AIN NEWS 1: अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में एक अद्वितीय खगोलीय घटना देखने को मिलेगी—सूर्य तिलक। यह एक विशेष वैज्ञानिक प्रणाली है, जिसके माध्यम से सूर्य की किरणें हर साल रामनवमी के दिन ठीक दोपहर 12 बजे रामलला के मस्तक पर स्थापित की जाएंगी। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह प्रक्रिया कैसे काम करेगी।
सूर्य तिलक का विज्ञान
सूर्य तिलक की पूरी प्रणाली एक जटिल लेकिन सटीक खगोलीय गणना और प्रकाश परावर्तन तकनीक पर आधारित है। इसके लिए मंदिर की ऊपरी मंजिलों पर रिफ्लेक्टर्स, लेंस और दर्पण लगाए गए हैं। इनकी मदद से सूर्य की किरणों को एक निर्धारित मार्ग से गुजारकर सीधे गर्भगृह में रामलला के मस्तक तक पहुंचाया जाएगा।
कैसे काम करेगा सूर्य तिलक?
1. पहला पड़ाव: रिफ्लेक्टर
मंदिर की छत पर एक विशेष बॉक्स में यह रिफ्लेक्टर लगाया गया है।
इसमें एक मुख्य लेंस है, जो बिना बिजली के 19 गियर सिस्टम के माध्यम से काम करता है।
यह सूर्य की किरणों को पकड़कर पहले दर्पण की ओर भेजता है।
2. दूसरी मंजिल: पहला दर्पण और लेंस 1
तीसरी मंजिल से परावर्तित किरणें पहली बार दर्पण से टकराएंगी।
फिर, ये किरणें पहले लेंस से होकर आगे बढ़ेंगी।
3. पहली मंजिल: लेंस 2 और लेंस 3
इसके बाद, सूर्य की किरणें दो और लेंसों से गुजरेंगी।
यह प्रक्रिया किरणों की दिशा और फोकस को सही करने के लिए की जाती है।
4. गर्भगृह में अंतिम दर्पण
लेंसों से निकलकर सूर्य की किरणें गर्भगृह में लगे दूसरे दर्पण पर पड़ेंगी।
यह दर्पण 60 डिग्री के कोण पर स्थापित किया गया है, ताकि किरणें सीधे रामलला के मस्तक तक पहुंच सकें।
सूर्य तिलक की विशेषता
यह एक शुद्ध वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है, जिसमें किसी कृत्रिम ऊर्जा स्रोत का उपयोग नहीं किया जाता।
सूर्य की स्थिति और प्रकाश के परावर्तन का सटीक गणितीय अध्ययन कर यह प्रणाली विकसित की गई है।
इससे हर साल रामनवमी के दिन ठीक 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक संभव हो सकेगा।
यह प्रणाली मंदिर के निर्माण की खगोलीय सटीकता को भी दर्शाती है।
इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
धार्मिक दृष्टिकोण से: हिंदू धर्म में सूर्य को ऊर्जा, शक्ति और ईश्वर का प्रतीक माना जाता है। रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणें पड़ना एक शक्ति और आशीर्वाद का संकेत होगा।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से: यह प्रणाली प्रकाश के परावर्तन (Reflection) और अपवर्तन (Refraction) के सिद्धांतों पर आधारित है।
अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित सूर्य तिलक प्रणाली प्राचीन भारतीय ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह न केवल धार्मिक आस्था को प्रबल करेगा, बल्कि विज्ञान और तकनीक के अद्भुत समावेश को भी प्रदर्शित करेगा। हर साल रामनवमी पर भक्तों को इस दिव्य दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा।
The Surya Tilak system in Ayodhya’s Ram Mandir is a unique blend of ancient Hindu traditions and modern scientific principles. On Ram Navami, exactly at 12 noon, the sun’s rays will be directed onto Ram Lalla’s forehead using a series of reflectors, lenses, and mirrors. This precise solar alignment is based on the principles of light reflection and refraction. The Surya Tilak not only holds deep religious significance but also showcases India’s advanced astronomical knowledge. This event is set to become a major attraction for devotees and tourists visiting the Ram Temple in Ayodhya.