AIN NEWS 1: नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू से लेकर अन्य शहरों तक गुस्साई भीड़ सड़कों पर है। सरकारी नीतियों और नेताओं से नाराज जनता का आक्रोश इतना बढ़ गया कि हालात हिंसा में बदल गए।
वित्तमंत्री पर हमला
घटनाओं की शुरुआत तब हुई जब प्रदर्शन के बीच वित्तमंत्री विष्णु पौडेल अचानक भीड़ के हाथ लग गए। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने उन्हें सड़क पर दौड़ाया और जमकर पीटा। एक चश्मदीद ने बताया:
“लोगों में इतना गुस्सा था कि किसी ने उन्हें पहचानते ही हमला कर दिया। पुलिस भीड़ को रोकने में नाकाम रही।”
यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई और प्रदर्शन और भड़क उठे।
प्रधानमंत्री ओली को सेना ने बचाया
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सेना के हेलीकॉप्टर से एक गुप्त ठिकाने पर ले जाना पड़ा। सुरक्षा एजेंसियों को आशंका थी कि यदि भीड़ उनके पास पहुंच गई तो उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता था।
एक स्थानीय नागरिक ने कहा:
“सरकार ने जनता को निराश किया है। लोग अब नेताओं को किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते।”
संसद भवन में आगजनी
प्रदर्शनकारियों का अगला निशाना संसद भवन बना। सेना और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद भीड़ ने मुख्य गेट तोड़ा और भीतर दाखिल हो गई। गुस्साई भीड़ ने भवन के कई हिस्सों में आग लगा दी।
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा:
“इतनी भीड़ पहले कभी नहीं देखी। संसद की कुर्सियां, दस्तावेज़ और उपकरण जलकर खाक हो गए।”
नेताओं के घर जले
जनता का गुस्सा सिर्फ संसद तक सीमित नहीं रहा।
प्रधानमंत्री ओली का घर आग के हवाले कर दिया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड (पुष्प कमल दाहाल) का निवास बुरी तरह जला।
शेर बहादुर देउबा के घर में भी आगजनी हुई।
एक प्रदर्शनकारी ने बताया:
“हमारे नेता सिर्फ कुर्सी बचाने में लगे हैं। जब जनता भूखी है तो इन्हें अपने महलों में आराम करने का हक नहीं।”
ओली का इस्तीफा
लगातार बिगड़ते हालात और देशभर में फैलते आक्रोश को देखते हुए प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दे दिया। यह खबर फैलते ही भीड़ ने खुशी मनाई, लेकिन हालात अभी भी शांत नहीं हुए हैं।
जनता क्यों नाराज़ है?
नेपाल की जनता लंबे समय से सरकार से परेशान है।
बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना मुश्किल कर दिया है।
बेरोजगारी से युवा निराश हैं।
सरकार पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के आरोप लगातार लगते रहे।
काठमांडू के एक युवा प्रदर्शनकारी ने कहा:
“हम डिग्री लेकर बेरोजगार घूम रहे हैं। नेता सिर्फ सत्ता की लड़ाई लड़ते हैं। जनता की सुध लेने वाला कोई नहीं।”
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि हालात बहुत गंभीर हैं। नेपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा:
“यह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि जनता के धैर्य का विस्फोट है। यदि नई सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, तो यह संकट और गहरा सकता है।”
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बिना ठोस आर्थिक सुधार के नेपाल में स्थिरता की उम्मीद करना मुश्किल है।
सेना और पुलिस की भूमिका
हालात काबू में करने के लिए सेना और पुलिस लगातार कोशिश कर रहे हैं। कर्फ्यू जैसी स्थिति कई इलाकों में बना दी गई है। लेकिन गुस्साई भीड़ इतनी बड़ी है कि बल प्रयोग भी पूरी तरह असरदार साबित नहीं हो रहा।
आगे का रास्ता
ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल अब एक राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है।
नई सरकार कौन बनाएगा, इस पर चर्चा तेज हो गई है।
विपक्षी दलों ने जनता से शांत रहने की अपील की है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर स्थिर और पारदर्शी सरकार नहीं बनी, तो देश और गहरे संकट में जा सकता है।
Nepal is witnessing unprecedented political unrest as protesters violently attacked Finance Minister Bishnu Paudel, stormed Parliament, and set it on fire. Prime Minister KP Oli was evacuated by the army and later resigned amidst chaos in Kathmandu. Former leaders like Prachanda and Sher Bahadur Deuba also faced violent attacks on their homes. Experts believe the Nepal political crisis stems from rising unemployment, corruption, and inflation, which have fueled mass protests and government instability.