समान नागरिक संहिता पर मुसलमानों नें मचा है शोर, जानें PM मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मुसलमानों की क्या है राय ?
UCC का विरोध काफी दिनो से चल रहा है विरोध करने वालों का मत है कि ये सभी धर्मों पर हिन्दू कानून थोपने जैसा है। जबकि इसका उदेश्य साफतौर पर सभी को समान नजर से देखना और न्याय करना है। कई मुस्लिम धर्म गुरुओं और विशेषज्ञ समान नागरिक संहिता को लागू करने के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि हर धर्म की अपनी मान्यताएं और आस्थाएं होती हैं। ऐसे में उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
आपको बता दे कि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। इसका अर्थ है एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।
समान नागरिक संहिता पर मुसलमानों नें शोर मचाया है इनका कहना है कि UCC लागू नही होना चाहिए इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कहा कि ऐसा कुछ नही है जैसा आप लोग सोच रहे हो बयान के बाद देश भर में इस पर चर्चा हो रही है। खासकर मुसलमान समुदाय में इसे लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं।
चर्चा इस बात की है कि इस कानून का सबसे ज्यादा असर उन्हीं पर होगा। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में रहने वाले मुसलमानों से उनकी राय जाननी चाही। दिलचस्प बात यह है कि यहां ज्यादातर मुसलमान यूसीसी के पक्ष में नजर आए तो कुछ ने कहा कि सरकार इस कानून को उन पर थोपने का प्रयास कर रही है। सभी धर्मो को मिला रही है
‘यूसीसी केवल मुसलमानों के लिए नहीं होगा’
बताचीत में एक व्यक्ति ने कहा कि यूसीसी तो केवल मुसलमानों के लिए नहीं होगा। यह तो सभी धर्मों के लिए होगा। एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि मुसलमान यूसीसी का विरोध नहीं कर रहा है। सरकार को इस बारे में जो करना है, वह करे। इससे 80 फीसदी जनसंख्या वाले समुदाय को परेशानी होगी। हम तो 20 फीसदी वाले हैं जैसे रहते आए हैं आगे भी वैसे रहेंगे। एक मुस्लिम व्यक्ति ने कहा कि यूसीसी मुसलमानों के ऊपर थोपा जा रहा है। कई मुस्लिम धर्म गुरुओं और विशेषज्ञ समान नागरिक संहिता को लागू करने के पक्ष में नहीं है।