AIN NEWS 1: भारतीय वायुसेना के बहादुर पायलट विंग कमांडर नमांश स्याल की शहादत ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। दुबई एयरशो 2025 में इंडियन एयर फोर्स के तेजस फाइटर जेट के क्रैश होने की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—खासकर इसलिए क्योंकि तेजस अपनी बेहतरीन सेफ्टी हिस्ट्री और मजबूत टेक्नोलॉजी के लिए जाना जाता है। आखिर इतने तगड़े सुरक्षा सिस्टम के बावजूद यह हादसा क्यों हुआ? और कौन थे वे पायलट जिनका रिकॉर्ड हमेशा से शानदार माना जाता था?
आइए पूरी घटना को विस्तार से समझते हैं।
विंग कमांडर नमांश स्याल—एक अनुशासित, बेहतरीन और सम्मानित पायलट
हिमाचल प्रदेश के नगरोटा बगवां के रहने वाले विंग कमांडर नमांश स्याल भारतीय वायु सेना के उन गिने-चुने पायलटों में से थे जिनका सर्विस रिकॉर्ड बेमिसाल माना जाता है। वे अपने अनुशासन, शांत स्वभाव और मिशन पर फोकस की वजह से अपने साथियों के बीच बेहद सम्मानित थे।
उनकी शुरुआती शिक्षा उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले स्थित सैनिक स्कूल, सुजानपुर टीरा से हुई। वहीं से उन्होंने रक्षा सेवाओं में जाने का सपना देखा और बाद में भारतीय वायु सेना में शामिल होकर उसे पूरा भी किया।
नमांश स्याल के परिवार में उनकी पत्नी—जो खुद इंडियन एयर फोर्स में अधिकारी हैं—और उनकी छह साल की बेटी है। उनके पिता जगन नाथ भारतीय सेना में सेवा करके रिटायर हुए थे और बाद में हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में प्रिंसिपल बने। हादसे के समय उनकी मां बीना देवी हैदराबाद में थीं।
उनके पड़ोसियों और परिचितों का कहना है कि स्याल परिवार का घर कई दिनों से बंद था, क्योंकि विंग कमांडर स्याल एयरशो में हिस्सा लेने के लिए दुबई गए थे।
दुबई एयरशो में कैसे हुआ तेजस क्रैश?
शुक्रवार दोपहर 2:08 बजे (लोकल टाइम) तेजस फाइटर जेट दुबई एयरशो में अपनी प्रैक्टिस और डेमोंस्ट्रेशन फ्लाइट कर रहा था। दर्शकों की नजरें आकाश में उड़ते तेजस पर टिकी थीं, जो शानदार करतब दिखा रहा था।
लेकिन कुछ ही पलों में स्थिति बदल गई। तेजस अचानक नीचे की ओर आया और देखते ही देखते जमीन से टकरा गया। भारतीय वायु सेना ने पुष्टि की कि इस हादसे में विंग कमांडर नमांश स्याल गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में उनकी मौत हो गई।
तेजस का सेफ्टी रिकॉर्ड लगभग परफेक्ट—फिर क्रैश कैसे हुआ?
तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) भारतीय वायुसेना का स्वदेशी गर्व है। इसका सुरक्षा रिकॉर्ड 24 साल में लगभग पूरी तरह सुरक्षित माना गया है। इस अवधि में यह सिर्फ दूसरी बार क्रैश हुआ है।
इसी वजह से सवाल उठने लगे—आखिर इतनी उन्नत तकनीक वाला जेट कैसे क्रैश हो गया?
एक्सपर्ट्स ने डिकोड किए हादसे के आखिरी पल
मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों के विश्लेषण से जो बात सामने आई है, वह यह है कि विंग कमांडर स्याल एक खास उड़ान चाल (मैनूवर) कर रहे थे जिसे ‘बैरल रोल’ कहा जाता है।
बैरल रोल क्या होता है?
इसमें विमान एक धुरी पर पूरा घूमता है।
पायलट कुछ समय के लिए उल्टा हो जाता है।
फिर विमान तेजी से अपनी स्थिति में लौटता है।
यह मैनूवर दिखने में रोमांचक है, लेकिन इसे सटीक ऊंचाई और गति पर करना बेहद जरूरी होता है।
तेजस लूप पूरा नहीं कर पाया—यहीं से शुरू हुई समस्या
हादसे के दौरान तेजस एक परफेक्ट लूप बनाने की कोशिश कर रहा था।
इसमें तीन स्टेप होते हैं:
1. विमान का तेजी से ऊपर उठना
2. फिर उल्टा हो जाना
3. और नीचे की ओर आकर फिर से ऊपर चढ़ना
एक्सपर्ट्स का मानना है कि तेजस इस आखिरी स्टेप पर फेल हो गया। संभव है कि:
विमान जमीन के बहुत करीब आ गया था
विमान के पास दोबारा ऊपर उठने की पर्याप्त स्पीड नहीं बची थी
ऊंचाई और गति का संतुलन कुछ सेकंड के लिए बिगड़ गया
और इसी दौरान विमान क्रैश हो गया
डेमोंस्ट्रेशन फ्लाइट में समय और ऊंचाई का प्रबंधन बेहद अहम होता है। एक छोटी सी चूक भी बड़ा हादसा बन सकती है।
IAF की प्राथमिक जांच—फ्लाइट से पहले सिस्टम सामान्य था
शुरुआती जांच में सामने आया है कि उड़ान से पहले सभी सिस्टम सामान्य थे। इसका मतलब है कि हादसा तकनीकी खराबी से ज्यादा मैनूवर की गति, संतुलन या ऊंचाई को लेकर हुई गड़बड़ी से जुड़ा हो सकता है।
फाइनल जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि असल कारण क्या थे, लेकिन फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं, वे इंगित करते हैं कि तेजस पर्याप्त ऊंचाई पर नहीं था और इसलिए अपने मैनूवर का अंतिम चरण पूरा नहीं कर सका।
देश एक और हीरो खो दिया
विंग कमांडर नमांश स्याल की शहादत भारतीय वायुसेना और देश दोनों के लिए बड़ी क्षति है।
तेजस का यह हादसा अपनी जगह दुखद है, लेकिन इससे हमारा स्वदेशी तकनीक पर विश्वास कम नहीं होता। हर बड़ी दुर्घटना के बाद और बेहतर तकनीक और प्रशिक्षण की दिशा में कदम उठाए जाते हैं।
नमांश स्याल जैसे पायलट अपनी बहादुरी, सेवा और समर्पण से हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी शहादत आने वाली पीढ़ियों के पायलटों को प्रेरणा देती रहेगी।
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