Monday, February 24, 2025

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जिन्दगी दुखों से भरी थी उनकी निजी जिंदगी, पति की मौत के बाद 2 बेटों को भी बारी बारी खोया

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AINNEWS1.COM: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने झारखंड का पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी पर मुहर लगा दी . राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने के बाद द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति होंगी.आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाए जाने तक का सफर बेहद लंबा और मुश्किल भरा सफऱ रहा है. 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं.उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है.द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी और दोनों के तीन बच्चे हुए. जिनमे 2 बेटे 1 बेटी थी लेकिन, द्रौपदी मुर्मू का व्यक्तिगत जीवन बहुत त्रासदियों से भरा रहा है और उन्होंने अपने पति व दोनो बेटों को बारी बारी खो दिया. उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम से हुई है.संथाल समुदाय में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू कर दिया और फिर साल 2000 में वह ओडिशा सरकार में मंत्री भी बनीं.हालांकि, द्रौपदी मुर्मू ने कभी भी अपनी कठिनाइयों से हार नहीं मानी और सभी बाधाओं को लड़कर पार करते हुए उन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला कॉलेज से आर्ट्स में ग्रैजुएशन की डिग्री भी हासिल की. इसके बाद उन्हें ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक जूनियर असिस्टेंट यानी कलर्क के रूप में नौकरी भी मिल गई .

बाद में, उन्होंने रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में मानद सहायक शिक्षक के रूप में भी काम किया.रायरंगपुर से दो बार विधायक भी रहीं द्रौपदी मुर्मू ने साल 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर से जीत हासिल की, जब बीजु जनता दल ने ओडिशा के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था. उस चुनाव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने वहाँ जीत दर्ज की थी.

द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी की ओडिशा इकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की पहले उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी रहीं. उन्हें 2013 में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित भी किया गया था.द्रौपदी मुर्मू को साल 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा साल के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

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