हरियाणा: नूंह हिंसा से चर्चा में आया नल्हड़ महादेव मंदिर, यहां पर स्थित शिवालय है महाभारत जितना पुराना, भगवान श्रीकृष्ण से भी रिश्ता!

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AIN NEWS 1: हरियाणा में अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसे हुए नूंह के काफ़ी प्राचीन मंदिर ऋषि- मुनियों की तपस्थली और अनुसंधान केंद्र भी रहे हैं। नल्हड़ में ही स्थित प्राचीन पांडव कालीन शिव मंदिर (Nalhar Shiv Temple) भी इन्हीं में से एक रहा है। इसी मंदिर से ही करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंशा देवी मंदिर, फिरोजपुर झिरका का भी प्रसिद्ध शिव मंदिर, पुन्हाना के सिंगार में ही स्थित राधाकृष्ण के भव्य मंदिर काफ़ी ज्यादा प्राचीन हैं।अरावली में स्थित होने के कारण ये सदियों से ही आस्था केंद्र रहे हैं प्राचीनकाल में ऋषि मुनियों की ये तपस्थली भी रहे हैं। कुछ धार्मिक विद्वान तो अरावली को महर्षि मार्कण्डेय, महर्षि पाराशर की तपस्थली और रावण व कुंभकरण जैसे तपस्वियों की भी अनुसंधानशाला भी मानते हैं, जब कुछ विद्वान मेवात को ही भगवान श्रीकृष्ण की धरती भी मानते हैं नल्हड़ में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को महाभारत कालीन भी माना जाता है। बीते महीने तो इसी मंदिर से बृजमंडल यात्रा के शुरू होते ही नूंह में काफ़ी ज्यादा साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी और इसी मंदिर में ही श्रद्धालुओं की दंगाईयों से जान बच सकी थी।एक किदवंती के मुताबिक, नल्हड़ के इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण के हाथो उनके द्वारा ही होना बताया गया है। इस कारण इस मंदिर का महत्व ओर ज्यादा अधिक है और श्रद्धालुगण यहां पर आते रहे हैं।

जान ले भगवान श्रीकृष्ण की धरती भी माना जाता है मेवात

शिक्षाविद डॉ. पवन सिंह बताते रहे हैं कि मेवात की धरती पर भगवान श्रीकृष्ण की भूमि है। यह ही उनकी क्रीडास्थली रही है। प्रतिवर्ष लहड़ के महादेव मंदिर में बड़े धार्मिक आयोजन होते ही रहते हैं, यहां यात्राएं निकलती रहती हैं। बीते दिनों निकली बृजमंडल यात्रा भी इसी मंदिर से ही प्रारंभ होकर सिंगार पुन्हाना में स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर में ही संपन्न होती है। इन दोनों स्थानों का महत्व ही श्रीकृष्ण के नाम के साथ जुड़ा हुआ है। कहा तो जाता है कि यहीं श्रीकृष्ण ने पवित्र शिवलिंग की स्थापना भी की थी।

इन सभी पुरानी यात्राओं को पुनर्जीवित किया

विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल मिडिया को बताते हैं कि विहिप और बजरंगदल ने ही देशभर में करीब एक दर्जन यात्रा बीते एक दशक में फिर से पुनर्जीवित की हैं। इनमें से एक नूंह की यात्रा भी है। ये सभी की सभी यात्राएं ऐसी है कि जो आक्रांताओं के दमन के कारण से स्थानीय लोगों ने ही बंद कर दी थी। इनमें कश्मीर में पूंज राजोरी में भी बूढा बाबा अमरनाथ यात्रा, कर्नाटक के चिकमंगलूर में भगवान दत्तात्रेय की यात्रा और मेवात में यह बृजमंडल यात्राएं शामिल हैं।

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