AIN NEWS 1: Adulteration Petrol मेरठ में नायरा के पांच पंपों में मदरबोर्ड, चिप और आटोमेशन लगाकर घटतौली और मिलावटी पेट्रोल बेचने के मामले में फरार चल रहे दस आरोपितों को पुलिस अभी तक पकड़ नहीं पाई। सोमवार को दो पंप स्वामी और क्षेत्रीय प्रबंधक को कोर्ट से जमानत तो मिल चुकी है। उधर, पुलिस की गतिविधि संदिग्ध मिलने पर परतापुर में विवेचक को भी बदल दिया है। दारोगा से हटाकर विवेचना अब इंस्पेक्टर को सौंपी गई है।
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— 𝐀𝐈𝐍 𝐍𝐄𝐖𝐒 𝟏 (@ainnews1_) November 21, 2022
अभी तक पुलिस ने इनको भेजा है जेल
एसटीएफ ने तीन नवंबर को नायरा कंपनी के चार पंपों पर एक साथ छापामारी कर घटतौली और मिलावट पेट्रोल बेचने का मामला पकड़ा था। पुलिस ने क्षेत्रीय प्रबंधक बीरेंद्र त्रिपाठी, पंप स्वामी ऐश्वर्य अग्रवाल, मशीनों के चिप लगाने वाले देवेंद्र उर्फ सतेंद्र, अवनीश अग्रवाल और राकेश अग्रवाल को पुलिस ने जेल भेज दिया था। अभी तक पुलिस मदरबोर्ड मुहैया कराने वाले सोतीगंज के कबाड़ी को तो नहीं पकड़ सकी है, जबकि अदालत ने परतापुर, ब्रह्मपुरी और इंचौली में दर्ज मुकदमों में धोखाधड़ी की धाराओं में रिमांड बना दिया है। पुलिस की गतिविधि पर भी सवाल सोमवार को आरोपितों की जमानत पर सुनवाई हुई, जिसमें श्रेत्रीय प्रबंधक बीरेंद्र त्रिपाठी, पंप स्वामी ऐश्वर्य अग्रवाल और राकेश अग्रवाल को अदालत से जमानत मिल गई है। उधर, पुलिस की गतिविधि पर काफ़ी सवाल उठने लगे है। पुलिस आरोपित सुशांत मिश्रा को बचाने के लिए अन्य किसी भी आरोपित के घर पर दबिश अभी तक नहीं डाली है। माना जा रहा है कि आरोपितों के दबाव में काम कर रही है, जिसके चलते एसपी सिटी ने परतापुर थाने में विवेचना दारोगा से हटाकर इंस्पेक्टर को करने के आदेश दिए है।