AIN NEWS 1: ...मुझे मेरे संदीप से मिला दो नहीं तो मर जाऊंगी। उमेश पाल शूटआउट में शहीद हुए गनर की पत्नी अस्पताल के पार्क में अकेले बैठ बिलखती हुई बार-बार यही कह रही थी। उन्हे देख कर किसी का भी दिल पसीज जाए।22 साल की रीमा के आंसू बिलकुल भी नहीं थम रहे थे। वो इतनी ज्यादा बदहवास थी कि पति का शव देखने की भी हिम्मत वो नहीं जुटा सकी। होती भी कैसे, सात फेरों के साथ सात जन्मों तक संग निभाने का वादा करने वाले जाबाज सिपाही संदीप निषाद को कातिलों ने बेरहमी से मार दिया और रीमा से उन्हे छीन लिया था। इस मौत की खबर जब संदीप के गांव पहुंची तो पिता संतलाल माथे पर हाथ रख ही बैठ गए। मां का कलेजा भी फटा रह गया।
जाने संदीप की पहली पोस्टिंग ही आखिरी तैनाती साबित हुई
संदीप निषाद मूल रूप से आजमगढ़ के ही रहने वाले थे। संदीप निषाद 2018 में ही पुलिस विभाग में भर्ती हुए थे। संदीप की पहली पोस्टिंग ही संगमनगरी प्रयागराज में ही हुई थी। वह करीब पिछले छह महीने से उमेश पाल के साथ में थे। वह चार भाइयों और बहनों में तीसरे नंबर पर थे। बड़े भाई प्रदीप दारागंज में रहकर टीजीटी पीजीटी की तैयारी में लगे हुए हैं। संदीप निषाद अपने परिवार का एक इकलौता ही सदस्य था जो एक सरकारी नौकरी में था। और संजय की ही कमाई के पैसे से ही इस पूरे परिवार का खर्च चलता था। संदीप के बड़े भाई प्रदीप निषाद कहते हैं कि संदीप अभी और बड़े पद पर जाना चाहता था इसलिए वह नौकरी के साथ साथ अपनी तैयारी भी करता था। और वह हमारे परिवार की रीढ़ की हड्डी था।
जाने 20 महीने में ही रीमा का सुहाग उजड़ गया
20 मई 2021 को ही लेवापुर आजमगढ़ की रहने वाली रीमा से संदीप की शादी काफ़ी धूम धाम से हुई थी। करीब 20 महीने बाद ही वह दुल्हन से विधवा भी बन गई। बच्चों का अरमान उसके मन में ही रह गया।
जाने संदीप ने किया था शाम को रीमा से बात करने का वादा
संदीप ने शुक्रवार सुबह ही अपनी पत्नी रीमा को फोन किया था। रीमा खुद प्रयागराज आने की जिद कर रही थी। रीमा के मुताबिक,संदीप ने कहा कि अभी वह लोग कोर्ट जा रहे हैं। शाम को वहा से वापस आकर बात करेंगे। इसके बाद शाम को अधिकारियों ने फोन किया तो रीमा के पैरों तले की जमीन ही खिसक गई।
https://www.youtube.com/live/mSLtZMzqDD8?feature=share
जाने होली पर घर आने वाला था संदीप
पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर ही आखों में आसूं लिए पिता ने कहा, ‘ मेरा बेटा बहुत बहादुर था। फर्ज निभाते हुए उसके सीने में गोलियां खाईं। उसकी कमाई से ही पूरे परिवार का खर्च चलता था। अब जाने क्या होगा। बेटे ने होली में घर आने का वादा भी किया था। उसके पहले ही वह हम सबको छोड़ कर चला गया। अब घर का मुखिया कौन बनेगा।’ उन्होंने सरकार से परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता देने की मांग की है।
जाने उनकी शव यात्रा में लगे अमर रहें के नारे
संदीप निषाद का अंतिम संस्कार आजमगढ़ में ही कर दिया गया। पूरे रास्ते भर शव यात्रा के आगे-पीछे चल रहे लोग जब तक सूरज चांद रहेगा संदीप तेरा नाम रहेगा और संदीप निषाद अमर रहे के जोर दार नारे लगते रहे।