Sunday, December 22, 2024

यूक्रेन युद्ध से चीन को मिला मौका, बन सकता है हथियारों का बड़ा सप्लायर; जानें क्यों मिलेगा फायदा

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चीन मौजूदा वक्त में दुनिया में चौथा सबसे बड़ा हथियारों का निर्यातक देश है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूक्रेन पर रूसी हमले और इस हमले के बाद रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण हथियार बेचने के मामले में बीजिंग की बल्ले-बल्ले हो सकती है। माने चीन के लिए बिक्री के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।

चीन कितना हथियार बेचता है?

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट बताती है कि 2017-21 के बीच चीन ने अंतरराष्ट्रीय हथियार निर्यात का 4.6 फीसद बेचा। हालांकि यह पिछले पांच साल की 6.4 फीसद की तुलना में 31 फीसद की गिरावट है।

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2017-21 के बीच हथियार बेचने के मामले में अमेरिका पहले, रूस दूसरे, फ्रांस तीसरे और चीन चौथे स्थान पर है। चीन ने जर्मनी, इटली और ब्रिटेन जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। चीन ने अपने कुल निर्यात का 47 फीसद पाकिस्तान, 16 फीसद बांग्लादेश और 5 फीसद थाईलैंड को किया है। चीन पर इस्लामाबाद की निर्भरता का प्रमुख कारण अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंध हैं।

हथियार खरीदने में भी टॉप देशों में शामिल है चीन

बेचने के साथ ही चीन हथियार खरीदने में भी टॉप देशों में शामिल रहा है। भारत, सऊदी अरब, मिस्र और ऑस्ट्रेलिया के बाद चीन हथियार खरीदने के मामले में पांचवें स्थान पर है। 2012-16 के 4.8 फीसद की तुलना में चीन ने 2017-21 के बीच 4.4 फीसद हथियार आयात किए। चीन के सबसे हालिया आयात का 81 फीसद रूस से आया, जबकि 9.1 फीसद फ्रांस से और 5.9 फीसद यूक्रेन से आया।

यूक्रेन युद्ध है चीन के लिए मौका?

हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि यूक्रेन पर पुतिन के आक्रमण के बाद रूसी हथियारों की बिक्री पर कितना प्रभाव पड़ेगा। 2016-21 के बीच रूस दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आपूर्ति करने वाला देश था जो वैश्विक निर्यात का 19 फीसद था हालांकि पिछले पांच सालों की तुलना में इसमें 26 फीसद की गिरावट आई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस की बिक्री प्रभावित होगी। ऐसे में चीन अपने लिए हथियार बेचने के बाजार में जगह और बढ़ा सकता है।

चीन की लिए दिक्कतें क्या हैं?

हथियारों की बिक्री पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट जॉन एस वान औडेनरेन ने कहा है कि एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में रूस के ग्राहकों को देखते हुए चीन इस अंतर को भरने के लिए एक तार्किक उम्मीदवार प्रतीत होगा। हालांकि यह एकदम से चीन के पक्ष में नहीं हो जाएंगे लेकिन एक बड़ा हिस्सा चीन के पक्ष में जा सकता है।

उन्होंने आगे बताया है कि इसके साथ ही हमें यह भी देखना चाहिए चीन के दो सबसे प्रमुख ग्राहक भारत और वियतनाम हैं जो कभी भी चीन से हथियार नहीं खरीदेंगे। हालांकि मिस्र और अल्जीरिया जैसे देश चीन की ओर देख सकते हैं। इसके साथ ही चीनी हथियारों को लेकर कई देश आश्वस्त नहीं दिखे हैं।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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