AIN NEWS 1 | चीन के तियानजिन शहर में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया को आतंकवाद के खतरे से आगाह किया। सम्मेलन के मंच से पीएम मोदी ने आतंकवाद को शांति और विकास की सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि इस पर पूरी दुनिया को एकजुट होकर कार्रवाई करनी होगी।
अपने संबोधन की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री मोदी ने साफ शब्दों में कहा कि आतंकवाद केवल पारंपरिक स्वरूप तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि अब यह साइबर आतंकवाद और ऑनलाइन कट्टरपंथ के रूप में भी वैश्विक सुरक्षा के लिए गहरी चुनौती बन चुका है। उन्होंने SCO को S – Security, C – Connectivity और O – Opportunity का मंच बताते हुए साझा सहयोग पर जोर दिया।
पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख किया। उन्होंने भावुक स्वर में कहा –
“भारत दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। न जाने कितनी माताओं ने अपने बेटे खोए और कितने बच्चे अनाथ हो गए। हाल ही में पहलगाम की घटना ने आतंकवाद का सबसे वीभत्स चेहरा दिखाया। यह हमला सिर्फ भारत की आत्मा पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर सीधा आघात था।”
पीएम मोदी ने इस कठिन समय में भारत के साथ खड़े होने वाले मित्र देशों का आभार जताया और कहा कि आतंकवाद की इस लड़ाई में एकजुटता बेहद जरूरी है।
पाकिस्तान पर सीधा निशाना
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया। उन्होंने सवाल उठाया –
“क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन स्वीकार किया जा सकता है? हमें मिलकर एक सुर में कहना होगा कि आतंकवाद पर किसी भी तरह का दोहरा रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
उनका यह बयान सीधे तौर पर पाकिस्तान की ओर इशारा करता है, जिस पर लंबे समय से आतंकवाद को पनाह देने और समर्थन करने के आरोप लगते रहे हैं। मोदी ने दुनिया से अपील की कि चाहे आतंकवाद किसी भी रूप या रंग में हो, उसका विरोध करना सभी का साझा कर्तव्य है।
सुरक्षा को बताया विकास का आधार
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति के लिए सबसे पहले सुरक्षा, शांति और स्थिरता आवश्यक है। अगर देश आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ जैसी समस्याओं से जूझ रहा हो तो वहां विकास की राह बेहद कठिन हो जाती है।
उन्होंने यह भी कहा –
“आतंकवाद न केवल देशों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए गंभीर चुनौती है। हमें मिलकर ऐसी रणनीति बनानी होगी, जिसमें किसी भी तरह का भेदभाव या डबल स्टैंडर्ड न हो।”
SCO मंच पर भारत की भूमिका
मोदी ने SCO मंच की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि यह संगठन यूरेशियाई क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने का बड़ा अवसर है। उन्होंने इसे तीन स्तंभों पर खड़ा बताया –
Security (सुरक्षा) – आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई।
Connectivity (कनेक्टिविटी) – देशों के बीच मजबूत व्यापार और सांस्कृतिक संबंध।
Opportunity (अवसर) – आपसी सहयोग से विकास और प्रगति के नए अवसर।
मोदी का चीन दौरा – 7 साल बाद
इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन पहुंचे हैं। यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद दोनों देशों के रिश्ते जटिल दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे समय में चीन की मेजबानी में हो रहा SCO समिट, भारत और चीन दोनों के लिए कूटनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है।
सोशल मीडिया पर साझा की झलक
सम्मेलन से पहले पीएम मोदी ने फोटो सेशन से जुड़ी एक तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने लिखा – “तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन में।” उनके इस पोस्ट पर लोगों ने खूब प्रतिक्रियाएं दीं और आतंकवाद के खिलाफ उनके सख्त रुख की सराहना की।
SCO की पृष्ठभूमि
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में कुल आठ सदस्य देश शामिल हैं – भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान। इस संगठन का फोकस राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर है। खासकर आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद जैसी समस्याओं से निपटने में यह एक अहम भूमिका निभाता है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण न केवल पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक आह्वान भी है कि आतंकवाद पर किसी भी तरह का समझौता अस्वीकार्य है। उन्होंने साफ कर दिया कि आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और इसे जड़ से खत्म करना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।



















