AIN NEWS 1: बिहार के मोतिहारी में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिसिया जांच पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रंजीत कुमार नाम का एक व्यक्ति पिछले पांच महीने से उस जुर्म की सज़ा भुगत रहा था, जो उसने किया ही नहीं था। उस पर आरोप था कि उसने अपनी पत्नी की हत्या कर दी है। जबकि शुरुआत से ही रंजीत का कहना था कि उसकी पत्नी घर छोड़कर चली गई है और वह इसके सबूत भी पुलिस को दिखा चुका था। इसके बावजूद पुलिस ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया और उसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
पांच महीने जेल में, फिर भी पुलिस साबित नहीं कर सकी हत्या
रंजीत कुमार शुरू से ही यह दावा करते रहे कि उन्होंने अपनी पत्नी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। उनका कहना था कि उनकी पत्नी खुद ही घर से चली गई थी और वह यह साबित करने के लिए उन्होंने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध कराए थे। इन फुटेज में reportedly वह महिला अपने घर से किसी के साथ जाते हुए दिख रही थी।
लेकिन पुलिस ने रंजीत की किसी बात को गंभीरता से लेने के बजाय उन पर ही शक की सुई टिकाई रखी। बिना ठोस सबूत के रंजीत को हिरासत में ले लिया गया और उन्हीं आरोपों के आधार पर जेल भेज दिया गया।
पांच महीने बीत जाने के बाद जब मामला कोर्ट में पहुँचा और अदालत ने पुलिस से हत्या के सबूत पेश करने को कहा, तब पुलिस के पास कोई ठोस प्रमाण नहीं था। ना कोई शव, ना कोई हत्या का हथियार, और ना ही कोई प्रत्यक्षदर्शी—कुछ भी ऐसा नहीं था जिससे यह साबित हो सके कि महिला की हत्या हुई है।
परिवार ने खुद खर्च करके ढूंढ निकाली महिला
सबसे हैरानी की बात यह रही कि जिस महिला को पुलिस मृत मानकर रंजीत को जेल भेज चुकी थी, वह दिल्ली में अपने प्रेमी के साथ जिंदा पाई गई।
महिला के मायके पक्ष ने जब पुलिस पर भरोसा करते-करते हार मान ली, तब उन्होंने खुद पैसे खर्च कर जांच शुरू की। अलग-अलग जगहों से जानकारी जुटाई और कई लोगों से पूछताछ की। लगातार प्रयास के बाद परिवार को यह पता चला कि महिला दिल्ली में अपने प्रेमी के साथ रह रही है।
इसके बाद परिजनों ने दिल्ली जाकर महिला को बरामद किया और उसे मोतिहारी लाकर कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने इसपर कड़ी नाराज़गी जताते हुए पुलिस से पूछा कि आखिर बिना किसी सबूत के एक व्यक्ति को इतने दिनों तक जेल में क्यों रखा गया।
रंजीत की जिंदगी पर भारी पड़ा झूठा आरोप
पांच महीने की जेल किसी भी आम व्यक्ति की जिंदगी को हिला देने के लिए काफी होती है। रंजीत कुमार के साथ भी यही हुआ। जिस पत्नी के गुम होने की वजह से उसकी जिंदगी उलट-पुलट हुई, उसी को ढूंढने के बजाय पुलिस ने सीधे रंजीत को ही दोषी मान लिया।
रंजीत दिन-रात यही कहते रहे कि उन्होंने कोई हत्या नहीं की, लेकिन उनकी बात अनसुनी कर दी गई। इस बीच उनका परिवार भी सामाजिक और मानसिक दबाव में टूट चुका था। एक तरफ पत्नी के गायब होने का दर्द, दूसरी तरफ हत्या जैसे गंभीर आरोप—इन सबके बीच रंजीत और उनका परिवार पूरी तरह से बिखर गया।
पुलिस की कार्यशैली पर उठे गंभीर सवाल
यह मामला सिर्फ एक गलत गिरफ्तारी का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कमजोरियों की ओर इशारा करता है। कुछ बड़े सवाल इस प्रकार हैं:
पुलिस ने बिना किसी ठोस सबूत के हत्या का मामला कैसे मान लिया?
जब सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध था, तो उसे क्यों नजरअंदाज़ किया गया?
पांच महीने तक पुलिस आखिर किस ‘जांच’ में लगी रही?
अगर परिवार अपनी कोशिशों से महिला को ढूंढ सकता है, तो पुलिस क्यों नहीं कर सकी?
ये सवाल आज मोतिहारी के साथ-साथ पूरे बिहार में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
महिला का अदालत में पेश होना—मामले का टर्निंग पॉइंट
जब महिला को कोर्ट में पेश किया गया, तो मामले की असलियत पूरी तरह से खुलकर सामने आ गई। कोर्ट ने पुलिस की लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए सख्त टिप्पणी की। अब यह चर्चा हो रही है कि रंजीत को हुए मानसिक, सामाजिक और आर्थिक नुकसान की भरपाई कैसे होगी।
साथ ही, पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की भी मांग हो रही है जिन्होंने बिना सबूत एक निर्दोष व्यक्ति को महीनों तक जेल में रखा।
सिस्टम की खामियों की कहानी
यह पूरा मामला सिर्फ एक व्यक्ति की परेशानी नहीं, बल्कि उस सिस्टम का आईना है जिसमें कई बार सच सामने होते हुए भी लोग बेगुनाह होकर भी अपराधी बना दिए जाते हैं। रंजीत कुमार का मामला यह दिखाता है कि जांच प्रक्रिया में सुधार और जवाबदेही की कितनी आवश्यकता है।
अगर रंजीत का परिवार और महिला का मायका खुद मेहनत करके यह सच सामने ना लाते, तो शायद आज भी रंजीत उसी आरोप में जेल में होता जिसके लिए वह जिम्मेदार नहीं था।
The Ranjit Kumar case from Motihari has raised major concerns about wrongful arrests and police investigation failures in Bihar. Ranjit was jailed for five months after being accused of murdering his wife, even though he claimed she had left home and later produced CCTV footage as proof. Shockingly, the woman was eventually found alive in Delhi with her lover, discovered not by police but by her own family. This news has sparked a discussion about accountability, misuse of authority, and the need for reliable investigation standards in India.



















