AIN NEWS 1 | दुनिया की महाशक्तियों के बीच हथियारों की होड़ तेज़ होती जा रही है। अब चीन एक ऐसे खतरनाक हथियार पर काम कर रहा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “डूम्सडे वेपन” कहा जा रहा है। यह है परमाणु टॉरपीडो – एक ऐसा पानी के अंदर चलने वाला हथियार जो परमाणु वॉरहेड से लैस होकर समुद्री तटों पर सुनामी जैसी विनाशकारी स्थिति पैदा कर सकता है। माना जा रहा है कि चीन इस तकनीक को रूस के मशहूर “पोसाइडन” टॉरपीडो से प्रेरणा लेकर विकसित कर रहा है। इस हथियार का सबसे बड़ा निशाना अमेरिका और उसके सहयोगी देश हो सकते हैं।
परमाणु टॉरपीडो क्या है?
परमाणु टॉरपीडो एक मानवरहित पानी के अंदर चलने वाला ड्रोन हथियार है। इसे छोटे आकार में इस तरह बनाया जाता है कि यह सामान्य टॉरपीडो ट्यूब से भी लॉन्च हो सके। इसमें एक मिनी न्यूक्लियर रिएक्टर लगाया जा सकता है, जिससे यह लंबे समय तक गहराई में चल सकेगा।
गति: करीब 30 नॉट्स (56 किमी/घंटा)
ऑपरेटिंग समय: लगभग 200 घंटे तक लगातार
खासियत: यह समुद्र तटों के पास विस्फोट कर रेडियोएक्टिव सुनामी उत्पन्न करने की क्षमता रखता है।
रूस का ‘पोसाइडन’ टॉरपीडो – चीन की प्रेरणा
रूस ने पहले ही पोसाइडन टॉरपीडो विकसित कर लिया है, जिसे दुनिया का पहला परमाणु-संचालित टॉरपीडो कहा जाता है।
यह 100 मेगाटन तक का परमाणु वॉरहेड ले जा सकता है।
गहरी गहराई में और हजारों किलोमीटर दूर तक काम करने की क्षमता रखता है।
2023 में रूस ने इसका पहला बैच अपनी पनडुब्बी बेलगोरोड में तैनात भी कर दिया था।
इसी तकनीक से प्रभावित होकर चीन अब छोटा और किफायती संस्करण तैयार कर रहा है।
चीन का नया प्रोजेक्ट – सस्ता लेकिन खतरनाक
चीन का परमाणु टॉरपीडो आकार में रूस के पोसाइडन से छोटा होगा, जिससे इसे सामान्य टॉरपीडो ट्यूब से भी लॉन्च किया जा सकेगा। इसमें मिनी न्यूक्लियर रिएक्टर लगाया जाएगा जो इसे लंबे समय तक ऊर्जा देता रहेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन इस तकनीक को बड़े पैमाने पर बनाने की योजना पर काम कर रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल सामरिक दबाव के लिए किया जा सके।
संभावित खतरे: सुनामी और पर्यावरणीय संकट
अगर इस टॉरपीडो का इस्तेमाल वास्तविक युद्ध में होता है तो इसका असर बेहद भयानक होगा:
सुनामी का खतरा – समुद्र तटों के शहर पूरी तरह डूब सकते हैं।
लाखों लोग बेघर – तटीय इलाकों में भारी जनहानि और पलायन होगा।
पर्यावरणीय नुकसान – समुद्री जीवन नष्ट हो सकता है और पानी रेडियोएक्टिव हो जाएगा।
मनोवैज्ञानिक दबाव – कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी विशाल सुनामी पैदा करना तकनीकी रूप से मुश्किल है, लेकिन इसका सबसे बड़ा असर डर और रणनीतिक दबाव होगा।
चीन की रणनीति क्या है?
चीन इस हथियार को अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों पर रणनीतिक दबाव बनाने के लिए विकसित कर रहा है।
AUKUS समझौते के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी परमाणु पनडुब्बियों की योजना पर काम कर रहे हैं।
चीन इस “डूम्सडे हथियार” से यह संदेश देना चाहता है कि उसके पास भी अंतिम विकल्प मौजूद है।
साथ ही, यह ताइवान पर दबाव बनाने की भी एक रणनीति हो सकती है।
चीन का परमाणु टॉरपीडो प्रोजेक्ट सिर्फ सैन्य ताकत का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा है। रूस के पोसाइडन से प्रेरित यह तकनीक अगर कामयाब हो गई, तो यह न केवल युद्ध के मैदान बल्कि पूरे महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए विनाशकारी साबित होगी। अमेरिका और उसके सहयोगी इस प्रोजेक्ट पर कड़ी नजर रखे हुए हैं, क्योंकि यह हथियार आने वाले समय में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की जियोपॉलिटिक्स को पूरी तरह बदल सकता है।