AIN NEWS 1 | बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासत का माहौल तेज़ हो चुका है। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भाजपा-जदयू गठबंधन को एक बार फिर याद दिलाया है कि वे केवल सहयोगी दल नहीं बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने वाले नेता हैं। अपने आत्मविश्वास भरे अंदाज़ में उन्होंने कहा— “मैं सब्जी पर नमक की तरह हूं… मेरी मौजूदगी हर जगह महसूस होती है। मैं हर विधानसभा क्षेत्र में 20 से 25 हज़ार वोटों को प्रभावित करने की क्षमता रखता हूं।”
बड़ी सीटों की मांग और रणनीति
चिराग पासवान ने NDTV को दिए इंटरव्यू में साफ कर दिया कि इस बार उनकी पार्टी को “क्वालिटी सीटें” चाहिए। उन्होंने बताया कि उनकी मांग लगभग 40 सीटों की है, लेकिन इस आंकड़े को उन्होंने सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं किया। फिलहाल भाजपा-जदयू गठबंधन के साथ सीट बंटवारे पर औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हुई है, लेकिन चिराग का रुख साफ है कि वे अपनी ताकत और जनाधार को नज़रअंदाज़ नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा, “मेरे लिए सीटों की संख्या से ज़्यादा महत्व इस बात का है कि हमें कौन-सी सीटें मिलती हैं। मैं हर हाल में अपने हिस्से की लड़ाई मजबूती से लड़ूंगा।”
मुख्यमंत्री पद को लेकर बयान
अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या चिराग पासवान खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में देख रहे हैं? इस पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वे व्यक्तिगत तौर पर अभी ऐसी कोई दावेदारी नहीं कर रहे। हालांकि उन्होंने यह ज़रूर कहा कि उनके समर्थकों की बड़ी उम्मीदें हैं— “मेरे समर्थकों का सपना है कि मैं बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनूं। बड़े सपने देखने में बुराई क्या है?”
गठबंधन से अलग होने का विकल्प खुला
चिराग पासवान ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर उन्हें गठबंधन में सम्मान या उचित हिस्सेदारी नहीं मिलती, तो उनके पास हमेशा अलग रास्ता चुनने का विकल्प रहेगा। उन्होंने कहा कि वे बिहार सरकार का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि केंद्र में भाजपा-एनडीए के सहयोगी हैं। ऐसे में बिहार में उनके लिए स्वतंत्र निर्णय लेना मुश्किल नहीं होगा।
भाजपा और जदयू पर दबाव
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने चिराग पासवान को फिलहाल लगभग 25 सीटें देने का प्रस्ताव रखा है। लेकिन चिराग की मांग इससे कहीं ज़्यादा है। यह स्थिति भाजपा को मुश्किल में डाल सकती है।
अगर भाजपा उनकी मांग मानती है, तो जदयू जैसे सहयोगी दल नाराज़ हो सकते हैं।
अगर भाजपा उनकी मांग खारिज करती है, तो चिराग के अलग होने का खतरा बढ़ सकता है, जिससे भाजपा को 20-25 हज़ार वोटों के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
नीतीश सरकार पर हमला
चिराग पासवान ने जदयू के शीर्ष नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है और इसे सुधारने की ज़रूरत है। उनका कहना था कि यह आलोचना उनकी अपनी सरकार को “फीडबैक” देने का तरीका है।
इसके साथ ही, उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हालिया टिप्पणी पर भी प्रतिक्रिया दी। चिराग ने कहा कि मांझी चुनाव से पहले खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
चिराग की राजनीतिक अहमियत
बिहार की राजनीति में पासवान परिवार का हमेशा प्रभाव रहा है। चिराग पासवान युवा नेता हैं और अपनी अलग राजनीतिक पहचान बना रहे हैं। वे जानते हैं कि 20-25 हज़ार वोटों की मज़बूत पकड़ किसी भी सीट पर चुनावी समीकरण बदल सकती है। यही वजह है कि वे भाजपा और जदयू दोनों को अपनी ताकत का एहसास लगातार कराते रहते हैं।
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, “मैं सब्जी पर नमक की तरह हूं। भले ही कम मात्रा में हूं, लेकिन मेरी मौजूदगी हर जगह महसूस होती है।” इस बयान से उन्होंने साफ कर दिया कि वे गठबंधन की राजनीति में खुद को हल्के में लिए जाने नहीं देंगे।
आगे की राह
चुनाव नज़दीक हैं और सीट बंटवारे पर होने वाली बातचीत तय करेगी कि भाजपा-जदयू-लोजपा (राम विलास) का तालमेल कितना मज़बूत रहता है। चिराग पासवान ने अभी तक दरवाज़ा खुला रखा है—चाहे गठबंधन में रहना हो या अलग चुनाव लड़ना। उनकी राजनीति की यही लचीलापन उन्हें बिहार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाए हुए है।