AIN NEWS 1 | भारत सहित पूरी दुनिया के लिए 7–8 सितंबर 2025 की रात खास रहने वाली है, क्योंकि इस दिन साल का सबसे बड़ा और पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा। हिंदू मान्यताओं में चंद्रग्रहण को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह समय सावधानी और साधना का होता है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह केवल एक खगोलीय घटना है। आइए जानते हैं विस्तार से – ग्रहण का समय, सूतक काल, इसके दौरान क्या करें और किन चीजों से बचना चाहिए।
🌙 चंद्रग्रहण 2025 का समय (भारत में)
सूतक काल शुरू: 7 सितंबर, दोपहर 12:57 बजे
ग्रहण की शुरुआत: रात 9:57 बजे
पूर्ण ग्रहण चरण: रात 11:41 से 11:42 बजे
ग्रहण समाप्ति (मोक्ष): 8 सितंबर, रात 1:26 बजे
कुल अवधि: लगभग 3 घंटे 28 मिनट
सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है और ग्रहण समाप्ति तक चलता है।
🕉️ सूतक काल का महत्व
हिंदू धर्म में सूतक काल को शुद्धाचार का समय माना गया है। मान्यता है कि इस दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है और देवी-देवताओं की मूर्तियों पर ग्रहण का असर पड़ता है। इसी कारण मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ रोक दिया जाता है।
✅ ग्रहण के समय क्या करें
मंत्र जप और ध्यान
– गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र या “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना सबसे शुभ माना जाता है।
– ध्यान करने से मन और आत्मा को शांति मिलती है।दान-पुण्य करें
– ग्रहण मोक्ष के बाद स्नान कर भोजन, वस्त्र, चांदी, दूध या दही का दान करें।
– शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण के बाद दान करने से फल कई गुना बढ़ जाता है।सफेद वस्त्र पहनें
– परंपरा के अनुसार सफेद रंग को शांति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।स्नान और पूजा
– ग्रहण समाप्ति के बाद गंगाजल या पवित्र जल से स्नान कर घर की शुद्धि करें।
– इसके बाद भगवान की आराधना करें।
❌ ग्रहण के समय क्या न करें
भोजन और पकाना वर्जित
– ग्रहण और सूतक के दौरान भोजन बनाना और खाना अशुभ माना जाता है।
– पहले से बने भोजन में तुलसी पत्र डालकर रखने से उसका दूषित प्रभाव कम होता है।सोना
– मान्यता है कि इस समय सोने से नकारात्मक असर बढ़ता है।पूजा-पाठ और मंदिर जाना
– सूतक और ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ बंद कर दिए जाते हैं।
– मंदिरों के कपाट ग्रहण मोक्ष के बाद ही खुलते हैं।सौंदर्य और शरीर संबंधी कार्य
– तेल-मालिश, बालों में कंघी करना, नाखून काटना या धुलाई करना अशुभ माना जाता है।गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी
– धारदार वस्तुओं का प्रयोग न करने की सलाह दी जाती है।
– हालांकि डॉक्टर मानते हैं कि आपात स्थिति में इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए।
🔭 वैज्ञानिक दृष्टिकोण
विज्ञान के अनुसार, चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक घटना है और इससे स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता।
– इसे नंगी आंखों से देखना सुरक्षित है।
– दूरबीन से देखने पर और भी साफ अनुभव किया जा सकता है।
– वैज्ञानिक इसे सीखने और समझने का अवसर मानते हैं।
📖 परंपरा और आस्था
भारत में ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आस्था से जुड़ा हुआ समय भी है।
– इस दौरान भक्त भगवान का नाम जपते हैं।
– ग्रहण के बाद स्नान, दान और पूजा करके सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित किया जाता है।
– धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह मानव ज्ञान को बढ़ाने वाली घटना है।
7 सितंबर 2025 की रात 9:57 बजे से 8 सितंबर की रात 1:26 बजे तक पूर्ण चंद्रग्रहण रहेगा।
सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से ही शुरू हो जाएगा। इस दौरान भोजन, पूजा और अन्य कार्य वर्जित माने जाते हैं।
– धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंत्र जप, ध्यान और दान करना शुभ है।
– वैज्ञानिक दृष्टि से यह घटना पूरी तरह सुरक्षित है और नंगी आंखों से देखी जा सकती है।
इस प्रकार, चंद्रग्रहण हमें एक ओर वैज्ञानिक जिज्ञासा का अवसर देता है और दूसरी ओर आध्यात्मिक साधना और आत्मशुद्धि का समय भी प्रदान करता है।