AIN NEWS 1 | पंजाब इन दिनों अपनी दशकों की सबसे भयावह प्राकृतिक आपदा से गुजर रहा है। लगातार हो रही भारी बारिश और पहाड़ी राज्यों से बहकर आ रहे पानी ने राज्य के बड़े हिस्से को जलमग्न कर दिया है। नदियों का उफान, गाँवों का डूबना, लाखों लोगों का घर छोड़ना और किसानों की फसलों का नष्ट होना – यह सब मिलकर पंजाब को गहरी त्रासदी की ओर धकेल रहे हैं। विशेषज्ञ इसे 1988 के बाद की सबसे बड़ी बाढ़ मान रहे हैं।
1. बाढ़ की पृष्ठभूमि
पंजाब को “भारत का अनाज घर” कहा जाता है, लेकिन इस बार अनाज के खेत ही पानी में डूब गए हैं। अगस्त से सितंबर की शुरुआत तक लगातार हुई बारिश ने सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर जैसी नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुँचा दिया।
पहाड़ी राज्यों हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से आने वाला अतिरिक्त पानी भी इसमें जुड़ गया, जिसने हालात और बिगाड़ दिए।
2. जिलावार असर
अमृतसर और कपूरथला
सीमावर्ती इलाकों में कई गाँव पूरी तरह जलमग्न हो गए। किसान कहते हैं कि उन्होंने ऐसा कहर पहले कभी नहीं देखा।
फिरोज़पुर और फाजिल्का
सीमा से लगे इन जिलों में गाँवों में पानी भर गया है। सेना और NDRF की मदद से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है।
पटियाला
घग्गर नदी के उफान ने यहाँ सबसे ज्यादा तबाही मचाई। कई गाँव डूब गए और धान की पूरी फसल बर्बाद हो गई।
होशियारपुर और पठानकोट
पहाड़ी क्षेत्रों से पानी सीधे इन जिलों में आया। कई सड़कें टूट गईं और संचार व्यवस्था बाधित हो गई।
3. मौतें और प्रभावित लोग
सरकारी आँकड़े बताते हैं:
अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है।
2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
1,000 से ज्यादा गाँव डूबे हैं।
2.32 लाख एकड़ खेत बर्बाद हो चुके हैं।
4. किसानों और ग्रामीणों की आवाज़
गुरप्रीत सिंह (फाजिल्का, किसान):
“धान की फसल अच्छी उम्मीद दे रही थी, लेकिन बाढ़ ने सब कुछ खत्म कर दिया। अब तो घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।”
बलविंदर कौर (अमृतसर, गृहिणी):
“पानी इतनी तेजी से आया कि घर से कुछ भी निकालने का समय नहीं मिला। बच्चों और बुजुर्गों को सेना ने नाव से निकाला। अब राहत शिविर ही हमारा सहारा है।”
जसविंदर सिंह (पटियाला, युवा किसान):
“सरकार मुआवज़ा देने की बात कर रही है, लेकिन जब तक पैसे हाथ में आएंगे, तब तक हम कैसे जियेंगे?”
5. राहत और बचाव कार्य
भारतीय सेना, NDRF और BSF की टीमें लगातार प्रभावित इलाकों में काम कर रही हैं।
हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया।
राहत शिविरों में खाने-पीने और दवाइयों का इंतज़ाम किया गया।
मेडिकल टीमें स्वास्थ्य सेवाएँ दे रही हैं ताकि महामारी का खतरा न फैले।
6. मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार की भूमिका
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हालात की जानकारी दी और मदद की अपील की।
पंजाब सरकार ने केंद्र से ₹60,000 करोड़ की लंबित राशि जारी करने की मांग की।
किसानों को मिलने वाला मुआवज़ा ₹50,000 प्रति एकड़ करने की अपील की गई।
प्रधानमंत्री ने हरसंभव मदद का भरोसा दिया।
7. विपक्ष और राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस ने केंद्र से विशेष राहत पैकेज की माँग की।
अकाली दल ने राज्य सरकार से किसानों को पूरी मदद देने की अपील की।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने समय रहते बाढ़ की तैयारी नहीं की।
8. समाज और कलाकारों की भूमिका
संकट की इस घड़ी में पंजाबी कलाकार और समाजसेवी भी आगे आए हैं।
दिलजीत दोसांझ ने 10 गाँव गोद लिए।
एमी विर्क ने 200 घर बनाने का वादा किया।
सोनू सूद ने भी प्रभावित परिवारों की मदद का ऐलान किया।
9. मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है।
घग्गर नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
अगर बारिश जारी रही तो और गाँव डूब सकते हैं।
10. विशेषज्ञों की राय और चुनौतियाँ
जल विशेषज्ञों का कहना है कि पंजाब में ड्रेनेज और नहरों की सफाई समय पर न होने से हालात बिगड़े।
भविष्य की बड़ी चुनौतियाँ:
किसानों को मुआवज़ा और आर्थिक सहायता।
राहत शिविरों से लोगों की घर वापसी।
सड़कों और पुलों की मरम्मत।
बाढ़ रोकने के लिए नई नीतियाँ और इन्फ्रास्ट्रक्चर।
पंजाब की 2025 की यह बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि राज्य की कृषि और सामाजिक ढांचे के लिए एक बड़ी चुनौती है। लाखों लोग प्रभावित हुए हैं और किसानों की कमर टूट गई है। सरकार, सेना और समाज मिलकर मदद कर रहे हैं, लेकिन यह घटना साफ करती है कि आपदाओं से निपटने के लिए हमें पहले से तैयार रहना होगा।