AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पुलिस विभाग में बड़ी हलचल मच गई है। जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) कृष्ण कुमार विश्नोई ने अनुशासनहीनता और जनशिकायतों को गंभीरता से लेते हुए 16 थानों में तैनात 32 पुलिसकर्मियों को एक साथ लाइन हाजिर कर दिया है। यह कदम पुलिस विभाग में जवाबदेही और जिम्मेदारी को मजबूत करने की दिशा में सख्त संदेश माना जा रहा है।
जनता की शिकायतों पर हुई कार्रवाई
पिछले कुछ महीनों से संभल के विभिन्न थानों से यह शिकायतें आ रही थीं कि कई पुलिसकर्मी जनता की समस्याओं को नज़रअंदाज कर रहे हैं। कई नागरिकों ने आरोप लगाया कि जब वे किसी समस्या को लेकर थाने पहुंचते हैं, तो पुलिसकर्मी न तो गंभीरता दिखाते हैं और न ही त्वरित कार्रवाई करते हैं।
इन शिकायतों को लेकर SP कृष्ण कुमार विश्नोई ने तुरंत जांच के आदेश दिए। जांच में यह पाया गया कि कुछ पुलिसकर्मी जनता से जुड़े मामलों को टालमटोल कर रहे थे और अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरत रहे थे। इसके बाद SP ने बिना देरी किए 32 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया।
कौन-कौन आए कार्रवाई की जद में
SP द्वारा की गई इस कार्रवाई में जिले के 16 थाने शामिल हैं। इनमें सदर संभल, हयातनगर, नखासा, असमोली, रायसत्ती, ऐंचोड़ा कंबोह, कैलादेवी, हजरतगढ़ी, बबराला, रजपुरा, धनारी, जुनावई, बहजोई, बनियाठेर, कूढ़फतेहगढ़ और गुन्नौर थाने प्रमुख हैं।
इन थानों में तैनात पुलिसकर्मियों में कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, चालक और सहचालक तक शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार,
थाना सदर संभल से कांस्टेबल राजपाल सिंह और हेड कांस्टेबल बलराज,
थाना हयातनगर से चालक रूपचंद्र, कांस्टेबल आशू यादव और नीरज कुमार,
थाना नखासा से कांस्टेबल अनिरुद्ध चौधरी और सहचालक आकाश जुरैल को भी लाइन हाजिर किया गया है।
अन्य थानों के पुलिसकर्मियों को भी चेतावनी दी गई है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही या जनता से दुर्व्यवहार की शिकायत मिली तो अगली कार्रवाई और कठोर होगी।
SP का स्पष्ट संदेश — “जनता की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं”
SP कृष्ण कुमार विश्नोई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पुलिस का पहला कर्तव्य जनता की सेवा करना है। उन्होंने चेतावनी दी कि “जो पुलिसकर्मी जनता की बात नहीं सुनेंगे या अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ेंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने कहा —
“जनता की शिकायतों पर संवेदनशीलता से काम करना हर पुलिसकर्मी का दायित्व है। जो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएगा, उसे लाइन हाजिर किया जाएगा या विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।”
लाइन हाजिर पुलिसकर्मियों पर विभागीय जांच भी तय
लाइन हाजिर किए गए पुलिसकर्मियों पर अब विभागीय जांच होगी। पुलिस प्रशासन उनके कार्यों की समीक्षा कर रहा है और भविष्य में फील्ड पोस्टिंग देने से पहले उन्हें व्यवहारिक प्रशिक्षण (behavioral training) से गुजरना होगा।
यह कदम पुलिस विभाग में अनुशासन और प्रोफेशनलिज्म को बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
जनता ने SP के फैसले का किया स्वागत
SP की इस सख्त कार्रवाई को जनता ने सकारात्मक रूप से लिया है। स्थानीय नागरिकों और व्यापारी संगठनों ने सोशल मीडिया पर कहा कि इस तरह के कदम से पुलिस पर जनता का भरोसा बढ़ेगा।
स्थानीय व्यापारी संघ के अध्यक्ष ने कहा —
“अक्सर शिकायतों पर पुलिस टालमटोल करती थी, लेकिन अब यह कदम बताता है कि SP साहब जनता की बात को गंभीरता से ले रहे हैं। इससे पुलिस के व्यवहार में सुधार जरूर आएगा।”
कई लोगों ने यह भी कहा कि अब आम नागरिक थानों में अपनी बात बेझिझक रख पाएंगे क्योंकि उन्हें पता है कि लापरवाही पर सख्त कार्रवाई होगी।
पुलिस महकमे में हड़कंप
SP की इस कार्यवाही के बाद पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। कई थाना प्रभारियों ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि जनता की किसी भी शिकायत को हल्के में न लें।
SP कार्यालय से भी स्पष्ट आदेश जारी किए गए हैं कि —
प्रत्येक थाना प्रभारी रोज़ाना जनता की शिकायतें सुने।
हर शिकायत की रिपोर्ट सीधे SP कार्यालय में भेजी जाए।
मामलों में देरी होने पर संबंधित अधिकारी की जवाबदेही तय की जाएगी।
प्रशासनिक सख्ती से सुधार की उम्मीद
संभल जिले में यह कार्रवाई एक सुधारात्मक कदम के रूप में देखी जा रही है। पुलिस महकमे में वर्षों से चली आ रही सुस्ती और उदासीनता पर यह कार्रवाई “ज़ीरो टॉलरेंस” नीति की मिसाल पेश करती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस तरह की सख्ती नियमित रूप से जारी रही, तो न केवल थानों का माहौल बदलेगा बल्कि जनता और पुलिस के बीच विश्वास का रिश्ता भी मजबूत होगा।
संभल के SP कृष्ण कुमार विश्नोई ने यह साफ कर दिया है कि जनसेवा में लापरवाही अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह कार्रवाई पुलिस महकमे में एक अनुशासन और जवाबदेही की नई परंपरा की शुरुआत है। इससे न सिर्फ पुलिस की छवि सुधरेगी, बल्कि जनता का भरोसा भी बढ़ेगा।
संभल का यह उदाहरण पूरे प्रदेश के लिए एक संदेश है — कि अब पुलिस विभाग में सिर्फ वही अधिकारी और कर्मचारी टिकेंगे, जो वास्तव में जनता के प्रति ईमानदार और जिम्मेदार हैं।



















