AIN NEWS 1: पूरे देश में आज सभी जगह राम भक्त हनुमान जी के जन्मोत्सव की काफ़ी धूम धाम है। हनुमान जी के हर एक मंदिरों पर भक्त दर्शन के लिए सैकड़ो की संख्या में पहुंच रहे हैं। लेकिन, आज हम आपको हनुमान जी के इस जन्मोत्सव के अवसर पर उनके एक ऐसे भक्त की कहानी आपको बताने वाले है, जिन्होंने साक्षात हनुमान जी के दर्शन मिले थे। इस कलयुग में हनुमान जी के इस परम भक्त का जीवन काफ़ी ज्यादा चमत्कारों से भरा है। आइए सबसे पहले जानते हैं के कहां हुआ हनुमान जी के परम् भक्त बाबा नीब करौरी का जन्म। और आख़िर बाबा ने कहां छोड़ा अपना शरीर ।
जान ले साल 1900 में फिरोजाबाद में हुआ बाबा का जन्म
वैसे तो बाबा नीब करौरी जी महाराज भारत के राष्ट्रीय महात्माओं की परंपरा में ही आते हैं। और बाबा नीब करौरी महाराज का जन्म साल 1900 में फिरोजाबाद के अकबरपुर गांव में माघ माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को ही हुआ । एक संपन्न जमींदार ब्राह्मण परिवार में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा उर्फ बाबा नीब करौरी महाराज भगवान की भक्ति में बहुत ज्यादा लीन रहे । 8 वर्ष की उम्र में ही अपनी सौतेली मां के व्यवहार ने उनका घर छुड़वा दिया।
जाने 11 साल की उम्र में हुआ इनका विवाह
लक्ष्मी नारायण शर्मा उर्फ बाबा नीब करौरी महाराज का मात्र 11 वर्ष की उम्र में ही गांव बादाम वास निवासी राम बेटी के साथ विवाह हुआ था। लेकिन, 13 साल की उम्र में सौतेली मां के व्यवहार ने उन्हे अपना घर का त्याग करा दिया। इसके बाद वो पूरे 10 साल बाबा कहां पर रहे, किसी को इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है। वैसे गुजरात में तलैया बाबा के नाम से हैं विख्यात बाबा नीब करौरी महाराज कुछ समय बाद ही बबनिया मोरवी गुजरात में जा पहुंचे। यहां बाबा ने रमाबाई आश्रम के निकट तालाब के किनारे कठौर साधना की। बाबा ने यहां घंटों तक तालाब के अंदर बैठकर ध्यान लगाया करते थे। इसकी वजह से ही बाबा का नाम यहां पर तलैया बाबा पड़ा और लोग आज भी इसी नाम से यहां पर इन्हे जानते हैं। फर्रुखाबाद में ही पड़ा बाबा नीब करौरी महाराज नाम बाबा कुछ समय बबनिया रहने के बाद ही वहां से चल दिए और घूमते घूमते फर्रुखाबाद के नीब करौरी गांव पहुंचे। यहां बाबा जो भी किसी से कहते वह सच होने लगा। नतीजा यहां पूरा गांव ही बाबा से काफ़ी ज्यादा प्रभावित होने लगा। और गांव वालों ने बाबा के लिए जमीन के अंदर ही एक गुफा बना दी। बाबा उसी गुफा में रहकर हनुमान जी की साधना करने लगे। यहीं से बाबा का नाम बाबा नीब करौरी महाराज पड़ा गया।
जान ले चमत्कारों से भरा है बाबा का पूरा जीवन
बाबा लक्ष्मण दास से ही बाबा नीब करौरी महाराज बने हनुमान जी के परम भक्त का जीवन परिचय काफ़ी चमत्कारों से भरा है। जिसमें रेलगाड़ी को रोक देना, खारे पानी के कुएं को भी मीठा कर देना… आदि हैं। बाबा 18 वर्ष तक तो नीब करौरी गांव में रहे। इसके बाद वह कुछ समय गंगा घाट किनारे फतेहगढ़ में किला घाट पर जाकर रहे। यहां से बाबा देश के और भी कई स्थानों पर गए, लेकिन 1940 के बाद वृंदावन और नैनीताल में ही रहने लगे।
जाने बाबा ने हनुमान जी के बनाए कई मंदिर
बाबा ने 1950 के बाद हनुमान जी के मंदिर बनाना शुरू किया। बाबा ने कैंची धाम नैनीताल, वृंदावन, नीब करौरी, लखनऊ में भी हनुमान सेतु का हनुमान मंदिर, कानपुर, शिमला आदि जगह पर भी हनुमान जी की स्थापना की। साल 1960 से गोलोक गमन तक बाबा कभी भी एक स्थान पर ज्यादा अधिक समय तक नहीं रहते थे।
इसके बाद वृंदावन में बाबा ने ली महा समाधि
बाबा नीब करौरी महाराज ने भाद्र शुक्ल पक्ष अनंत चतुर्दशी के दिन ही 1973 में अपना शरीर वृंदावन में ही छोड़ दिया और गोलोक गमन हो गए। बाबा की आज भी वृंदावन में परिक्रमा मार्ग पर समाधि बनी हुई है। यहां मुख्य द्वार के सामने ही हनुमान जी महाराज दर्शन हैं तो पीछे की तरफ बाबा की समाधि और बाबा का वह कमरा है जहां पर वह ध्यान लगाते थे।
जैसा की सभी जानते हैं स्टीव जॉब्स को बाबा के आश्रम से ही मिला Apple का लोगो
दुनिया भर में मोबाइल फोन के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले Apple का लोगो यानी कटा हुआ सेब भी बाबा नीब करौरी महाराज के कैंची धाम आश्रम की ही देन है। इस बारे में बाबा के परिवार के त्रिलोकी शर्मा बताते हैं कि स्टीव जॉब्स जब भारत आए तब उनको बाबा के दर्शन उस समय नहीं हुए, लेकिन उनको वहां से कटा हुआ सेब का प्रसाद ज़रूर मिला। इसके बाद उन्होंने इसे Apple का लोगो बना दिया ।
बाबा के भक्तों में कई नामचीन लोगों के नाम बाबा नीब करौरी महाराज के भक्तों में Apple कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क्स जुकरबर्ग, हॉलीवुड अभिनेत्री जुलिया रॉबर्ट्स के अलावा बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा और भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली जैसे नाम भी शामिल हैं। कहा जाता है कि बाबा के कैंची धाम और वृंदावन स्थित आश्रम में हनुमान जी के दर्शन करने से आपकी हर इच्छा पूरी होती है।