AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां फर्जी मार्कशीट और डिग्री तैयार करने वाले एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है। यह गिरोह न केवल बीटेक बल्कि कई अन्य प्रोफेशनल और सामान्य कोर्स की नकली डिग्रियां तैयार कर रहा था। हैरानी की बात यह है कि ये सभी डिग्रियां किसी हाईटेक फैक्ट्री में नहीं, बल्कि शहर के एक साधारण साइबर कैफे में प्रिंट की जा रही थीं।
अरावली पर्वतमाला: भारत से भी पुराना इतिहास, अब वजूद पर मंडराता खतरा!
कैसे हुआ गिरोह का खुलासा?
पुलिस और साइबर सेल को लंबे समय से इस तरह की शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ लोग कम समय में डिग्री दिलाने का दावा कर रहे हैं। कई मामलों में नौकरी के दौरान दस्तावेजों की जांच में डिग्रियां फर्जी पाई गईं। इसके बाद पुलिस ने गुप्त तरीके से जांच शुरू की और आखिरकार लखनऊ में सक्रिय इस गिरोह तक पहुंच गई।
जांच के दौरान पता चला कि यह गिरोह देश की कई नामी-गिरामी यूनिवर्सिटीज के नाम पर नकली डिग्री और मार्कशीट तैयार करता था। ग्राहक से संपर्क होने के बाद डिग्री का डिजाइन, यूनिवर्सिटी का नाम, रोल नंबर और पासिंग ईयर तक सब कुछ फर्जी तरीके से तैयार किया जाता था।
साइबर कैफे बना नकली डिग्री का अड्डा
इस मामले की सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि गिरोह ने डिग्री छापने के लिए किसी बड़े प्रिंटिंग प्रेस का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि एक सामान्य साइबर कैफे को ही अपना ठिकाना बना रखा था। उसी कैफे में कंप्यूटर, प्रिंटर और स्कैनर की मदद से डिग्रियां और मार्कशीट तैयार की जाती थीं।
डिग्रियों की क्वालिटी इतनी अच्छी होती थी कि पहली नजर में उन्हें असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाता था। पुलिस का कहना है कि कई बार तो सरकारी और निजी संस्थानों की जांच प्रक्रिया भी इन फर्जी दस्तावेजों को पकड़ने में नाकाम रही।
कितने में बिकती थी फर्जी डिग्री?
जांच में सामने आया है कि यह गिरोह डिग्री की कीमत कोर्स और यूनिवर्सिटी के हिसाब से तय करता था। सामान्य कोर्स की डिग्रियां करीब 15 से 30 हजार रुपये में मिल जाती थीं, जबकि बीटेक, एमबीए और मेडिकल से जुड़े कोर्स की डिग्रियों की कीमत 2 लाख से 4 लाख रुपये तक थी।
ग्राहकों को यह भरोसा दिलाया जाता था कि डिग्री पूरी तरह वैध दिखेगी और किसी भी वेरिफिकेशन में पास हो जाएगी। यही वजह है कि बेरोजगार युवाओं से लेकर नौकरीपेशा लोग भी इस जाल में फंसते चले गए।
Rahveer Scheme 2025: सड़क दुर्घटना में मदद करने पर मिलेगा ₹25,000 इनाम
किन कोर्स की डिग्रियां बनाई जा रही थीं?
पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरोह द्वारा कई कोर्स की फर्जी डिग्रियां तैयार की जा रही थीं, जिनमें प्रमुख रूप से:
बीटेक (B.Tech)
एमबीए (MBA)
बीए, बीकॉम, बीएससी
एमए, एमकॉम
डिप्लोमा और आईटीआई कोर्स
कुछ प्रोफेशनल सर्टिफिकेट कोर्स
इन सभी डिग्रियों पर फर्जी सीरियल नंबर, नकली हस्ताक्षर और यूनिवर्सिटी की मोहर तक लगाई जाती थी।
नौकरी और करियर से जुड़ा बड़ा खतरा
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के फर्जीवाड़े से न केवल शिक्षा व्यवस्था की साख को नुकसान पहुंचता है, बल्कि यह समाज के लिए भी बड़ा खतरा है। जब बिना पढ़े-लिखे लोग फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी हासिल कर लेते हैं, तो इससे कार्यक्षमता और सुरक्षा दोनों पर असर पड़ता है।
खासकर इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्रों में इस तरह की फर्जी डिग्रियां गंभीर दुर्घटनाओं और लापरवाही का कारण बन सकती हैं।
आरोपियों से क्या-क्या बरामद हुआ?
छापेमारी के दौरान पुलिस ने मौके से कई अहम सबूत बरामद किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
दर्जनों फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट
कंप्यूटर, लैपटॉप और हाई-क्वालिटी प्रिंटर
यूनिवर्सिटीज के नकली स्टैंप और मोहर
हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव, जिनमें डिग्री के टेम्पलेट सेव थे
ग्राहकों की एक लिस्ट और लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड
पुलिस अब इन डिजिटल सबूतों की मदद से यह पता लगाने में जुटी है कि अब तक कितने लोगों को फर्जी डिग्रियां दी जा चुकी हैं।
आगे की जांच और कानूनी कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस गिरोह का नेटवर्क अन्य शहरों या राज्यों में भी फैला हुआ है।
अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं, क्योंकि कई ग्राहक और एजेंट भी इस रैकेट से जुड़े हुए हो सकते हैं।
आम लोगों के लिए चेतावनी
पुलिस ने युवाओं और नौकरी की तलाश कर रहे लोगों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की शॉर्टकट डिग्री या कम समय में सर्टिफिकेट दिलाने वाले झांसे में न आएं। फर्जी डिग्री के सहारे मिली नौकरी कभी भी कानूनी मुश्किलों में बदल सकती है।
A major fake degree racket has been busted in Lucknow, Uttar Pradesh, where a gang was involved in selling fake BTech and other university degrees. These counterfeit degrees and marksheets were printed from a cyber cafe and sold at prices ranging from ₹15,000 to ₹4 lakh. The Lucknow police recovered fake documents, printers, computers, and university seals during the raid. This education fraud highlights the growing problem of fake degrees in India and raises serious concerns about job security and academic credibility.



















