दिवाली वीक पर घटा करेंसी सर्कुलेशन

20 साल में पहली बार हुआ कमाल

डिजिटल ट्रांजेक्शंस बढ़ने का असर

AIN NEWS 1: नोटबंदी के बाद से ही डिजिटल ट्रांजेक्शंस की रफ्तार में इजाफा हो रहा है। कोरोना काल के दौरान तो डिजिटल लेन-देन की ग्रोथ ऐसी बढ़ी है कि अब बीते कई महीनों से हर बार डिजिटल ट्रांजेक्शंस लगातार नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। ऐसे में 20 साल में एक अपवाद को छोड़कर पहली बार दिवाली वाले हफ्ते में कागजी नोटों के चलन में गिरावट दर्ज की गई है। SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक दिवाली वाले हफ्ते के दौरान देश में प्रचलित नोटों के मूल्य में 7,600 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। SBI के आर्थशास्त्रियों के मुताबिक लोगों की डिजिटल पेमेंट्स पर बढ़ती निर्भरता की वजह से ये मुमकिन हुआ है।

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बदल रही है देश की अर्थव्यवस्था

SBI रिपोर्ट के मुताबिक आर्थशास्त्रियों का कहना है कि देश की इकॉनमी अब एक संरचनात्मक बदलाव के दौर से गुजर रही है। जिसकी वजह से इस तरह का ट्रेंड देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट में साफ किया गया है कि 2009 में भी दिवाली हफ्ते के दौरान देश में नोटों के चलन में मूल्य के हिसाब से 950 करोड़ रुपये की कमी रही थी। लेकिन उस वक्त ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस की वजह से आई मंदी के चलते ऐसा हुआ था। आर्थशास्त्रियों का कहना है कि तकनीक में तरक्की के दम पर भारतीय पेमेंट सिस्टम में बड़ा भारी बदलाव आया है। बीते कुछ बरसों में नकदी पर आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था अब स्मार्टफोन बेस्ड भुगतान अर्थव्यवस्था में तब्दील हो गई है।

डिजिटल इंडिया के लिए सरकार की तारीफ

रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था को डिजिटलाइज बनाने के लिए सरकार की कोशिशों की भी तारीफ की गई है। इंटरॉपरेबल पेमेट्स सिस्टम जैसे UPI, वॉलेट और PPI से पैसे का डिजिटल ट्रांसफर आसान हो गया है। इससे डिजिटल ट्रांजेक्शंस की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में कुल भुगतान में डिजिटल ट्रांजेक्शंस की हिस्सेदारी 2016 के 11.26 फीसदी के मुकाबले 2022 में बढ़कर 80 परसेंट पर पहुंच गया है। 2027 तक इसकी हिस्सेदारी 88 फीसदी पर पहुंचने का अनुमान है। अब जिस तरह से RBI ने डिजिटल मनी का ट्रायल शुरु कर दिया है उससे उम्मीद है कि कागजी नोटों का चलन आने वाले बरसों में तेजी से कम हो जाएगा। 1 नंवबर को थोक लेन देन के लिए शुरु हुए CBDC के पायलट प्रोजेक्ट का अगला फेज करीब 1 महीने में रिटेल लेन देन में भी लागू किए जाने की योजना है। ऐसे में अगर ये पायलट सफल रहे तो फिर भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनने से कोई नहीं रोक पाएगा।

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