Sunday, December 22, 2024

सद्गुरु की ईशा फाउंडेशन में 150 पुलिसकर्मियों की तलाशी, मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर दो बहनों के मामले की जांच

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AIN NEWS 1 | मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार को कोयंबटूर के थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन के आश्रम में 150 पुलिसकर्मियों की एक टीम ने तलाशी अभियान शुरू किया। यह टीम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में पहुंची, जिसमें तीन उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) भी शामिल थे। यह अभियान फाउंडेशन में रह रहे लोगों की जांच और उनके कमरों की तलाशी पर केंद्रित था।

ईशा योग केंद्र ने इसे सिर्फ एक सामान्य जांच बताया। उनके बयान के अनुसार, “कोर्ट के आदेश के अनुसार, पुलिस, जिसमें एएसपी भी शामिल हैं, ईशा योग केंद्र में एक सामान्य जांच कर रही है। वे यहां रह रहे निवासियों और स्वयंसेवकों से पूछताछ कर रहे हैं और उनके जीवनशैली को समझने की कोशिश कर रहे हैं।”

दो बहनों के कथित बंधक होने का मामला

यह तलाशी अभियान डॉ. एस. कमराज द्वारा दायर की गई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बाद शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनकी दो बेटियां, गीता कमराज (42) और लता कमराज (39), ईशा फाउंडेशन के अंदर जबरन रोकी जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि फाउंडेशन लोगों का ब्रेनवॉश कर उन्हें संन्यासी बना रहा है और उनके परिवार से संपर्क तोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है।

हालांकि, दोनों बेटियों ने अदालत में कहा कि वे अपनी मर्जी से फाउंडेशन में रह रही हैं और उन पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं है।

बेटियों की प्रोफेशनल उपलब्धियां और माता-पिता की चिंताएं

याचिका में कमराज ने अपनी बेटियों की प्रोफेशनल उपलब्धियों का जिक्र किया। गीता, जो यूके के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से मेक्ट्रोनिक्स में स्नातकोत्तर हैं, ने 2008 में अपने पति से तलाक के बाद फाउंडेशन में योग कक्षाएं लेनी शुरू कीं। दूसरी बेटी, लता, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, ने भी अपनी बहन के नक्शेकदम पर चलते हुए फाउंडेशन में रहना शुरू किया।

याचिका में आरोप लगाया गया कि फाउंडेशन उनकी बेटियों को ऐसा भोजन और दवाइयाँ दे रहा है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो रही है और वे परिवार से पूरी तरह कट गई हैं।

अदालत की प्रतिक्रिया और सवाल

मद्रास हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस.एम. सुब्रमण्यम और वी. सिवगनम ने फाउंडेशन और उसके संस्थापक, जग्गी वासुदेव (साधगुरु) के जीवन में विरोधाभास पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, “साधगुरु, जिन्होंने अपनी बेटी की शादी करवाई और उसे एक सफल जीवन दिया, वे दूसरों की बेटियों को संन्यास के जीवन की ओर क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं?”

हालांकि, कमराज की बेटियों ने अदालत में कहा कि वे अपनी मर्जी से रह रही हैं, लेकिन अदालत ने इस दावे पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया। न्यायाधीशों ने यह भी टिप्पणी की कि बेटियों और उनके माता-पिता के बीच दुश्मनी नजर आ रही है। न्यायाधीश सुब्रमण्यम ने बेटियों से कहा, “आप आध्यात्मिक पथ पर होने का दावा करती हैं, लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि माता-पिता की उपेक्षा करना पाप है?”

ईशा फाउंडेशन की प्रतिक्रिया

ईशा फाउंडेशन ने अपने बयान में कहा कि वे किसी को शादी करने या संन्यासी बनने के लिए बाध्य नहीं करते हैं; यह सब व्यक्तिगत चुनाव होते हैं। उन्होंने कहा कि उनके केंद्र में कई लोग आते हैं और उनमें से कुछ ही संन्यास का जीवन चुनते हैं।

फाउंडेशन ने याचिका के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बेटियों ने स्वयं अदालत में पेश होकर बताया कि वे अपनी इच्छा से फाउंडेशन में रह रही हैं और उन पर कोई दबाव नहीं है।

आगे की जांच का आदेश

अदालत ने इस मामले की गहन जांच के लिए अतिरिक्त लोक अभियोजक ई. राज तिलक को 4 अक्टूबर तक एक व्यापक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इसमें ईशा फाउंडेशन के खिलाफ लंबित सभी आपराधिक मामलों का विवरण भी शामिल होगा।

ईशा फाउंडेशन ने कहा कि उनके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला नहीं है और याचिकाकर्ता पहले भी झूठे आरोप लगाकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की कोशिश कर चुके हैं।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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