AIN NEWS 1 | भारत ने एक बार फिर मालदीव के साथ दोस्ती का सबूत देते हुए उसकी वित्तीय मदद की है। गुरुवार (18 सितंबर 2025) को भारतीय उच्चायोग ने घोषणा की कि भारत ने मालदीव सरकार के 5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल (टी-बिल) की अवधि को एक और साल के लिए आगे बढ़ा दिया है। यह फैसला उस समय आया है जब मालदीव आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है और उसे अपने विकास कार्यों के लिए भरोसेमंद साझेदारों की सख्त जरूरत है।
मालदीव को क्यों दी गई यह मदद?
दरअसल, मालदीव सरकार ने भारत से इस बॉन्ड को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था। भारत ने न केवल इस मांग को स्वीकार किया बल्कि बिना ब्याज के इसे फिर से बढ़ा दिया। इस तरह भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह अपने पड़ोसी देशों की आर्थिक मजबूती और स्थिरता के लिए हमेशा मददगार है।
भारतीय उच्चायोग ने बयान में कहा,
“भारत सरकार मार्च 2019 से एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) के माध्यम से मालदीव को कई बार इस तरह की वित्तीय सहायता दे रही है। यह बॉन्ड हर साल बिना ब्याज के बढ़ाया जाता है।”
इस मदद का महत्व
भारत का यह कदम केवल आर्थिक मदद भर नहीं है बल्कि यह दोनों देशों के बीच मजबूत स्ट्रैटेजिक और डिप्लोमैटिक रिलेशन की झलक है। यह भी साफ है कि पाकिस्तान जैसे देशों को भारत का यह कदम कतई रास नहीं आएगा, क्योंकि दक्षिण एशिया में भारत की पकड़ लगातार मजबूत हो रही है।
मालदीव-भारत की अहम बैठक
इस घोषणा से ठीक एक दिन पहले, मालदीव के वित्त मंत्री मूसा जमीर ने भारत के उच्चायुक्त जी बालासुब्रमण्यन, ज्वाइंट सेक्रेटरी सुजा के मेनन और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने, व्यापार को मजबूत करने और विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई।
मालदीव वित्त मंत्रालय ने बताया कि भारत की ओर से इस तरह का विस्तार न केवल भरोसे का प्रतीक है बल्कि इससे दोनों देशों के बीच सहयोग और साझेदारी और भी गहरी होगी।
विकास परियोजनाओं पर भारत की मदद
बैठक में यह भी तय हुआ कि भारत द्वारा दिए गए लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) के तहत मालदीव में कई विकास परियोजनाओं को फाइनेंस किया जाएगा। इनमें इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अहम सेक्टर शामिल हैं।
भारत की ओर से यह वित्तीय सहयोग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मालदीव की जनता के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और उसकी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में अहम भूमिका निभाएगा।
मोदी की मालदीव यात्रा और रिश्तों में बदलाव
भारत-मालदीव रिश्तों में गर्मजोशी तब और बढ़ी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 जुलाई 2025 को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। इस यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों में आए सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा गया।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि बीते कुछ समय से मालदीव की राजनीति में उतार-चढ़ाव रहे हैं और कभी-कभी भारत-मालदीव संबंधों में तनातनी भी देखने को मिली। लेकिन भारत के लगातार सहयोग और समर्थन से अब रिश्तों में नई मजबूती आई है।
पाकिस्तान को क्यों लगी मिर्ची?
भारत और मालदीव के रिश्ते जिस तरह से आगे बढ़ रहे हैं, उससे पाकिस्तान को निश्चित रूप से चुभन होगी। पाकिस्तान लंबे समय से मालदीव जैसे छोटे देशों को अपने प्रभाव में लाने की कोशिश करता रहा है, लेकिन भारत ने आर्थिक मदद और विकास सहयोग के जरिए वहां मजबूत पकड़ बना ली है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत का यह कदम पाकिस्तान के लिए सीधा संदेश है कि दक्षिण एशिया में उसका प्रभाव लगातार बढ़ रहा है और कोई भी देश भारत को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।
नतीजा
भारत का यह फैसला सिर्फ एक वित्तीय सहायता का मामला नहीं बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीति (geopolitics) को भी प्रभावित करता है। इससे भारत ने एक बार फिर यह दिखाया है कि वह अपने पड़ोसी देशों के लिए भरोसेमंद सहयोगी है।