AIN NEWS 1 | गाजियाबाद के मोदीनगर क्षेत्र में विकास की एक नई कहानी लिखी जाने वाली है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने यहां 251 हेक्टेयर भूमि पर एक इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करने की योजना को मंजूरी दे दी है। यह टाउनशिप एक लॉजिस्टिक पार्क के रूप में तैयार की जाएगी, जिसका मकसद स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देना, युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना और छोटे उद्यमियों को नए अवसर देना है।
जीडीए की बैठक में लिया गया फैसला
यह फैसला मेरठ में आयोजित जीडीए की बोर्ड बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता मेरठ मंडलायुक्त डॉ. हृषिकेश भास्कर यशोद ने की। प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ और तय किया गया कि मोदीनगर के गांव सैदपुर हुसैनपुर डीलना में इस परियोजना की शुरुआत होगी।
भूमि का ब्योरा भी स्पष्ट कर दिया गया है –
61.84 हेक्टेयर सरकारी भूमि
189.24 हेक्टेयर निजी भूमि
इन दोनों को मिलाकर कुल 251 हेक्टेयर क्षेत्र में यह टाउनशिप बनेगी। जीडीए इस भूमि को आपसी सहमति या अधिग्रहण के जरिए अपने कब्जे में लेकर आगे की प्रक्रिया शुरू करेगा।
कनेक्टिविटी बनेगी सबसे बड़ी ताकत
यह टाउनशिप ऐसे क्षेत्र में प्रस्तावित है जहां पहुंचना बेहद आसान होगा।
यह दिल्ली-मेरठ नॉर्दर्न एक्सप्रेसवे के परतापुर बाईपास से सिर्फ 7 किलोमीटर दूर होगी।
दिल्ली-मेरठ रोड भी बेहद पास है।
एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे राज्यों से यहां तक सीधा संपर्क संभव होगा।
इससे न केवल कच्चे माल की सप्लाई आसान होगी बल्कि तैयार सामान को विभिन्न बाजारों तक भेजना भी सुविधाजनक हो जाएगा। यही वजह है कि यह जगह उद्योगों के लिए एक आदर्श लॉजिस्टिक हब साबित होगी।
छोटे और नए उद्यमियों को मिलेगा बढ़ावा
जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स के अनुसार इस योजना का मुख्य लक्ष्य छोटे और नए उद्यमियों को प्रोत्साहन देना है।
यहां बहुउद्देश्यीय भवन बनाए जाएंगे।
उद्यमियों को अपने उत्पादों की प्रदर्शनी और व्यापारिक नेटवर्क बढ़ाने का मौका मिलेगा।
स्थानीय स्तर पर उद्योग स्थापित होंगे जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
यह कदम खासतौर पर उन युवाओं और छोटे कारोबारियों के लिए सुनहरा अवसर होगा जो बड़े शहरों में जाकर संघर्ष नहीं करना चाहते।
किसानों की भूमिका और जमीन अधिग्रहण
इस परियोजना में निजी भूमि का अधिग्रहण भी शामिल है। जीडीए का कहना है कि यह प्रक्रिया आपसी सहमति और उचित मुआवजे के साथ होगी।
कई किसानों ने इसे विकास का हिस्सा मानते हुए स्वागत किया है। उनका कहना है कि यदि सही मुआवजा और रोजगार के अवसर मिलते हैं तो यह कदम पूरे क्षेत्र के लिए फायदेमंद होगा।
वहीं कुछ किसान सतर्क भी हैं। उनका मानना है कि सरकार को समय पर और बाजार मूल्य से अधिक मुआवजा सुनिश्चित करना चाहिए।
युवाओं की उम्मीदें
मोदीनगर और आसपास के युवाओं में इस खबर को लेकर उत्साह है।
एक कॉलेज छात्र रोहित ने कहा –
“अगर यह टाउनशिप बनती है तो हमें दिल्ली या अन्य शहरों में नौकरी ढूंढने नहीं जाना पड़ेगा। रोजगार यहीं मिलेगा।”
युवाओं का मानना है कि यह परियोजना न केवल रोजगार बल्कि शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र भी लेकर आ सकती है।
विशेषज्ञों की राय
शहर नियोजन और अर्थव्यवस्था के जानकार मानते हैं कि इस तरह की इंडस्ट्रियल टाउनशिप का सबसे बड़ा फायदा संतुलित विकास है।
इससे छोटे व्यवसायों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
परिवहन और लॉजिस्टिक सेक्टर में नई नौकरियां बनेंगी।
हाउसिंग, होटल और सर्विस सेक्टर भी तेजी से बढ़ेंगे।
एक अर्थशास्त्री ने कहा –
“ऐसी परियोजनाएं केवल उद्योग तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि इनके आसपास छोटे-छोटे रोजगार और सेवाएं भी जन्म लेती हैं। यह पूरे क्षेत्र के लिए आर्थिक इंजन की तरह काम करती हैं।”
गाजियाबाद महायोजना 2031 को मिली मंजूरी
इसी बैठक में जीडीए ने गाजियाबाद महायोजना 2031 को भी हरी झंडी दी।
इस योजना का उद्देश्य है –
शहर के ट्रैफिक और परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करना।
आवास और हरे-भरे क्षेत्रों का विस्तार।
बुनियादी ढांचे को मजबूत करना।
इसके जरिए गाजियाबाद को एक बेहतर और संतुलित विकास वाला शहर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
हरनंदीपुरम में नई टाउनशिप
बैठक में एक और बड़ा निर्णय लिया गया। हरनंदीपुरम में भी एक नई टाउनशिप बनाई जाएगी। इसके लिए दो चरणों में 8 गांवों की लगभग 490 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी।
इससे गाजियाबाद में नई-नई टाउनशिप्स का नेटवर्क बनेगा जो भविष्य की आबादी और रोजगार की जरूरतों को पूरा करेगा।
संभावित आर्थिक प्रभाव
मोदीनगर की इंडस्ट्रियल टाउनशिप के बनने से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में कई बदलाव होंगे –
रोजगार सृजन – हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नौकरी मिलेगी।
स्थानीय व्यापार में तेजी – दुकानदारों, छोटे व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं को लाभ होगा।
रियल एस्टेट ग्रोथ – आसपास जमीन और मकानों की कीमतों में बढ़ोतरी होगी।
सरकारी राजस्व बढ़ेगा – उद्योगों और व्यापार से टैक्स कलेक्शन बढ़ेगा।
महिलाओं को अवसर – छोटे उद्योग और प्रशिक्षण केंद्र महिलाओं के लिए भी रोजगार के नए विकल्प खोलेंगे।
चुनौतियां भी होंगी
हालांकि इस योजना के फायदे बड़े हैं, लेकिन चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं –
भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद।
पर्यावरणीय प्रभाव जैसे प्रदूषण और पेड़ों की कटाई।
बिजली, पानी और बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त दबाव।
अगर इन चुनौतियों को समय रहते हल किया गया तो यह परियोजना पूरे प्रदेश के लिए मॉडल प्रोजेक्ट साबित हो सकती है।
मोदीनगर में बनने वाली 251 हेक्टेयर इंडस्ट्रियल टाउनशिप सिर्फ एक औद्योगिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक तस्वीर बदलने वाली है।
छोटे और नए उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलेंगे।
किसानों को उचित मुआवजा और व्यापारिक विकल्प मिलेंगे।
गाजियाबाद और एनसीआर को विकास की नई दिशा मिलेगी।
यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वर्षों में मोदीनगर उत्तर प्रदेश की औद्योगिक शक्ति का नया केंद्र बन जाएगा।