AIN NEWS 1 | एशिया कप 2025 का सबसे बड़ा मुकाबला – भारत बनाम पाकिस्तान – हमेशा की तरह इस बार भी सुर्खियों में है। यह मैच रविवार (14 सितंबर) को होना है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर की वजह से इसके आयोजन पर विरोध की लहर उठी। जहां कई लोग इस मैच को लेकर आपत्ति जता रहे हैं, वहीं खेल प्रेमी भारत की जीत के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं।
इसी बीच बीजेपी के पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने इस विवाद पर अपनी राय रखी। उन्होंने साफ कहा कि खेल को भावनाओं और राजनीति से जोड़ना गलत है, साथ ही उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी निशाना साधा।
खेल की अपनी दुनिया है – बृजभूषण शरण सिंह
भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा:
“खेल की अपनी एक अलग दुनिया होती है। खेल भावनाओं से नहीं, बल्कि नियमों और अंतरराष्ट्रीय समझौतों से चलता है। जब भी कोई टूर्नामेंट हमें अलॉट होता है तो उसकी शर्तें स्पष्ट होती हैं कि जात, धर्म, भाषा या किसी भी आधार पर किसी देश या खिलाड़ी को नहीं रोका जा सकता। जो लोग इस मैच का विरोध कर रहे हैं, शायद वे खेल की गंभीरता को समझ नहीं पा रहे।”
उनका यह बयान सीधे उन लोगों को जवाब माना जा रहा है जो भारत-पाकिस्तान मैच के आयोजन का विरोध कर रहे हैं।
ट्रंप पर सीधा हमला: “ट्रंप पागल है और क्या है?”
जब बृजभूषण शरण सिंह से पूछा गया कि क्या यह मैच अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में खेला जा रहा है, तो उन्होंने बेहद तीखे अंदाज में कहा:
“ट्रंप-स्रंप माने क्या है भाई? ट्रंप क्या है? पागल है और क्या है। हर बार ट्रंप, ट्रंप… आखिर क्यों हर बार पागल का नाम लिया जाता है?”
इस बयान से साफ है कि बृजभूषण शरण सिंह अमेरिकी दबाव की थ्योरी को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं और इसे बेबुनियाद बता रहे हैं।
मोदी सरकार ने खेलों के लिए बनाया सकारात्मक माहौल
बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या वे दोबारा खेल संगठनों से जुड़ना चाहेंगे, तो उन्होंने जवाब दिया:
“हम खेल से जुड़े हुए हैं और हमेशा रहेंगे। खेल हमारी जिंदगी का हिस्सा है।”
इसके अलावा उन्होंने मोदी सरकार के खेलों को लेकर उठाए गए कदमों की भी तारीफ की। उन्होंने कहा:
“जब से मोदी सरकार आई है, खेलों के लिए देश में एक सकारात्मक माहौल बना है। बीच में कुछ गंदगी आई थी, लेकिन मौजूदा खेल मंत्री धीरे-धीरे उसे खत्म कर रहे हैं। पूरा देश अब खेलों को लेकर एकजुट हो रहा है। 2036 के ओलंपिक की तैयारी भी शुरू हो चुकी है और भारत इसके लिए पूरी तरह से तैयार रहेगा।”
भारत-पाकिस्तान मैच पर बढ़ती सियासत
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले हर मुकाबले को केवल खेल का हिस्सा नहीं माना जाता, बल्कि इसे दोनों देशों के रिश्तों का आईना भी समझा जाता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से इस मैच को लेकर विरोध तेज हो गया है। कई संगठन और कार्यकर्ता कह रहे हैं कि ऐसे हालात में पाकिस्तान से खेलना उचित नहीं है।
हालांकि, खेल विशेषज्ञों का मानना है कि क्रिकेट और अन्य खेलों को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए। उनका तर्क है कि स्पोर्ट्स खिलाड़ियों और जनता को जोड़ता है, जबकि राजनीति अक्सर उन्हें अलग कर देती है।
जनता की राय
दिल्ली के क्रिकेट प्रेमी अमित शर्मा का कहना है:
“भारत-पाकिस्तान मैच हमारे लिए सिर्फ खेल नहीं है, यह भावनाओं से जुड़ा है। लेकिन हम यह भी मानते हैं कि खेल का बहिष्कार समाधान नहीं है। जीत से बड़ा संदेश दुनिया को और कुछ नहीं देता।”
वहीं, लखनऊ की छात्रा रितिका का कहना है:
“ऑपरेशन सिंदूर के बीच मैच खेलना सही नहीं है। जब देश मुश्किल हालात से गुजर रहा है, तो पाकिस्तान से मुकाबला करना विरोधाभासी लगता है।”
इन प्रतिक्रियाओं से साफ है कि जनता दो हिस्सों में बंटी हुई है। कुछ लोग इसे खेल की तरह देखना चाहते हैं, वहीं कुछ लोग इसे देश की गरिमा से जोड़ते हैं।
विशेषज्ञों की राय
खेल विश्लेषक मनीष तिवारी का कहना है:
“भारत-पाकिस्तान मैच हमेशा विवादों में रहा है। लेकिन हमें समझना होगा कि खेल का सीधा असर जनता की मानसिकता और खिलाड़ियों के आत्मविश्वास पर पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहिष्कार करना भारत की छवि को नुकसान भी पहुंचा सकता है।”
भारत-पाकिस्तान मैच पर जारी विवाद यह सवाल खड़ा करता है कि क्या खेल को राजनीति से अलग रखा जा सकता है या नहीं। बृजभूषण शरण सिंह का बयान इस ओर इशारा करता है कि खेल की अपनी मर्यादा और नियम होते हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निभाना पड़ता है।
आने वाले समय में सरकार, खिलाड़ियों और जनता – सभी को मिलकर यह तय करना होगा कि ऐसे विवादों के बीच खेलों का भविष्य कैसा होना चाहिए।



















