Ainnews1.Com:हम आपको बता दे की महाराष्ट्र राजनीति मे बहुत बड़े बड़े उलटफेर हो रहे है जैसे कल ही की बात ले लो भारतीय जनता पार्टी ने कुछ ऐसे फैसले ले लिए जिसे सुन तमाम सियासी पंडित भोचक्के रह गये। हुआ कुछ यू है कि भाजपा ने शिवसेना के बागीगुट के नेता एकनाथ शिंदे के हाथो मे राज्य की सारी बागडोर थमा दी। भाजपा के मास्टर स्ट्रोक के रूप मे इसे राजनीतिक विस्लेसक् द्वारा परिभाषित किया जा रहा है। शिवसेना ने भी शिंदे गुट पर भी सीधा निशाना साधा है अपने मुखपत्र के जरिए। सेना ने पूछा सत्ता तो आपने पा ली लेकिन अब आगे क्या करोगे । कल महाराष्ट्र मे राजनीति मे एक गजब ही बात हुई जो की बेहद ही प्रशंसा के काबिल है क्योंकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद एक ही पल में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। वे चाहते तो इस पद पर कुछ समय रुक कर लोकतंत्र की जीत के लिए आंकड़ों का बेहद ही अनोखा खेल खेल सकते थे।वे चाहते तो विश्वासमत प्रस्ताव के समय भी हंगामा करके और कुछ विधायको को निलंबित करवा कर सरकार बचा सकते थे लेकिन उन्होंने यह रास्ता चुनना जरूरी नहीं समझा और अपने शालीन व शांत स्वभाव के अनुरूप अपनी भूमिका बखूबी निभाई। ‘वर्षा’ बंगला तो वे पहले ही छोड़ चुके थे। और उस बंगले को अपने पास रखने के लिए उन्होंने कोई भी झमेला नही किया जैसे मिर्ची का हवन या कुछ और। बस अपना समान इक्कठा किया और वहा से ‘मातोश्री’ के लिए रवाना हो गये। और अब तो वो अपना विधान परिषद के विधायक का पद भी त्याग चुके है।और वे ऐसा घोषित कर चुके है की, वो हर समय शिवसेना का कार्य करने के लिए हर बंधन से मुक्त हो गये है। उद्धव ठाकरे ने जाते-जाते कहा, की मैं सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं परंतु मेरे करीब लोगों ने मुझे धोखा दे दिया यह सही ही है मुझे धोखा देने वाले करीब 24 लोग जो कल तक उद्धव ठाकरे के नाम की ‘जय-जयकार’ किया करते थे। आगे भी आने वाले समय मे दूसरों के नाम की जय जयकार में व्यस्त रहेंगे । पार्टी से बाहर निकल कर दगाबाज करने वाले विधायकों के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्यवाही शुरू करते हैं सर्वोच्च न्यायालय ने उसे रोक दिया तथा दलबदल कार्रवाई किए बगैर बहुमत परीक्षण करें ऐसा कहां गया। राजपाल और न्यायालय ने सत्य को खूंटी में टांग दिया और अपना निर्णय सुनाया।इसलिए विधि मंडल की दीवारों पर सिर फोड़ने से कोई लाभ नहीं रहा था दल बदलनेवाले, पार्टी के आदेशो का उल्लंघन करने वाले विधायकों की अपात्रता से संबंधित फैसला आने तक सरकार को बहुमत सिद्ध करने के लिए कहना। हमारे सविधान से परे हैं। लेकिन अब सविधान के रक्षक ही ऐसे गैर कानूनी कार्य करने लगते है और खुद को ‘रामशास्त्री’ कहने वाले न्याय के तराजू को झुकाने लगे, तो फिर किसकी तरफ आशाभरी नजरो से देखा जाए,। महाराष्ट्र के विधायको को पहले सूरत ले गये। वहाँ से उन्हे असम पहुचाया। अब वे गोवा आ गये हैं। और उनका स्वागत भाजपावाले मुंबई मे कर रहे हैं। देश की सीमा की रक्षा के लिए उपलब्ध हजारों जवान खास विभाग से मुंबई हवाई अड्डे पर उतरे इतना सख्त बंदोबस्त केंद्र सरकार कर रही है तो किसके लिए । जिस पार्टी ने जन्म दिया उस पार्टी से हिंदू तत्व से बालासाहेब ठाकरे से द्रोह करने वाले विधायकों की रक्षा के लिए। हिंदुस्तान जैसे महान देश और ईस महान देश का संविधान अब नैतिकता के पतन से ग्रसित हो गया है यह परिस्थितियां निकट भविष्य में बदलेंगे ऐसे संकेत तो नजर नहीं आ रहे। क्योंकि बाजार में अब सभी रक्षक खुद बिकने के लिए तैयार है हमारी सद्बुद्धि बिल्कुल ठंडी पड़ने लगी है l जिससे साबित होता है कि यह दर्द नहीं है बल्कि एक बहुत बड़ा धोखा है।
जिस तरह से लोगो को आकाश मे घुमा नहीं जा सकता है उसी तरह से विचार करना भी बहुत मुश्किल का काम है।लोगों को सब कुछ चाहिए शॉर्टकट से। विरोधियों को हर संभव मार्ग से परेशान नहीं किया जाएगा बल्कि प्रताड़ित करने का तंत्र तैयार हो गया है। योगी श्री अरविंद ने एक बार कहा था, कि ‘राजशाही’ हाथ में अधिकाधिक अधिकार सौंपने की प्रवर्ती फिल्हाल इतनी प्रबल हो गई है। कि इससे व्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वयंसफुर्त् प्रयासो को स्थान नहीं मिलता है।लेकिन अगर मिला तो इतना अपर्याप्त होगा। कि सत्तातंत्र के सामने व्यक्ति असहाय हो जाता है। आज विरोध में बोलने वाले व्यक्तियों को इसी क्रूर तंत्र का इस्तेमाल करके दबाया जा रहा है। दुनिया भर में लोकतंत्र का डंका पीटते घूमना और अपने ही लोकतंत्र व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दिये के नीचे अंधेरा ऐसी वर्तमान स्थिति है।
जो विरोधी दलों का अस्तित्व खत्म करके इस देश में लोकतंत्र वैसे जीवित रहेगा। शिवसेना के विधायक टूटे इसके लिए कौन-सी महाशक्ति प्रयास कर रही थी। यह मुंबई मे तैनात की गयी सेना से खुल गया है। परंतु पार्टी बदलने व विभाजन को बढ़ावा देने की प्रकिरीया राजभवन में चलने वाली है क्या महाराष्ट्र में अस्थिरता निर्माण करने के लिए संविधान के रक्षक राजभवन से ताकत वैसे दे सकते हैं लोग नियुक्ति विधानसभा का अधिकार हमारी अदालतें वह राजपाल वैसे ध्वस्त कर सकते हैं इन सवालों के जवाब इतने स्पष्ट कभी नहीं हुए थे लेकिन आज उत्तर किसी को नहीं चाहिए।