AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश में अब मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए बिहार की तर्ज पर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR – Special Intensive Revision) शुरू होने जा रहा है। यह प्रक्रिया पूरे राज्य में एक बड़ा बदलाव लाने जा रही है, जिसमें हर मतदाता को अपने विवरण की पुष्टि खुद करनी होगी।
चुनाव आयोग का यह कदम मतदाता सूची को पारदर्शी और फर्जी नामों से मुक्त करने की दिशा में उठाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि SIR के तहत हर मतदाता को घर-घर जाकर BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) द्वारा एक गणना फॉर्म दिया जाएगा, जिसे भरकर हस्ताक्षर करना होगा। यह फॉर्म मतदाता की पहचान की पुष्टि के रूप में काम करेगा।
क्या है SIR और क्यों जरूरी है यह प्रक्रिया?
SIR यानी Special Intensive Revision चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को अपडेट और सही करने की एक प्रक्रिया है। इसके तहत हर मतदाता के नाम, पते, उम्र, पहचान पत्र और निवास की सटीकता की जांच की जाती है।
कई बार देखा गया है कि मतदाता सूचियों में दोहराए गए नाम, मृत व्यक्तियों के नाम या फर्जी वोटर शामिल रह जाते हैं। इससे चुनाव की पारदर्शिता प्रभावित होती है। इसलिए आयोग ने यह निर्णय लिया है कि अब हर वोटर की वास्तविकता की दोबारा पड़ताल होगी।
यूपी में कैसे होगा SIR?
मुख्य चुनाव अधिकारी नवदीप रिणवा ने सभी जिलों के अधिकारियों को SIR से जुड़ी ट्रेनिंग दे दी है।
BLO घर-घर जाएंगे और हर मतदाता से गणना फॉर्म भरवाएंगे।
मतदाता को अपने नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, पता, वोटर ID नंबर आदि सही-सही भरकर हस्ताक्षर करने होंगे।
इसके बाद इन फॉर्मों की पड़ताल की जाएगी।
अगर कोई जानकारी गलत या संदिग्ध पाई जाती है, तो नाम हटाया जा सकता है।
मतदाता सूची का संशोधित संस्करण ceouttarpradesh.nic.in वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
यह भी बताया जा रहा है कि साल 2003 की मतदाता सूची को भी वेबसाइट पर अपलोड करने की प्रक्रिया जारी है ताकि मतदाताओं को पुराने और नए रिकॉर्ड की तुलना करने में आसानी हो।
बिहार में क्या हुआ था SIR के बाद?
बिहार भारत का पहला राज्य था, जिसने हाल ही में इस प्रक्रिया को लागू किया था। बिहार में SIR पूरी होने के बाद जो अंतिम मतदाता सूची जारी हुई, उसमें मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ रही।
हालांकि, कई जिलों में मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। जांच के बाद पाया गया कि जिन जिलों में कमी आई, वहां फर्जी वोटर्स और घुसपैठियों के नाम हटाए गए।
दिलचस्प बात यह रही कि मतदाताओं की संख्या में कमी वाले जिले अधिकतर नेपाल और बांग्लादेश से सटे हुए सीमावर्ती क्षेत्र थे — जैसे पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, किशनगंज और पूर्णिया।
इन जिलों में कहीं भी मतदाताओं की संख्या नहीं बढ़ी, जिससे यह साबित हुआ कि SIR प्रक्रिया ने फर्जी वोटरों की पहचान करने में बड़ी भूमिका निभाई।
यूपी में SIR का असर क्या होगा?
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है और यहां की मतदाता संख्या करोड़ों में है। ऐसे में SIR प्रक्रिया राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है।
फर्जी नाम हटेंगे: सूची से डुप्लीकेट या फर्जी वोटर्स के नाम हटाए जाएंगे।
नए वोटर्स जुड़ेंगे: जिनकी उम्र 18 साल हो चुकी है, उन्हें जोड़ा जाएगा।
सटीक डेटा: चुनाव आयोग के पास वास्तविक मतदाता संख्या का साफ डेटा होगा।
राजनीतिक असर: पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए यह प्रक्रिया संवेदनशील हो सकती है, क्योंकि इससे वोट बैंक की सटीकता पर असर पड़ेगा।
कब शुरू होगी SIR प्रक्रिया?
मुख्य चुनाव अधिकारी के अनुसार, चुनाव आयोग SIR की आधिकारिक तारीखों की घोषणा जल्द करेगा। इसकी शुरुआत 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में मानी जा रही है।
यह प्रक्रिया 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पूरी कर ली जाएगी ताकि चुनाव में किसी तरह की गड़बड़ी न हो।
आयोग का मानना है कि अगर यह कार्य समय से पूरा हो गया, तो आगामी लोकसभा चुनाव 2029 के लिए भी एक सटीक और अपडेटेड वोटर लिस्ट उपलब्ध होगी।
मतदाताओं के लिए जरूरी निर्देश
1. BLO के आने पर सहयोग करें — अपना पहचान पत्र और जरूरी दस्तावेज तैयार रखें।
2. फॉर्म को ध्यान से भरें — नाम, पता, जन्म तिथि और फोटो पहचान पत्र सही भरें।
3. हस्ताक्षर जरूर करें — बिना हस्ताक्षर के फॉर्म मान्य नहीं होगा।
4. ऑनलाइन स्थिति जांचें — ceouttarpradesh.nic.in पर जाकर अपनी वोटर लिस्ट की स्थिति देखें।
5. गलती मिलने पर सुधार करें — गलत जानकारी को तुरंत ठीक करवाएं ताकि नाम न कटे।
आगे क्या हो सकता है?
चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में SIR के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है। कई क्षेत्रों में वोटर संख्या में कमी या वृद्धि देखने को मिल सकती है, जिससे सीटों का समीकरण भी बदल सकता है।
वहीं, कुछ राजनीतिक दल इसे घुसपैठियों या फर्जी वोटर हटाने की दिशा में सकारात्मक कदम बता रहे हैं, जबकि कुछ विपक्षी दलों का कहना है कि इससे गरीब और ग्रामीण मतदाता प्रभावित हो सकते हैं।
हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष होगी। हर नागरिक को अपना नाम जांचने और पुष्टि करने का पूरा अवसर दिया जाएगा।
The UP Voter List SIR (Special Intensive Revision) aims to ensure accuracy in the Uttar Pradesh voter database, just like Bihar’s successful model. BLOs will visit every home to verify voter details and collect signed forms. If voters fail to verify, their names might be removed. The Election Commission of India plans to complete this process before the UP Assembly Elections 2027 to eliminate fake voters, add new eligible citizens, and maintain transparent electoral rolls.
उत्तर प्रदेश में शुरू होने जा रहा SIR अभियान सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतंत्र की सटीकता और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम है। अब हर मतदाता को खुद आगे आकर अपनी पहचान सुनिश्चित करनी होगी — क्योंकि इस बार, नाम सिर्फ वोटर लिस्ट में नहीं रहेगा, बल्कि जिम्मेदारी की निशानी बनेगा।