AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में एक बेहद दिलचस्प मामला सामने आया है, जिसने मोबाइल कंपनियों के बड़े-बड़े दावों पर सवाल खड़ा कर दिया है। एक ग्राहक ने ‘वाटर रेसिस्टेंट’ यानी पानी से सुरक्षित बताए गए महंगे मोबाइल को खरीदा था, लेकिन हल्की सी बारिश की बूंदों में ही उसका फोन खराब हो गया। अब इस मामले में जिला उपभोक्ता आयोग ने ग्राहक के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
मामला क्या है?
यह पूरा मामला खलीलाबाद तहसील के उस्का कला निवासी शक्ति विकास पांडेय से जुड़ा है। उन्होंने 28 दिसंबर 2022 को खलीलाबाद स्थित अग्रवाल टेलीकॉम से एक प्रीमियम मोबाइल फोन खरीदा था, जिसकी कीमत ₹1,57,998 थी।
फोन बेचने वाले और कंपनी के कर्मचारियों ने उन्हें बताया था कि यह मोबाइल पूरी तरह “वाटर रेसिस्टेंट” है, यानी पानी की हल्की बूंदों या बारिश से इसे कोई नुकसान नहीं होगा।
लेकिन किसे पता था कि यह दावा महज एक मार्केटिंग ट्रिक साबित होगा। 26 सितंबर 2024 को जब संत कबीर नगर में हल्की बारिश हुई, तो पांडेय का मोबाइल अचानक बंद हो गया और पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया।
सर्विस सेंटर भी नहीं कर पाया ठीक
फोन खराब होने के बाद शक्ति पांडेय ने मोबाइल को तुरंत कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर में जमा कराया। लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें जवाब मिला कि फोन की मरम्मत संभव नहीं है क्योंकि इसमें पानी चला गया है।
यह सुनकर ग्राहक हैरान रह गए, क्योंकि फोन तो कंपनी के दावे के अनुसार “वाटरप्रूफ” बताया गया था।
कंपनी की लापरवाही से परेशान होकर उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई और न्याय की मांग की।
उपभोक्ता आयोग का फैसला
शक्ति विकास पांडेय की शिकायत पर संत कबीर नगर जिला उपभोक्ता आयोग ने गहन सुनवाई के बाद बड़ा फैसला सुनाया। आयोग ने माना कि कंपनी और विक्रेता ने उपभोक्ता को भ्रामक जानकारी दी और उत्पाद की वास्तविक क्षमता छुपाई।
आयोग ने आदेश दिया कि —
1. कंपनी और विक्रेता दोनों मिलकर उपभोक्ता को मोबाइल की पूरी कीमत ₹1,57,998 लौटाएं।
2. इस राशि पर 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।
3. साथ ही मानसिक उत्पीड़न और असुविधा के लिए ₹30,000 की अतिरिक्त क्षतिपूर्ति भी देनी होगी।
यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल माना जा रहा है, जो कंपनियों के झूठे विज्ञापनों और दावों से परेशान होते हैं।
आयोग ने क्या कहा?
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि कंपनियों को अपने उत्पादों के बारे में सटीक और ईमानदार जानकारी देनी चाहिए। “वाटरप्रूफ” या “वाटर रेसिस्टेंट” जैसे शब्दों का उपयोग तभी करना चाहिए जब उसका वैज्ञानिक और तकनीकी प्रमाण हो।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि ग्राहक को जबरन दोषी ठहराना या “क्लेम रिजेक्ट” करना एक अनुचित व्यापारिक व्यवहार है।
उपभोक्ताओं के लिए सबक
यह मामला हर आम उपभोक्ता के लिए एक सीख है। आज के दौर में जब कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को “वाटरप्रूफ”, “डस्टप्रूफ” या “शॉकप्रूफ” बताकर बेचती हैं, तो ग्राहक को भी सावधान रहना चाहिए।
किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सामान को खरीदने से पहले उसकी वास्तविक वारंटी शर्तें, टेस्टिंग रिपोर्ट, और यूज़र गाइड को पढ़ना जरूरी है।
साथ ही, खरीदारी के समय बिल और वारंटी कार्ड संभालकर रखें, ताकि किसी विवाद की स्थिति में साक्ष्य के रूप में उपयोग हो सके।
हल्की बारिश से बड़ा सबक
शक्ति पांडेय का मामला यह बताता है कि महंगा होना हमेशा बेहतर होना नहीं है।
₹1.5 लाख से अधिक कीमत वाला फोन भी यदि हल्की बारिश नहीं झेल सका, तो यह निर्माता की गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।
आज तकनीक के इस युग में कंपनियों को केवल नए फीचर जोड़ने के बजाय उनके वास्तविक प्रदर्शन पर भी ध्यान देना होगा।
उपभोक्ता अधिकारों की जीत
आयोग का यह फैसला न सिर्फ एक व्यक्ति की जीत है, बल्कि यह पूरे देश के उपभोक्ताओं के लिए एक मजबूत संदेश है —
कि यदि कोई कंपनी झूठे दावे करती है या उत्पाद में खामी निकलती है, तो उपभोक्ता को न्याय मिल सकता है।
इस फैसले से निश्चित रूप से अन्य उपभोक्ताओं को भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और कंपनियों को अपने विज्ञापनों में सावधानी बरतनी पड़ेगी।
In Uttar Pradesh’s Sant Kabir Nagar, the District Consumer Commission ruled against a major smartphone manufacturer and retailer for misleading advertising. The “water-resistant” mobile, priced at ₹1,57,998, stopped working after light rain. The court ordered a full refund with 10% interest and an additional ₹30,000 compensation. This case highlights the importance of consumer rights in India, false advertising, and smartphone warranty issues. It serves as a reminder that waterproof mobile claims must be verified before purchase.



















