Monday, December 30, 2024

साइबर आतंकवादियों की अब खैर नहीं,गाज़ियाबाद की बेटी ,चुटकी में छुट्टी कर देती, कामयाबी पर बन रही बायोपिक

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Ainnews1.com: गाजियाबाद जैसा कि आप जानते है इंटरनेट के महीन तानेबाने अब हमारे जीवन के साथ इतने बूरी तरह उलझ गए हैं कि बिना इंटरनेट के हमारा दिन मुसीबतों का पहाड़ लगता है। इंटरनेट के बिना जीवन जीना बहुत से लोगों के लिए दुस्‍वप्‍न है। लेकिन यही इंटरनेट और उसका साइबर स्‍पेस कभी-कभी जीना दुश्‍वार भी कर देते हैं। साइबर क्राइम के फैलते शिकंजे हर रोज एक नए शिकार कर रहे हैं। हमारे पर्सनल डेटा को चूराने से लेकर हमारे बैंक डिटेल्स तक बस हमारी एक चूक की भेंट चढ़ सकते हैं। लेकिन गाजियाबाद की एक बेटी कामाक्षी शर्मा कमाल कर दिया न केवल देश बल्कि विदेश में भी साइबर क्राइम के खिलाफ चल रही लड़ाई में सुरक्षा एजेंसियों के हाथ काफ़ी मजबूत कर रही है। उनकी इस कामयाबी पर अब एक बायोपिक भी बनने जा रही है।कामाक्षी ने साइबर क्राइम को रोकने पर जागरूकता के लिए एशिया में एक सबसे लंबा ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाकर अपना नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज कराया है। इससे पहले कामाक्षी ने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी अपनी जगह इसी प्रकार बनाई है। कामाक्षी के परिजनों के अलावा गाजियाबाद के लोगों को अब कामाक्षी पर अब बेहद गर्व महसूस हो रहा है।कामाक्षी अब तक 50 हजार से ज्‍यादा पुलिसकर्मियों और सेना के जवानों को साइबर सुरक्षा में शिक्षित कर चुकी हैं। आज पुलिस लेकर सेना तक कामाक्षी से साइबर क्राइम की उलझी पहेलियां सुलझाने में काफ़ी मदद ले रहे हैं। भारत पर सीमापार से होने वाले साइबर हमलों में कामाक्षी ने अब तक सुरक्षा एजेंसियों का बहुत सहयोग किया है।गाजियाबाद की पंचवटी कॉलोनी में रहने वाली कामाक्षी शर्मा ने अभी तक भारत, श्रीलंका और दुबई पुलिस के साथ काम कर पुलिस कर्मियों को साइबर अपराध रोकने की काफ़ी अच्छी ट्रेनिंग दी है। उन्‍होंने भारत के लगभग सभी राज्यों की पुलिस को इसकी ट्रेनिंग दी है।कामाक्षी की 12वीं तक की पढ़ाई गाजियाबाद में ही हुई। इसके बाद उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस में बीटेक की पढ़ाई ही पूरी की। कामाक्षी ने साल 2018 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। लेकिन वह कहीं नौकरी करना ही नहीं  चाहती थीं। उनका सपना था साइबर क्राइम के खिलाफ पुलिस और दूसरी एजेंसियों की ज्यादा से ज्यादा मदद करना।लेकिन तरीका क्‍या अपनाएं उन्‍हें तब तक पता नहीं था। इसलिए वह खुद ही पुलिस थानों में जाकर मदद की पेशकश करतीं थी। शुरू में उन्‍हें निराशा हाथ लगी क्‍योंकि पुलिस भला क्‍यों किसी बहार के व्यक्ति पर भरोसा करती। एक दिन उनकी मेहनत रंग लाई और गाजियाबाद के सिहानी गेट कोतवाली के थाना प्रभारी ने एक साइबर केस में उनकी मदद ले ली। कामयाबी मिलने के बाद धीरे-धीरे उन्‍हें और केस भी मिलने लगे।उनकी मुहिम की सबसे बड़ी कामयाबी थी भारत-पाक सीमा पर बसे कश्‍मीर के एक गांव में आतंकियों की बातचीत का खुलासा कर देना । चूंकि आतंकवादी पाकिस्‍तानी ऐप के माध्‍यम से ऐसा कर रहे थे इसलिए ट्रेस करने में साइबर विशेषज्ञों को काफ़ी दिक्‍कत हो रही थी। कामाक्षी ने अपने कौशल से पहले उस ऐप को ही खोज निकाला बाद में आतंकवादियों की सही लोकेशन तक सेना को दी।

फिलहाल कामाक्षी डार्क नेट पर ड्रग्‍स तस्‍करी और दूसरे काले धंधों का खुलास करने में  लगी हैं। उनकी इस कामयाबी पर धाकड़ फिल्‍म के निर्माता दीपक मुकुट एक बायोपिक भी बनाने जा रहे हैं। इसे अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर रिलीज करने की भी योजना है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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