AIN NEWS 1 नोएडा: बता दें अगर आपने कोई भी पुरानी कार खरीदी है तो फिर वक्त रहते संभल जाइए और उसके पहले पूरे कागजात अपने नाम तैयार करवा कर ही सड़क पर निकलिए। यह नियम अभी उत्तर प्रदेश के नोएडा में आया है कि अगर आपने सेकेंड हैंड कार की ऑनरशिप को बदलवाया नहीं है तो फिर आपकी गाड़ी पुलिस द्वारा जब्त की जा सकती है।
यह नियम क्या है?
ऐसी जरूरत क्यों पड़ी?
इसके मायने क्या हैं?
आइए समझते हैं
नोएडा में पुलिस ने सड़कों पर औचक निरीक्षण अभियान चलाने का अब फैसला किया है। अब ऐसी सभी पुरानी गाड़ियों को जब्त किए जाने की पुलिस पूरी तैयारी कर रही है, जिनके पेपर्स और मालिकाना हक की डिटेल अपडेटेड अभी नही हुई है। पुलिस की तरफ से यह कदम 31 दिसंबर को हिट एंड रन मामले के बाद आया, जिसमें घायल हुई बीटेक की छात्रा स्वीटी कुमारी अभी भी कोमा में हैं। हादसे के बाद पुलिस ने सफेद रंग की सेंट्रो कार के लिए व्यापक स्तर पर खोजी अभियान चलाया था।
जाने स्वीटी हिट ऐंड रन केस से सबक
नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने इस बात को स्वीकार किया कि मामले की जांच के दौरान सबसे बड़ा चैलेंज ही उस कार के मालिक को ढूंढ निकालना था। जिस कार ने स्वीटी को टक्कर मारी थी। पुलिस जिस सफेद सैंट्रो कार की तलाश में थी, वैसे ही डिटेल की लगभग 12 हजार गाड़ियां पूरी दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में मौजूद हैं।
पुलिस ने आखिरकार उसे एक कार के बारे में तलाश शुरू की जो साल 2006 से लेकर कई बार अब तक बेची जा चुकी है। लेकिन सबसे नए मालिक ने गाड़ी की ओनरशिप को अपने नाम ही ट्रांसफर नहीं करवाया था। इसका नतीजा यह हुआ कि आरटीओ में कार के रिकॉर्ड भी सही नहीं थे। हालांकि इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन दिल्ली का था।
जाने आरोपी तक यूं पहुंची पुलिस
कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि गाड़ी की नंबर प्लेट को गौर से देखने पर उस पर UP-16 लिखा हुआ नजर आया। इसका मतलब था कि यह गाड़ी नोएडा में ही रजिस्टर्ड थी। इस जानकारी से हमारे पास वाइट सेंट्रो कार कि मौजूदा लिस्ट सिमटकर 1000 गाड़ियों तक तो आ गई। इसके बाद दूसरा रोड़ा तब सामने आया, जब कार के कई मालिकों की जानकारी भी गलत निकली। कार के डीलर्स और मालिकों से लंबे तहकीकात की प्रक्रिया से गुजरने के बाद आखिरकार गुलाब सिंह नाम के शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया।दरअसल, पुरानी कारें कई बार बेची जाती हैं लेकिन कागजात का उचित तरीके से ट्रांसफर हमेशा नहीं हो पाता है। खासतौर पर जब इस डील में दो प्राइवेट पार्टी, दोस्त या रिश्तेदार शामिल होते हैं। ऐसा भी अमूमन देखा गया है कि आरटीओ के पास गाड़ी के वास्तविक मालिक का रिकॉर्ड ही बना रहता है, जबकि इसके बाद कई बार गाड़ी बदली भी जा चुकी होती है। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि गाड़ी के मालिक को ट्रैक करना तब मुश्किल हो जाता है, जब उसका एड्रेस सही नहीं होता है। कई बार ऐसा होता है कि लोग अपने घर को शिफ्ट कर लेते हैं लेकिन पता अपडेट नहीं करते।
जाने पुलिस करेगी गाड़ियों की रैंडम चेकिंग
लक्ष्मी सिंह ने बताया कि गौतमबुद्धनगर जिले के सभी 3 जोन में पुलिस की टीम अब अपना रैंडम चेकिंग अभियान शुरू करेगी। और जिन गाड़ियों के कागजात अपडेट नहीं मिलेंगे उन्हें पुलिस द्वारा मौके से जब्त कर लिया जाएगा। कई केस में हमने पाया है कि जिन गाड़ियों के मालिकाना हक के रिकॉर्ड ट्रांसफर किया अपडेट नहीं होते हैं वे आपराधिक गतिविधियों में ज्यादा शामिल होते हैं पुरानी गाड़ियों की चेकिंग की जाएगी एआरटीओ प्रशासन सियाराम वर्मा ने बताया कि पुरानी गाड़ियों के मालिकों को परिवहन वेबसाइट पर फॉर्म फिल करना होगा और फिर डिटेल सबमिट करने का उपाय जिसमें वर्तमान पता चेचिस नंबर मॉडल नंबर भरा जाना अनिवार्य होगा रजिस्ट्रेशन की राशि का भुगतान भी करना होगा इन सभी डिटेल का वेरिफिकेशन भी किया जाएगा।