AIN NEWS 1: बता दें समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से अब खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव में तो अभी देर है लेकिन नेताजी की तेरहवीं से पहले ही ये चर्चा काफ़ी तेज हो गई है कि इस सीट से अखिलेश यादव किसे सपा का टिकट देंगे। और अगर सपा अध्यक्ष अपने चाचा व प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को कैंडिडेट नहीं बनाते हैं तो क्या शिवपाल अपने भाई मुलायम की सीट पर बीजेपी के समर्थन से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ जाएंगे। ये रही सारी बातें, ये होगा तो वो होगा जैसी कहानी है लेकिन अगर किसी चीज की खुली चर्चा होने लगे तो यह मानने में कोई हर्ज नहीं है कि कहानी के पात्रों के मन में भी अब ये समीकरण बन और बिगड़ रहे होंगे।
मैनपुरी लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव 1996 में पहली बार ही सांसद बने थे जब उनके प्रधानमंत्री बनने तक की संभावना बनी थी लेकिन लालू यादव के विरोध के कारण वो पीएम उस समय नहीं बन सके। मुलायम सिंह फिर 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी इस सीट से जीतकर संसद पहुंचे। चुनाव के बाद मुलायम के सीट छोड़ने की वजह से मैनपुरी से उप-चुनाव के जरिए उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव और उनके पोते तेज प्रताप यादव भी लोकसभा पहुंच चुके हैं। कुल मिलाकर मुलायम की इस सीट पर मुलायम परिवार के दो बच्चे उप-चुनाव के रास्ते लोकसभा पहुंचे। एक बार फिर उनके निधन से उप-चुनाव की स्थिति अब पैदा हो गई है।चर्चा में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के साथ-साथ धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप यादव के भी नाम हैं। तीनों ही उप-चुनाव जीतकर ही पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। डिंपल पहली पसंद और धर्मेंद्र दूसरी पंसद हो सकते हैं। लेकिन मुलायम परिवार में राजनीतिक झगड़े के एक मोर्चे पर शिवपाल सिंह यादव हैं जो अपनी पार्टी प्रसपा बनाकर अपनी राजनीति कर रहे हैं। मुलायम के निधन के बाद अखिलेश यादव ने कोई बयान नहीं दिया है लेकिन शिवपाल ने राजनीति या उप-चुनाव पर बिना चर्चा किए अपने और अपने लोगों के सम्मान की बात उठा ही दी है।
आजगमढ़ और रामपुर छीनने के बाद सपा के तीसरे गढ़ मैनपुरी पर है बीजेपी की कड़ी नजर
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सम्मान का सवाल उठाकर शिवपाल ने ये तो संकेत दे दिया है कि अखिलेश और सपा को लेकर उनका नजरिया मुलायम सिंह के निधन से पहले जैसा था, वैसा ही अब बिल्कुल भी है। बहुत तेज चर्चा है कि अखिलेश अगर मुलायम सिंह की सीट से चाचा शिवपाल सिंह को टिकट नहीं देते हैं तो शिवपाल मैनपुरी लोकसभा सीट से निर्दलीय ही उपचुनाव मे लड़ जाएं। इस तरह की चर्चा करने वालों का ये भी कहना है कि ऐसी सूरत में बीजेपी मैनपुरी सीट से कैंडिडेट नहीं देगी और खुलकर या इशारों में वोटरों से शिवपाल को वोट करने को कहेगी।अखिलेश यादव की आजगमढ़ और आजम खान की रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव जीतकर बीजेपी के हौसले पहले ही बुलंद हैं और वो मैनपुरी भी झटकने की अपनी पूरी कोशिश कर सकती है। सपा का गढ़ कही जाने वाली मैनपुरी सीट सपा से छीनने के लिए बीजेपी कैंडिडेट दे या किसी निर्दलीय को सपोर्ट कर दे, दोनों उसकी राजनीति को सूट करता है। वैसे सपा में कुछ लोगों को लगता है कि मुलायम सिंह यादव के नरेंद्र मोदी और अमित शाह से निजी संबंध इतने अच्छे रहे हैं कि इस बात की भी संभावना है कि मुलायम सिंह के सम्मान में बीजेपी इस सीट पर उपचुनाव में अपना कैंडिडेट ही ना दे।