AIN NEWS 1: सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें दोबारा वाई श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है, लेकिन आज़म खान ने इसे स्वीकार करने से साफ़ इनकार कर दिया है। उन्होंने सरकार के फैसले पर तंज कसते हुए कहा—
“मैं तो मुर्गी-बकरी चोर हूं, मुझे कैसी सुरक्षा दी जा सकती है?”
यह बयान न केवल व्यंग्यात्मक था, बल्कि उनके पुराने मामलों और राजनीतिक हालातों पर एक गहरा कटाक्ष भी था।
23 महीने जेल में रहने के बाद रिहाई और सुरक्षा बहाली
करीब 23 महीने तक सीतापुर जेल में रहने के बाद आज़म खान जमानत पर रिहा हुए थे। रिहाई के बाद अब सरकार ने उनकी सुरक्षा बहाल कर दी है। लेकिन खुद आज़म खान का कहना है कि उन्हें सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं है और न ही वे इसका खर्च उठा सकते हैं।
उन्होंने कहा,
“हमारे पास इतने साधन नहीं कि सुरक्षाकर्मियों की देखभाल और वाहन की व्यवस्था कर सकें। सरकार चाहती है तो पूरी व्यवस्था खुद करे, हम पर यह बोझ न डाले।”
“हमें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली”
एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में आज़म खान ने बताया कि उन्हें सुरक्षा दिए जाने की कोई लिखित जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे भरोसा करें कि जो हथियारबंद लोग वर्दी में आए हैं, वे वाकई पुलिस के ही हैं?
उनके मुताबिक—
“ना शासन से कोई पत्र आया है, ना सुरक्षा देने वालों की तरफ से कोई औपचारिक सूचना। वैसे भी वाई श्रेणी सुरक्षा के तहत एक गाड़ी दी जाती है, जो भेजी नहीं गई। हमारे पास इतनी आर्थिक क्षमता नहीं कि उनके आने-जाने का खर्च उठा सकें।”
“दिल्ली इलाज के लिए जाना होता है, सुरक्षा कर्मियों को कैसे ले जाएं?”
आज़म खान ने आगे कहा कि उन्हें अक्सर इलाज के लिए दिल्ली जाना पड़ता है। ऐसे में सुरक्षा कर्मियों को साथ ले जाने और उनके रहने-खाने का खर्च उठाना उनके लिए संभव नहीं है।
उन्होंने बताया,
“हमने संदेश भेज दिया है कि अगर सुरक्षा दी जा रही है, तो सुरक्षाकर्मियों की गाड़ी की भी व्यवस्था की जाए। हमारे पास अपने खर्च पर ऐसा करना संभव नहीं है।”
“सरकार ने मकान बनवाए, गिरवाए और खाली कराए, लेकिन सजा मुझे दी”
आज़म खान ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार ने जो भी कार्रवाई की, उसका नुकसान उन्हें ही भुगतना पड़ा।
उनके शब्दों में,
“सरकार ने मकान बनवाए, गिरवाए, खाली कराए, लेकिन सजा मुझे दी गई। मुकदमे मुझ पर लगाए गए। ऐसे में अब अगर वही सरकार सुरक्षा दे रही है तो इस पर भरोसा कैसे किया जाए?”
“सुरक्षा पर भी सरकार में मंथन हो रहा है”
आज़म खान ने व्यंग्य करते हुए कहा कि उन्हें मीडिया के जरिए पता चला कि शासन में इस पर भी चर्चा हो रही है कि क्या “सजायाफ्ता” व्यक्ति को सुरक्षा दी जानी चाहिए या नहीं।
उन्होंने कहा,
“हमने तो ऐसे लोगों को देखा है जो कभी विधायक भी नहीं रहे, फिर भी वे सुरक्षा के घेरे में घूमते हैं। लेकिन जब बात हम पर आती है तो सरकार मंथन करने लगती है।”
वाई श्रेणी सुरक्षा में क्या होता है?
वाई श्रेणी की सुरक्षा में किसी व्यक्ति को पांच पुलिस कॉन्स्टेबल और तीन गनर या निजी सुरक्षा अधिकारी दिए जाते हैं। ये सुरक्षाकर्मी चौबीसों घंटे उस व्यक्ति के साथ रहते हैं और उसकी हर गतिविधि की निगरानी करते हैं।
हालांकि आज़म खान का कहना है कि उन्हें न तो कोई गाड़ी मिली और न ही औपचारिक दस्तावेज, इसलिए वह इस सुरक्षा को स्वीकार नहीं कर सकते।
“न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए…”
आज़म खान ने अपने पुराने अंदाज़ में शायराना तंज भी कसा। उन्होंने कहा,
“वैसे भी हमारा क्या, न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए। फिर लोग कहेंगे, मरहूम बहुत अच्छे आदमी थे। कोई यह नहीं कहेगा कि मरहूम बकरी चोर या प्रोफेसर पत्नी के साथ शराब की दुकान के लुटेरे थे…”
उनकी बातों में व्यंग्य के साथ एक भावनात्मक लहजा भी झलक रहा था—जैसे वे अपनी राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर खुद ही कटाक्ष कर रहे हों।
“हमारे विरोधियों को कमांडो, हमें तंज”
आज़म खान ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफ था। उन्होंने कहा,
“ऐसे-ऐसे लोगों को केंद्र सरकार ने कमांडो सुरक्षा दी हुई है, जो हमारे विरोधी हैं। अगर सरकार को हमारी इतनी चिंता है, तो हमें भी वही सुरक्षा दे जितनी हमारे विरोधियों को दी गई है।”
उनका यह बयान स्पष्ट रूप से भाजपा नेता आकाश सक्सेना की ओर इशारा माना जा रहा है, जो आज़म खान के पुराने सियासी प्रतिद्वंद्वी हैं।
राजनीति या व्यंग्य – जनता में चर्चा गर्म
आज़म खान के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोगों ने इसे उनकी राजनीतिक रणनीति बताया, तो कुछ ने कहा कि यह उनकी सच्ची बेबसी की झलक है।
हालांकि एक बात तो तय है—आज़म खान अपनी बातों से आज भी राजनीतिक बहस का केंद्र बनने की क्षमता रखते हैं।
आज़म खान का “सुरक्षा से इनकार” केवल एक सरकारी निर्णय पर प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि यह उनके राजनीतिक सफर, समाज में बनी छवि और सत्ता से दूरी की एक प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति भी है।
उनके तंज में व्यंग्य है, लेकिन उसके भीतर वर्षों की नाराजगी, असुरक्षा और हताशा भी झलकती है।
Samajwadi Party leader Azam Khan has refused the Y-category security recently restored by the UP government, calling it unnecessary and unaffordable. In his interview, Azam Khan sarcastically said, “I am a goat and chicken thief, why do I need protection?” He questioned the government’s intent and reliability, adding that he lacks resources to maintain the security staff. The Azam Khan news has sparked political debate, linking UP politics, Samajwadi Party controversies, and government security protocols into one major discussion.