जिला जज ने चुकाया कर्जा
कर्ज लौटाने में 10 हजार की मदद
जज को आई दया, जेब से दिये पैसे
जिला जज ने की कर्ज चुकाने में गरीब की सहायता
AIN NEWS 1: जहानाबाद के जिला जज की शनिवार को लगाई गई लोक अदालत में दरियादिली दिल्ली गई है। जज राकेश कुमार सिंह ने कोर्ट में जो किया वो लोगों के बीच चर्चा का टॉपिक बन गया। दरअसल लोक अदालत में जिला जज राकेश कुमार सिंह बैंक लोन के एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। सुनवाई के दौरान जिस गरीब बुजुर्ग पर कर्ज था, वो फूट फूटकर रो पड़ा। गरीब ने जज से कहा- ‘साहब! बेटी की शादी से काफी लोन में डूबा हूं। मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि इन बैंकवालों का पूरा लोन चुका सकूं।’ रोते हुए बुजुर्ग की पूरी बात सुन जज साहब का दिल पसीज गया। इसके बाद उन्होंने अपनी जेब से पैसे की मदद करके लोन चुकाने में मदद की।
18 वर्ष पहले बुजुर्ग ने लिया था लोन
अदालत में आए बुजुर्ग राजेंद्र तिवारी ने क़रीब 18 वर्ष पहले बैंक से लोन लिया था। तब से बैंक के कर्ज़ की ब्याज तो दे देते थे लेकिन पूरा लोन नहीं चुका पा रहे थे। बाद में बैंक को लोन इंटरेस्ट भी देना बंद कर दिया तो बैंक ने नोटिस भेजा लेकिन बुजुर्ग ने कोई जवाब नहीं दिया। बुजुर्ग लोन नहीं लौटा रहा था। बैंक की तरफ़ से बार-बार बुजुर्ग को नोटिस भेजा जा रहा था। फिर मामला अदालत में पहुंच गया।
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लोन के चुकाने थे 18 हजार
राजेंद्र तिवारी को कर्ज़ को लेकर समझौते के लिए नोटिस भेजा गया और लोक अदालत में शामिल होने का निर्देश दिया गया। बुजुर्ग लोक अदालत में लोन के समझौते के लिए पहुंच गये। सुनवाई के दौरान बैंक की तरफ़ से आए वकील ने समझौते के रूप में 18 हजार रुपये की माँग कर दी। बुजुर्ग ने कहा कि ‘मैं बेटी के शादी से लोन में डूबा हुआ हूं। इसलिए मेरे पास देने के लिए केवल 5 हजार रुपये हैं। इससे अधिक मैं नहीं दे सकता हूं।’
जज साहब ने जेब से दिए 10 हजार रुपये
इतना कह कर बुजुर्ग फूट फूटकर रोने लगा। मामले की सुनवाई कर रहे जज राकेश कुमार ने राजेंद्र तिवारी की हालत देखी तो दया आ गई। उन्होंने बैंक अधिकारियों से कहा कि इस बुजुर्ग का लोन मैं अपनी जेब से दे रहा हूं। जज साहब ने अपनी जेब से 10 हजार रुपये निकाले और बैंक अधिकारियों को दे दिए। जैसे ही इस बात का पता अदालत परिसर में मौजूद लोगों को लगा, पूरे न्यायालय परिसर में जज साहब की प्रशंसा होनी शुरू हो गई।
गरीब को जज ने लोन से बचाया
कोर्ट से बाहर निकले राजेंद्र तिवारी ने बताया कि ‘हमने बेटी के विवाह के लिए लोन लिया था। इसका 18 हजार रुपये बकाया था। आज जज साहब ने मेरी सहायता की तो लोन उतार दिया। जज साहब ने 10 हजार रुपये दिए। मेरे साथ आए लड़के ने तीन हजार और मैंने 5 हजार रुपये दिए।’