AIN NEWS 1 सिंध (पाकिस्तान) – सिंध प्रांत के मीरपुरखास जिले में एक 10 वर्षीय हिंदू लड़की को उसके घर के बाहर से अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन और शादी कराने का मामला सामने आया है। घटना ने पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण
यह घटना कोट गुलाम मुहम्मद गांव में हुई, जहां बीते सप्ताह बच्ची को उसके घर के बाहर से अगवा कर लिया गया। उसे सरहंदी एयर समारो मदरसे ले जाया गया, जहां जबरन इस्लाम कबूल कराया गया। इसके बाद उसकी शादी शाहिद तालपुर नामक व्यक्ति से कर दी गई।
पुलिस का हस्तक्षेप
मामला सामने आने पर क्षेत्रीय अधिकारियों ने जांच शुरू की। एसएसपी अनवर अली तालपुर के हस्तक्षेप के बाद बच्ची को बरामद कर लिया गया और उसे उसके परिवार के पास सुरक्षित लौटा दिया गया।
सिंध में बढ़ती घटनाएं
सिंध प्रांत के ग्रामीण इलाकों में हिंदू अल्पसंख्यकों, खासकर नाबालिग लड़कियों, के अपहरण, धर्मांतरण और जबरन शादी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
पाकिस्तान दरावर इत्तेहाद के अध्यक्ष शिवा काछी ने इस मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि पुलिस और प्रशासन में भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं। जब पीड़ित परिवार अदालत में न्याय की मांग करता है, तो इन दस्तावेजों का इस्तेमाल उनके खिलाफ किया जाता है।
एक और मामला सामने आया
उन्होंने यह भी बताया कि सिंध के संघर जिले में एक अन्य मामले में 15 वर्षीय हिंदू लड़की को अगवा कर 50 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति से जबरन शादी करा दी गई। यह लड़की अब तक बरामद नहीं हो पाई है।
अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सवाल
इन घटनाओं ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। शिवा काछी का कहना है कि धार्मिक और सामाजिक संगठन लगातार इस समस्या को उजागर कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण स्थिति नहीं सुधर रही।
न्याय की मांग
अल्पसंख्यक संगठनों ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि हिंदू लड़कियों के साथ हो रहे अत्याचारों को रोका जाए और ऐसे मामलों में दोषियों को सख्त सजा दी जाए। साथ ही, धर्मांतरण और जबरन शादी पर रोक लगाने के लिए ठोस कानून बनाए जाने की मांग की जा रही है।
निष्कर्ष
यह घटना न केवल एक बच्ची के अधिकारों का हनन है, बल्कि अल्पसंख्यकों के प्रति सामाजिक अन्याय और प्रशासनिक उदासीनता का गंभीर उदाहरण भी है। इस मुद्दे पर कार्रवाई न करना मानवाधिकारों के हनन को बढ़ावा देना है।