हर साल 28 सिंतबर को ही World Rabies Day क्यों मनाया जाता है ? क्या है इसके उद्देश्य और थीम !
हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है । रेबीज एक वायरल घातक बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर कुत्ते या अन्य जंगली जानवरों के काटने से फैलती है। इस जानलेवा बीमारी के बारे में लोगों को अवेयर करने के उद्देश्य से हर साल 28 सितंबर को वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाता है। इस जानलेवा बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इस साल 17 वां वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाएगा।
क्या है इसका इतिहास
world Rabies Day की घोषणा सबले पहली बार 2007 में हुआ था इसकी घोषण ग्लोबल अलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल द्वारा की गई थी और फिर इसके बाद स्वास्थ्य संगठन के द्वारा भी समर्थन किया गया था। इस दिन को ननाने का उद्देश्य रेबीज बीमारे के खतरे और रोकथाम के बारे मे लोगो को जागरुकता बढ़ाना है। आपको बता दे कि 1885 में पहला रेबीज टीका विकसित करने वाले फ्रांसाीसी रसायनज्ञ और सूक्ष्य जीवविज्ञानी लुईस पाश्रर का 28 सिंतबर को निधर हो गया। यही कारण है कि हर साल इस दिन को विश्व रेबीज दिवस के रुप में मनाया जाता है। और ये हर साल बनाया जाता है और कैप के द्वारा या फिर नुकर नाटक के द्नारा लोगो को जागरुक करते है। और आज ये वैक्सीन जानवरों और मनुष्यों के बीच महत्वपूर्ण रोल अदा कर रही है. इसके इस्तेमाल से मनुष्यों में रेबीज से होने वाले खतरे को कम किया जा सकता है. इस साल 17वां विश्व रेबीज डे मनाया जाएगा. रेबीज डे को हर साल नई थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है
क्या है इस बार की थीम
हर साल अलग अलग थीम के साथ मनाया जाता है इस बार रेबीज दिवस की थीम है 1 के लिए सभी, सभी के लिए एक स्वास्थ्य, रेबीज की रोकथाम के लिए हर साल 28 सितबंर को मनाया जाता है साथ ही अलग अलग थीम के साथ मनाते है।
रेबीज डे का क्या है उद्देश्य
रेबीज डे पूरे विश्व में मनाया जाता है और हर साल अलग अलग थीम के साथ मनाते है इसका मनाने की निम्नलिखित उद्देश्य जो कि कुछ इस प्रकार है
आपको बता दे कि विश्व रेबीज दिवस की स्थापना शिक्षा, जागरूकता के रूप में की गई थी। रेबीज की रोकथाम करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। रेबीज के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ इस बीमारी को रोकने के तरीके और देशों में लोगों को रेबीज से बचाव के लिए शिक्षित करना शामिल है। साथ ही दुनिया भर के कई देशों में रेबीज एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता का विषय है, इसलिए लोगों को जागरूक करना जरूरी माना गया है। भारत में मुख्य रूप से आवारा कुत्तों के कारण मानव रेबीज की दर सबसे अधिक मानी जाती है, इसलिए भारत में भी कई जगह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बता दे कि अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में मनुष्यों और जानवरों दोनों में रेबीज संक्रमण का खतरा है।
रेबीस रोग के क्या है लक्षण
1. बुखार
2. खाना-पीना निगलने मे समस्या
3. बहुत ही ज्यादा लार निकलना
4. पानी से डरना
5. सर में दर्द
6. घबराहट या बेचैनी