AIN NEWS 1: लखनऊ में घर, फ्लैट और अन्य संपत्तियों के मालिकों के लिए बड़ी राहत की खबर है। नगर निगम ने गृहकर दाखिल-खारिज (नामांतरण) शुल्क में भारी कटौती का फैसला किया है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद नामांतरण शुल्क पहले के मुकाबले पांच गुना तक कम हो जाएगा। इससे शहर के करीब एक लाख भवन स्वामियों को सीधा फायदा मिलेगा।
यह बदलाव बैनामा, उत्तराधिकार और वसीयत – तीनों ही आधारों पर होने वाले नामांतरण पर लागू होगा। नगर निगम द्वारा तय की गई नई दरें शासन की नियमावली के प्रकाशन के बाद प्रभावी होंगी।
आपत्ति का मौका मिला, लेकिन किसी ने विरोध नहीं किया
नगर निगम सदन और कार्यकारिणी ने करीब चार महीने पहले गृहकर दाखिल-खारिज शुल्क घटाने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद 4 दिसंबर को सार्वजनिक नोटिस जारी कर 15 दिन तक आपत्ति और सुझाव मांगे गए।
इस अवधि में एक भी आपत्ति या सुझाव नहीं आया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि जनता इस फैसले से संतुष्ट है। तय प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब यह प्रस्ताव बिना किसी बदलाव के लागू किया जाएगा।
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि चूंकि यह फैसला आम लोगों को राहत देने वाला है, इसलिए किसी ने इसका विरोध नहीं किया।
पहले क्यों थी नाराजगी?
अब तक नगर निगम पारिवारिक संपत्ति, वसीयत या उत्तराधिकार के मामलों में हर तरह की संपत्ति पर एक समान 5000 रुपये शुल्क वसूल रहा था।
चाहे वह ईडब्ल्यूएस (EWS) मकान हो या बड़ा आलीशान बंगला – सभी के लिए शुल्क एक जैसा था।
इसी को लेकर आम लोगों में नाराजगी थी। कई लोग इसे अन्यायपूर्ण और बोझिल मानते थे। शासन स्तर पर इस समस्या को समझा गया और नामांतरण शुल्क में बदलाव की पहल की गई।
शासन की नई नियमावली के बाद बदलाव
उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकायों के लिए नामांतरण शुल्क को लेकर नई नियमावली तैयार की। इसके बाद लखनऊ नगर निगम ने भी इसे स्वीकार करते हुए गृहकर दाखिल-खारिज शुल्क में कटौती कर दी।
अब शुल्क को संपत्ति के मूल्य और आकार के आधार पर तय किया गया है, जिससे छोटे और मध्यम वर्ग के लोगों को ज्यादा फायदा मिलेगा।
बैनामा के आधार पर पहले कितना शुल्क लगता था?
अब तक बैनामा के आधार पर संपत्ति के मूल्य के अनुसार नामांतरण शुल्क इस प्रकार था:
5 लाख रुपये तक – 3500 रुपये
5 से 10 लाख – 5500 रुपये
10 से 20 लाख – 7500 रुपये
20 से 30 लाख – 9500 रुपये
30 लाख से अधिक – 10,000 रुपये
कई मामलों में यह शुल्क लोगों को भारी लगता था, खासकर पहली बार घर खरीदने वालों के लिए।
बैनामा पर अब लागू होंगी नई, सस्ती दरें
नई व्यवस्था के तहत बैनामा के आधार पर नामांतरण शुल्क को काफी कम कर दिया गया है:
5 लाख रुपये तक – 1000 रुपये
5 से 10 लाख – 2000 रुपये
10 से 15 लाख – 3000 रुपये
15 से 50 लाख – 5000 रुपये
50 लाख से अधिक – 10,000 रुपये
इस बदलाव से साफ है कि कम कीमत वाली संपत्तियों पर शुल्क में सबसे ज्यादा राहत दी गई है।
वसीयत और उत्तराधिकार मामलों में भी राहत
वसीयत और उत्तराधिकार के मामलों में अब तक सभी मकानों पर एक समान 5000 रुपये शुल्क लिया जाता था। नई व्यवस्था में इसे मकान के आकार से जोड़ा गया है।
अब नई दरें इस प्रकार होंगी:
1000 वर्ग फीट तक – 1000 रुपये
1001 से 2000 वर्ग फीट – 2000 रुपये
2001 से 3000 वर्ग फीट – 3000 रुपये
3000 वर्ग फीट से अधिक – 5000 रुपये
इससे छोटे मकान मालिकों को सीधा फायदा मिलेगा।
कब से लागू होंगी नई दरें?
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक, शासन की नियमावली प्रकाशित होने और सभी औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद करीब दो महीने में नई दरें लागू कर दी जाएंगी।
मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह के अनुसार,
“शुल्क घटाया गया है और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। इसलिए किसी तरह की आपत्ति नहीं आई। तय की गई दरें ही अंतिम होंगी।”
आम लोगों के लिए क्या है फायदा?
नामांतरण अब सस्ता और आसान होगा
छोटे घर और मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा राहत
संपत्ति ट्रांसफर में आने वाला अतिरिक्त खर्च कम
कानूनी प्रक्रिया को लेकर लोगों का डर घटेगा
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे नगर निगम में नामांतरण के मामलों की संख्या भी बढ़ेगी, क्योंकि अब लोग बिना झिझक अपने कागजात अपडेट कराएंगे।
लखनऊ नगर निगम का यह फैसला आम जनता के हित में बड़ा कदम माना जा रहा है। गृहकर दाखिल-खारिज शुल्क में की गई कटौती से न केवल आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि संपत्ति से जुड़ी प्रक्रियाएं भी ज्यादा पारदर्शी और सुगम बनेंगी।
आने वाले समय में यह फैसला अन्य नगर निकायों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।
The reduction in house tax mutation fee by Lucknow Municipal Corporation is a major relief for property owners. Under the new policy, mutation charges on sale deed, will, and inheritance have been reduced significantly, making property transfer easier and affordable. This decision will benefit nearly one lakh property owners in Lucknow and improve compliance with property tax records while reducing the financial burden on citizens.



















