हिमाचल में पहली बार सीसीटीवी की निगरानी में होगा सेब कारोबार !
हिमाचल में पहली बार सीसीटीवी की निगरानी में सेब कारोबार होगा। सरकार ने राज्य कृषि विपणन बोर्ड को सभी मंडियों के प्रवेश और निकास द्वार सहित ऑक्शन यार्ड पर हाई डेफिनेशन सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए हैं। मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों के अलावा स्थानीय एसडीएम और पुलिस अधिकारियों के कार्यालय में लगी स्क्रीन से इन कैमरों को जोड़ा जाएगा।
वजन के हिसाब से सेब न बेचने वाले आढ़तियों और रूमाल के नीचे अवैध रूप से सेब की बोली लगाने वालों पर सबूतों के साथ शिकंजा कसा जाएगा। मंडियों में कितने वाहनों ने प्रवेश किया और लोड होकर कितनी गाड़ियां बाहर निकलीं इस पर कैमरों से नजर रखी जाएगी। उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने बताया कि सरकार के आदेशों पर सेब सीजन की तैयारियों को लेकर आयोजित बैठक में एपीएमसी के अधिकारियों को मंडियों में हाई डेफिनेशन सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैं। मंडियों में गैर कानूनी काम करने वालों पर कैमरों से नजर रखी जाएगी।
सेब कारोबार को पारदर्शी बनाने के लिए कैमरे लगाने के निर्देश
बागवानों के हित में सेब कारोबार को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए प्रदेश सरकार वचनबद्ध है। मार्केटिंग बोर्ड को सभी मंडियों में हाई डेफिनेशन सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि गड़बड़ी करने वालों पर सबूत के साथ तुरंत कार्रवाई की जा सके। -जगत सिंह नेगी, बागवानी मंत्री, हिमाचल सरकार
ऐसे होगी कार्रवाई
हाई डेफिनेशन सीसीटीवी कैमरे लगने के बाद मंडियों में रूमाल, तौलिए और ट्रे के नीचे चोरीछिपे सेब की बोली लगाने वाले आढ़तियों पर शिकंजा कसा जाएगा। आढ़ती और खरीदार आपस में सांठगांठ कर बागवानों का सेब औने पौने दामों पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। ऑक्शन यार्ड पर खुली बोली न लगाकर परदे में बोली लगाई जाती है। अंगुलियों के इशारे से दाम तय होते हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अब आढ़ती पर तुरंत कार्रवाई करते हुए लाइसेंस रद्द किया जाएगा और खरीदार के भी सेब खरीदने पर रोक लगाई जाएगी।
मंडियों में सख्ती, सड़क किनारे कारोबार करने वालों पर नरमी
आढ़ती एसोसिएशन के प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार मंडियों में काम करने वाले आढ़तियों के लिए नए-नए कानून बनाकर लागू कर रही है, लेकिन सड़क किनारे कारोबार करने वालों को खुली छूट दी जा रही है। मंडियों के आढ़ती सरकार को करोड़ों रुपये मार्केट फीस देते हैं जबकि सड़कों पर काम करने वाले लोग मार्केट फीस चुकाने में भी गड़बड़ी करते हैं।