10 को है सावन का पहला सोमवार ! जानिये क्या है पूजा करने का शुभ मुहूर्त

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    10 को है सावन का पहला सोमवार ! जानिये क्या है पूजा करने का शुभ मुहूर्त

    सावन का पावन माह 4 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक रहेगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है, क्योंकि श्रावण में ही शिव और शक्ति का मिलन हुआ था. कठोर तपस्या के बाद देवी पार्वती ने सावन में ही शिव को पुन: पति के रूप में पाया था. कहा जाता है कि इस माह में शिव आराधना करने से सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं.
     आपको बता दे कि सावन के महीने को सबसे पवित्र माना जाता है, इस बार का पहला सोमवार 10 जुलाई को है. हिंदू धर्म के अनुसार यह महीना अपने आप में काफी महत्व रखता है. क्योंकि इस पूरे महीने में शिव भक्त भक्ति में लीन रहते हैं.
    बता दें, इस बार अधिक मास की वजह से दो सावन पड़ रहे हैं जो पूरे 58 दिनों का है. जिसकी शुभ शुरुआत 10 जुलाई 2023 से हो रही है और इसकी समाप्ति 31 जुलाई 2023 को हो रही है.
     क्या है पूजा करने की शुभ मुहूर्त
     सावन के पहले सोमवार के दिन यानी 10 जुलाई 2023 को पंचक रहेगा, इसी के साथ ही इस दिन रेवती नक्षत्र का भी प्रभाव रहने वाला है. सावन के पहले दिन में पंचक लगने के कारण लोगों के मन में रुद्राभिषेक करने के शुभ मुहूर्त को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं. लेकिन आपको बता दें कि इस समय में पूजा – पाठ करने के लिए किसी भी प्रकार की रोक नहीं है, इसलिए पूरे दिन में पूजा – पाठ करने के लिए कोई भी रोक नहीं है.
    क्या है पूजा विधि                                
     व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद साफ – सुधरे वस्त्र धारण करें , इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं, सभी देवी – देवताओं को गंगा जल से जलाभिषेक करे, शिवलिंग पर गंगा जल और दूध चढ़ाएं, भगवान भोलेनाथ को ताज़े पुष्प चढ़ाएं, पुष्प के साथ – साथ बेल के पत्र भी अर्पित करें.
     भगवान शिवजी की आरती उतारें, भोग लगाएं, और इस बात का अच्छे से ध्यान रखने की शिवजी को सिर्फ सात्विक चीज़ों का ही भोग लगाया जाता है और भोलेनाथ का अच्छे से ख्याल रखें.
     पूजा में किस चीज का इस्तेमाल
    सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने में जो सामग्री इस्तेमाल की जानी है, वह है – पुष्प , चांदी, दक्षिणा , पूजा के बर्तन, दही , कुशासन , शुद्ध देसी घी, फल, पंच फल पंच मेवा, सोना, इत्र, गंध रोली, मैली जनेऊ, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, कपूर, धूप, ईंख का रस, दीप, रुई, मलयगिरि, चंदन, शिव व मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री, तुलसी दल, जौ की बालें, बेल, आम्र, गाय का कच्चा दूध, मंदार पुष्प.

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