे दूरदराज के राज्यों से आकर यहां पर कोचिंग कर रहे हैं. दिल्ली का बेहद पॉश इलाका माना जाने वालाा मुखर्जी नगर पूरे देश में एक कोचिंग हब के तौर पर भी जाना जाता है. यहां पर SSC से लेकर यूपीएससी और अन्य कई परीक्षाओं की तैयारी के लिए छात्र दूर दराज से यहां आते हैं.
उत्तर प्रदेश के रहने वाले विजय मिश्रा साल 2015 से यहां यूपीएससी की तैयारी में जुटे हैं. विजय मिश्रा यहां के हालात बताते हुए कि मुखर्जी नगर इलाके में इस प्रकार से आग लगने की घटना और ये तस्वीरें भविष्य में किसी बड़ी अनहोनी का संकेत है. यहां पर चारों तरफ ही तारों का जाल बिखरा है. ये तार सिर्फ बिजली विभाग के ही नहीं हैं, इनमें इंटरनेट और डिश वालों ने भी अपने तारो को उलझा रखा है. तारों की मरम्मत का कोई भी नियम नहीं है.
जान ले कैसा है मुखर्जी नगर, कैसे रह रहे यहां छात्र
विजय मिश्रा की इन बातों को समझने के लिए हमें सबसे पहले इस पूरे मुखर्जी नगर को ही समझना होगा. यहां पर रहकर करीब सात साल तैयारी कर चुके और वर्तमान में बिजनेस कर रहे यशस्वी सावर्ण्य इन सभी हालातों को बहुत ही करीब से जी चुके हैं. यशस्वी बताते हैं कि दरअसल मुखर्जी नगर हिंदी मीडियम छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का एक कोचिंग हब है. यहां पर कोचिंग का एक पूरा बाजार सजा है. यहां पर कोचिंग्स का स्टेटस तो पूछिए ही मत, यहां पर कई बिल्डिंग्स ऐसी हैं जो एक अजीब से अंधेरे में ही घिरी हैं. यहां पर जाने वाली सीढ़ियों पर इतना ज्यादा अंधेरा रहता है कि मोबाइल से लाइट जलाकर ही छात्र इनपे चढ़ते हैं. इस पर सीढ़ियां इतनी ज्यादा संकरी है कि दो लोग सीधे खड़े हो जाओ तो सब ब्लॉक हो जाए. यहां क्लासेस भले ही शानदार हैं मगर अंधेरा चीरकर ही ये क्लासेस आपकों मिलती हैं. फिर यहां कोचिंग्स की बात ही अलग है. ये लोग लगातार ही नया हॉल नया ब्रांच लांच करते हैं. न किसी छात्र को ये जीएसटी बिल देते हैं, न ही केाई सुरक्षा की गारंटी, न आग या प्राकृतिक आपदा के लिए यहां पर तय मानक पूरे करते हैं.
बहुत कोचिंग तो माचिस की डिबिया
इसी इलाके में अपनी तैयारी कर चुकी पांडेय कहती हैं कि मेरी नजर से देखिए तो मुखर्जी नगर एक तरह से केवल माचिस की डिबिया है. यहां पर लोगों ने अपने किचन तक को रेंट पर उठा रखे हैं. यहां के नेहरू विहार, गांधी विहार, इंद्रा विकास और परमानंद कॉलोनी का यही स्टेटस है कि यहां पर मात्र 25 25 गज के पांच पांच मंजिल के घर बने हैं. इसमें एक में मकान मालिक और बाकी में उनके यहां बच्चे रहते हैं. कुछ लोगों ने तो एलाउ न होने के बावजूद भी छठी मंजिल में एक रूम टेंपरेरी बनाकर उसे भी किराये पर दे रखा है. सीढ़ियां इतनी ज्यादा स्ट्रेट हैं कि अगर एक बार पैर फिसले तो आप दो फ्लोर नीचे ही आएंगे.
यहां पर मॉरल पोलिसिंग भी ज्यादा
लड़कियों के पेरेंट्स भी ज्यादातर यहां पीजी यानी पेइंग गेस्ट में रहने का विकल्प ही चुनते हैं. आकांक्षा कहती हैं कि यह कमोबेश रेट तो बाहर की ही तरह पड़ते हैं. लेकिन लड़के रात में यहां लाइब्रेरी में पढ़ सकते हैं. लड़के यहां आपस में डिस्कशन कर सकते हैं. लेकिन ज्यादातर पीजी में एक टाइम लिमिट सेट है. यहां लड़कियों को साफ़ कहा जाएगा कि किसी स्थिति में भी 9 बजे आ जाइएगा. अगर घर वाले चार दिन के लिए आ जाएंगे तो कुछ घरों में 50 रुपये पर डे एक्स्ट्रा देना ही पड़ेगा. रूम में कोई दोस्त तीन दिन रहने आती है तो किराये पर सवाल उठता है.
इस मामले में खतरे में पड़ जाएगी रोजी-रोटी
बक्सर बिहार के दीपक सिंह कहते हैं कि यहां के मकानों में रहने वाले छात्र सच में बहुत तपस्या ही कर रहे हैं. यहां 80 पर्सेंट फ्लैट तो ऐसे होंगे जिनमें धूप तक नहीं आती. नेहरू विहार के ए ब्लाक का कुछ हिस्सा तो ठीक है लेकिन ब्लॉक बी, सी और डी तो किसी तरह स्लम से कम नहीं. हालात ये हैं कि यहां मकान मालिकों की कमाई का मुख्य जरिया ही किरायेदार हैं. एकबारगी अगर स्टूडैंट हट जाएं तो उनकी रोजी रोटी भी खतरे में पड़ जाएगी.
यहां पर हर चीज का बिल ज्यादा
यहां रहने वाले दीपक कहते हैं कि हमें यहां जैसे हर चीज पर ज्यादा ही पे करनी होती है. जैसे यहां बिजली 10 से 12 रुपये प्रति यूनिट छात्र दे रहे हैं. नेहरू विहार के 25 गज में रहने का खर्च भी 9000 रुपये के करीब आता है. इसमें आपको एक रूम किचन टॉयलेट ही मिलता है. अब अपना खाना खुद बनाएं या टिफिन सर्विस लगाएं, महंगाई छात्र को ही झेलती है. यहां गैस सिलेंडर लेने जाने जाएंगे तो यह स्टूडेंटस को 250 से 300 रुपये तक महंगा मिलता है. सब्जी का रेट भी हमारे लिए हाई है. ऑटो वाले भी कई बार हमसे पैसा बढ़ाकर लेते हैं.
अब समझिए यहां की डेमोग्राफी
इस इलाके में ही हर साल देशभर के अलग अलग राज्यों से 10 हजार से ज्यादा लड़के और लड़कियां आईएएस या सरकारी अफसर बनने का सपना आखों में लेकर आते हैं. यूपीएससी की तैयारी कराने वाले कोचिंग इंस्टीट्यूट की भी इस इलाके में काफ़ी ज्यादा भरमार है. यहां बैंकिंग व अन्य स्नातकोत्तर के बाद की प्रतियोगी परीक्षाओं का भी खूब ज्यादा क्रेज है. मुखर्जी नगर व आसपास के क्षेत्रों में ही हर साल करीब एक लाख छात्र तैयारियों के लिए यहां पहुंचते है. यहां से दिल्ली यूनिवर्सिटी काफ़ी करीब है तो वो छात्र भी रहते हैं जिन्हें यहां हॉस्टल नहीं मिल पाता है. यहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले ज्यादातर छात्र उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा, मध्यप्रदेश से ही होते हैं. इसके अलावा यहां कर्नाटक, उड़ीसा, पूर्वोत्तर राज्यों के छात्र भी पहुंचते हैं.