मोदी सरकार के आगाज़ के बाद से भारत तेजी से बन रहा है दुनिया का दवाखाना! भारतीय दवाओं-वैक्सीन की दुनियाभर में बढ़ी डिमांड!

दुनिया के दवाखाने के तौर पर मशहूर भारत की दवाओं की दुनियाभर में तेजी से डिमांड बढ़ रही है। इस मांग के बढ़ने की वजह से भारत के फार्मा एक्सपोर्ट ने भी बीते 8 साल में जबरदस्त तेजी दर्ज की है। इस बात की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के एक ट्वीट से मिली है जिसमें उन्होंने भारत के दवा निर्यात के एक इन्फोग्राफिक्स को साझा किया है।

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दुनिया का दवाखाना है भारत

8 साल में भारत से बढ़ा दवाओं का निर्यात

कोरोना काल में खूब रही भारतीय वैक्सीन की मांग

AIN NEWS 1: दुनिया के दवाखाने के तौर पर मशहूर भारत की दवाओं की दुनियाभर में तेजी से डिमांड बढ़ रही है। इस मांग के बढ़ने की वजह से भारत के फार्मा एक्सपोर्ट ने भी बीते 8 साल में जबरदस्त तेजी दर्ज की है। इस बात की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के एक ट्वीट से मिली है जिसमें उन्होंने भारत के दवा निर्यात के एक इन्फोग्राफिक्स को साझा किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट में कहा है कि भारत का दवा निर्यात दुनिया की अगुवाई कर रहा है। आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-अक्टूबर 2013-14 के मुकाबले इस साल अप्रैल-अक्टूबर में भारत का फार्मा निर्यात 138 फीसदी बढ़ा है। इस तरह ये 2013-14 के 37 हज़ार 987.68 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 90 हज़ार 324.23 करोड़ रुपये हो गया है । इस दौरान भारत दुनिया के लिए एक फार्मेसी के तौर पर विकसित हुआ है। जानकारों का भी मानना है कि भारत दुनिया को जरूरी दवाएं मुहैया करा रहा है जिससे भारत के फार्मा उत्पादों का निर्यात बढ़ा है।

मोदी ने बढ़ाया भारत का दवा उद्योग

इस साल जनवरी में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी दावोस शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत अब दुनिया के लिए एक फार्मेसी है। इसके साथ ही उन्होंने भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फार्मा-उत्पादक बताया था। हाल ही में कोरोना महामारी के दौरान भी ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ विजन के तहत कई देशों को वैक्सीन और ज़रुरी दवाओं की सप्लाई करके भारत ने करोड़ों लोगों की जान बचाई थी। भारत के हेल्थ सेक्टर ने कोरोना काल में जिस तरह से काम किया था उसकी दुनियाभर में तारीफ हुई थी। जानकारों के मुताबिक फार्मा में PLI स्कीम के आने से भी भारत को इस मामले में आत्मनिर्भर होने का मौका मिल सकता है। हालांकि भारत के लिए अभी तक API की ज़रुरत चीन के सहारे ही पूरी होती है। ऐसे में अगर कच्चे माल के मामले में भी भारत आत्मनर्भर बन गया तो फिर भारत का इस सेक्टर में दबदबा कायम हो जाएगा।

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