AIN NEWS 1 | बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार (1 सितंबर 2025) को मराठा आरक्षण आंदोलन पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने कहा कि कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में चल रहा यह आंदोलन अब शांतिपूर्ण नहीं रह गया है और इससे मुंबई की आम जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि प्रदर्शनकारियों ने आजाद मैदान में प्रदर्शन की अनुमति के दौरान तय की गई सभी शर्तों का उल्लंघन किया है। इसी के साथ अदालत ने जरांगे और उनके समर्थकों को निर्देश दिया कि वे मंगलवार दोपहर तक सड़कें खाली कर सामान्य स्थिति बहाल करें।
मनोज जरांगे कहाँ कर रहे हैं अनशन?
29 अगस्त से मनोज जरांगे दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। शुरुआत में उन्होंने सिर्फ भोजन त्यागा था, लेकिन सोमवार से उन्होंने पानी भी पीना बंद कर दिया है।
जरांगे का कहना है कि वे मराठा समुदाय को OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में आरक्षण दिलाने की मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि मराठों को “कुनबी” का दर्जा दिया जाए ताकि समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण का लाभ मिल सके।
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस गौतम अंखड की बेंच ने विशेष सुनवाई करते हुए कहा कि आंदोलनकारी सिर्फ आजाद मैदान तक सीमित नहीं रहे हैं। उन्होंने:
सीएसएमटी (छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस)
चर्चगेट रेलवे स्टेशन
मरीन ड्राइव
हाई कोर्ट भवन के आसपास के इलाके
जैसे अहम स्थानों पर कब्जा कर लिया है। अदालत ने टिप्पणी की कि यह आंदोलन अब नागरिकों की परेशानी का कारण बन गया है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रतिक्रिया
बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार अदालत के निर्देशों को लागू करेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार मराठा आरक्षण के मुद्दे को हल करने के लिए सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।
फडणवीस ने अपील की कि आंदोलनकारियों को कानून और व्यवस्था बनाए रखनी चाहिए और मुंबईवासियों को अनावश्यक तकलीफ नहीं देनी चाहिए।
मनोज जरांगे की चेतावनी
जरांगे ने आंदोलन को और तेज करने का इशारा दिया। उन्होंने कहा:
अगर सरकार ने समुदाय की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो पांच करोड़ मराठा मुंबई पहुंच जाएंगे।
हालांकि उन्होंने अपने समर्थकों से यह भी कहा कि उनके आंदोलन से मुंबई के आम लोगों को ज्यादा दिक्कत न हो।
जरांगे के इस बयान ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है।
मुंबई की सड़कों पर जाम और अव्यवस्था
आंदोलनकारियों की भीड़ खासकर सीएसएमटी और दक्षिण मुंबई के इलाकों में उमड़ पड़ी।
सड़कों पर भारी ट्रैफिक जाम हो गया।
यात्री घंटों फंसे रहे।
सीएसएमटी पर आंदोलनकारी नाचते और नारेबाजी करते दिखे।
यह स्थिति आजाद मैदान से महज कुछ मीटर की दूरी पर उत्पन्न हुई, जहां जरांगे अनशन पर बैठे हैं।
बेस्ट बसों की सेवाओं पर असर
आंदोलन के चलते मुंबई की बेस्ट बस सेवा भी प्रभावित हुई।
सीएसएमटी जाने वाली सभी बसों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया।
कुछ रूट बदले गए और कुछ पर सेवाएं घटा दी गईं।
इससे ऑफिस जाने वाले यात्रियों और आम लोगों को और भी परेशानी झेलनी पड़ी।
पुलिस की कार्रवाई
जब आंदोलनकारी सीएसएमटी, बीएमसी मुख्यालय और मेट्रो थिएटर के पास बसों और वाहनों का रास्ता रोकने लगे तो पुलिस को बीच में आना पड़ा।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया।
कुछ जगहों पर हल्का तनाव भी देखने को मिला।
आंदोलन का बड़ा सवाल
मराठा आरक्षण का मुद्दा महाराष्ट्र की राजनीति में नया नहीं है। पिछले एक दशक में कई बार यह आंदोलन हुआ है और हर बार सरकार ने अलग-अलग वादे किए हैं।
इस बार मनोज जरांगे के नेतृत्व में आंदोलन ने नई ऊर्जा पकड़ी है।
जरांगे ने इसे सामाजिक न्याय का सवाल बताया है।
वहीं सरकार कह रही है कि कानूनी ढांचे के भीतर ही समाधान निकाला जा सकता है।
बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश इस आंदोलन को नया मोड़ दे सकता है। जरांगे अपनी मांगों पर अडिग हैं और सरकार कानूनी विकल्प तलाश रही है। इस बीच, आम जनता को रोजाना यातायात जाम और असुविधा झेलनी पड़ रही है।
अब देखना होगा कि मंगलवार दोपहर तक आंदोलनकारी सड़कों को खाली करते हैं या स्थिति और ज्यादा बिगड़ती है। यह आंदोलन सिर्फ आरक्षण की लड़ाई नहीं, बल्कि सरकार और समाज के बीच विश्वास की परीक्षा भी है।