AIN NEWS 1 नोएडा: बता दें शहर की सोसायटियों में साफ पानी न आना भी अपने आप मे एक बहुत बड़ी समस्या है। यहां आ रहा गंदा पानी तमाम बीमारियों का कारण बन रहा है। यहां लोग जो पानी इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉलिड्स) का लेवल 2 हजार के आसपास आ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, इस तरह का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होता है। यह आपको तमाम तरह की बीमारियां दे सकता है। इससे त्वचा को भी बहुत नुकसान पहुंचता है। बाल झड़ने की समस्या से लेकर दिल और लिवर की बीमारी भी होने का खतरा बना रहता है। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि लोगों को नहाने के लिए अब बाथरूम में आरो लगवाना पड़ रहा है।सेक्टर-51 स्थित आरडब्ल्यूए के महासचिव संजीव कुमार ने बताया कि उनके यहां 2050 टीडीएस वाला पानी आ रहा है। ऐसा सिर्फ 1 दिन के लिए नहीं बल्कि 2 साल से लगातार यही हाल है। यही वजह है कि 2 साल में मेरे बाल बिल्कुल ही झड़ गए और सिर गंजा हो गया है। दो साल पहले जब दिल्ली में रहते थे तब बालों की हालत बिल्कुल ही ठीक थी। संजीव कुमार ने बताया कि आरो भी इतने टीडीएस वाला पानी साफ करने में नाकाम साबित हो रहा है। यही वजह है कि आरो की जल्दी-जल्दी सर्विसिंग भी करानी पड़ती है। जब सिर के बाल झड़ने लगे तो बाथरूम में भी आरो लगवाना पड़ा। हमारे यहां तीनों बाथरूम में आरो लगा है। इसके पानी से सिर धो लेते हैं। अगर पूरे पानी को साफ करना हो तो फिल्टर ही लगवाना पड़ेगा जिसकी कीमत लगभग 80 हजार रुपये है।संजीव कहते हैं पानी में ज्यादा टीडीएस आने की शिकायत जब नोएडा अथॉरिटी से की जाती है तो वे अपना कर्मचारी भेजकर टीडीएस चेक कराते हैं। ये लोग हर बार एक ही मशीन लेकर आते हैं। वह मशीन एक ही लेवल का टीडीएस हर बार बताती है। उसका टीडीएस न कभी घटता है न कभी बढ़ता है। उनके चेक करने में पानी का टीडीएस 700 के करीब ही आता है जबकि हम और आसपास के लोग चेक करते हैं तो पानी का टीडीएस दो हजार से ढाई हजार के बीच आता है।
यहां 1600 रहता है टीडीएस
सेक्टर-137 लॉजिक्स ब्लॉसम काउंटी के एओए अध्यक्ष मनोज प्रसाद ने बताया कि सोसायटी में बोरवेल का पानी ही आता है। इसमें टीडीएस हमेशा 1600 रहता है। मनोज ने बताया कि यहां पर 17 टावर में कुल 2381 फ्लैट हैं। इनमें करीब दो हजार परिवारों में 5500 लोग रहते हैं। सेक्टर-12 स्थित स्वामी विहार डुप्लेक्स सोसायटी की आरडब्ल्यूए के महासचिव सुखबीर सिंह ने बताया कि उनके यहां पर भी पानी साफ नहीं आ रहा है। पानी में गंगाजल की सप्लाई नहीं आ रही है और टीडीएस 800 के करीब आ रहा है।
जान ले 500 से अधिक टीडीएस नुकसानदायक
सेक्टर-27 स्थित निजी अस्पताल के फिजिशन डॉक्टर एके शुक्ला ने बताया कि पीने वाले पानी में टीडीएस का लेवल 60 से 100 के बीच ही बहुत अच्छा होता है। हालांकि ऐसे में खनिज (मिनिरल्स) नहीं मिल पाते हैं। पानी में टीडीएस का लेवल कम से कम 200 होना चाहिए। 200 से अधिक होकर 500 तक हो सकता है। इसमें पानी का थोड़ा सा टेस्ट चेंज हो सकता है लेकिन मैग्निशियम, कैल्शियम, सिलिनियम व कार्बोनेट मिलता है। 500 से अधिक टीडीएस होने पर ये सब चीजें बहुत अधिक हो जाती हैं। ऐसे में हार्ट स्ट्रोक, पैरों, घुटनों, कमर में दर्द, लिवर और आंखों की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। पानी में टीडीएस का लेवल 2 हजार के आसपास ज्यादा नुकसानदायक है।
जाने क्या हैं टीडीएस
टोटल डिजॉल्व सॉलिड्स यानी पानी में घुले पदार्थों की कुल मात्रा। टीडीएस में अकार्बनिक लवण, साथ ही कुछ मात्रा में कार्बनिक रसायन होते हैं। इसमें पानी की एक विशिष्ट मात्रा में घुलने वाले आवश्यक/उपयोगी और हानिकारक या खतरनाक दोनों तरह के रसायन इसमें शामिल होते हैं।